Arts & CultureNationalVaranasi

काशी के महाश्मशान पर धधकती चिताओं के बीच शिव भक्तों ने खेली चिता भस्म की होली

  • तीन सौ साल पुरानी परम्परा का काशीवासियों ने किया निर्वाह
  • गूंजता रहा गीत ‘खेले मसाने में होली दिगम्बर‘
  • श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के पास मणिकर्णिका घाट पर भव्य और दिव्य आयोजन
  • एक ओर अपनों को खोने के गम में डूबे परिजन
  • दूसरी ओर डोल, नगाड़ों की थाप, संगीत की धुनों पर नाचते झूमते काशीवासी

वाराणसी । भूत भावन भगवान शंकर यानी श्रीकाशी विश्वनाथ के माता गौरा की विदाई समारोह के बाद काशीवासियों को होली खेलने की बाबा से अनुमति क्या मिली कि काशी रंगोत्सव में सराबोर हो गई। शनिवार को तीन सौ साल पुरानी चिता भस्म की होली की परम्परा को निभाने काशीवासियों का हुजूम महाश्मशान मर्णिकर्णिका घाट पर उमड़ पड़ा। धधकती चिताओं के बीच चिता भस्म की होली खेली। इस मौके पर योगी सरकार की तरफ से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए।

ढोल-नगाड़े और डमरूओं के निनाद के बीच हजारों शिव भक्तों की टोलियां सुबह 11 बजे से महाश्मशान की ओर पहुंचने लगी। शिव के गण यक्ष, गंधर्व, किन्नर, औघड़ सब महाश्मशान पर चिताओं के भस्म की होली खेलने पहुंचे। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के पास स्थित इस महाश्मशान पर इस ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं वाली विश्व की अनूठी होली को कैमरों के कैद करने की होड़ मच गई। शिव-पार्वती के स्वरूप के साथ पहुंचे भोलेनाथ के गणों ने चिताओं की भस्म से होली खेलनी शुरू कर दिया।

एक ओर अपनों को खोने के गम में डूबे परिजन,दूसरी ओर डोल, नगाड़ों की थाप, संगीत की धुनों पर नाचते झूमते काशीवासी
एक ओर अपनों को खोने के गम में डूबे परिजन,दूसरी ओर डोल, नगाड़ों की थाप, संगीत की धुनों पर नाचते झूमते काशीवासी

संगीत की धुनों पर थिरकते अड़भंगी के काशी के लोग चिता भस्म को शरीर पर लपेटे जा रहे थे। यह जानते हुए कि कल इसी भस्म में उनका शरीर भी तब्दील हो जाना है। अद्भुत और अलौकिक होली। आध्यात्म की गहराईयों का अहसास कराती यह होली दूर दराज के शवयात्रा में आये लोगों को अजीब भी लग रही थी। आश्चर्य हो रहा था कि जहां लाशों के ढेर लगे हों, अपनों के खोने के गम में डूबे परिजन उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं। ऐसे में हंसना और नाचना कितना मुश्किल है और यहां तो उन्हीं चिताओं की भस्म लपेटकर लोग होली मना रहे हैं।

मोक्ष की नगरी काशी में ही यह सम्भव है। ऐसा नजारा शायद ही कही देखने को मिले। एक ओर मौत का मातम और दूसरी ओर होली की मस्ती। सबकुछ एक ही जगह और एक साथ। कोई भूत बनकर पहुंचा है तो कोई औघड़। किन्नर समाज भी नृत्य में मगन है। काशी के साधु-संतों भी इस दिव्य होली में शामिल हुए। संगीत की धुनों पर काशीवासी नृत्य कर रहे थे, डमरूओं के निनाद गूंज रहे थे और रह-रहकर काशीपुराधिपति, महादानी भोलेनाथ की आध्यात्मिक होली पर पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र के गाये गीत ‘खेले मसाने में होली दिगम्बर, भूत पिशाच बटोरी‘ पर भक्त मस्ती के सागर में गोते लगा रहे थे।

चिता भस्म की इस होली के आयोजक महाश्मशान नाथ मंदिर के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता, सतुआ बाबा आश्रम के महामंडलेश्वर संतोष दास, व्यवस्थापक गुलशन कपूर आदि व्यवस्था की कमान सम्भाले हुए थे।

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button