रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.35 फीसदी का किया इजाफा, महंगा होगा कर्ज
मुंंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास अनुमान को घटाते हुये महंगाई में नरमी आने की उम्मीद के बीच रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी करने की आज घोषणा की जिससे घर, कार के साथ ही हर तरह का ऋण महंगा हो जायेगा।रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुयी मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय द्विमासिक समीक्षा बैठक में बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया गया।
समिति की यह बैठक आज सुबह में समाप्त हुयी जिसमें लिये गये निर्णय की जानकारी देते हुये श्री दास ने कहा कि समिति ने बहुमत के आधार पर रेपाे दर में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी करने का निर्णय लिया है जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। अब रेपो दर 5.90 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गयी है।इस बढोतरी के बाद स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी दर (एसडीएफआर) 5.65 प्रतिशत से बढ़कर 6.00 प्रतिशत, बैंक दर बढ़कर 6.50 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर (एमएसएफआर) भी 6.50 प्रतिशत हो गयी है।
रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए इस वर्ष मई में नीतिगत दरों में की गयी 0.40 प्रतिशत की बढोतरी के बाद से लगातार इसमें वृद्धि कर रहा है। मई के बाद जून, अगस्त और सितंबर में भी इन दरों में आधी आधी फीसद की वृद्धि की गयी थी। दिसंबर में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी की गयी है। यह लागातार पांचवी बढोतरी है।श्री दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जारी भू राजनैतिक तनाव के साथ ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत बनी हुयी है। रबी सीजन में बुवाई में आयी तेजी के बल पर आगे महंगाई में नरमी आने की उम्मीद है लेकिन वैश्विक स्तर पर इसमें जारी उथल पुथल के कारण चुनौती बनी हुयी है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को 7.0 प्रतिशत से कम कर 6.80 प्रतिशत कर दिया है।समिति के छह में से पांच सदस्यों ने नीतिगत दरों में बढोतरी और चार सदस्यों ने समायोजन वाले रूख को वापस लेने के पक्ष में मतदान किया जबकि दो ने इसका विरोध किया।(वार्ता)
आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 फीसदी किया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। इससे पहले आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद इसका ऐलान किया। शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर में कटौती करते हुए 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में जीडीपी 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। दरअसल दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही थी, जबकि पहली तिमाही में जीडीपी 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी थी।
शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि जीडीपी दर के अनुमान में कमी के बावूजद भारत दुनिया की सबसे तेजी गति से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, जिसको वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच इसे उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। आरबीआई गवर्नर ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने सितंबर में भी एमपीसी की समीक्षा बैठक के बाद आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाया था। हालांकि, इससे एक दिन पहले विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 से बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया था। वहीं, वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अपने अनुमान को 7 फीसदी पर बरकरार रखा है। (हि.स)।