भारत की बुजुर्ग आबादी अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है, और अनुमान के अनुसार, यह 2021 में 13.8 करोड़ से बढ़कर 2031 तक 19.4 करोड़ तक पहुंच जाएगी, जो कि 41 प्रतिशत दशकीय वृद्धि है।बुजुर्गों की देखभाल और अधिकारों के लिए काम करने वाली अग्रणी चैरिटी हेल्पएज इंडिया बुजुर्गों से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को पहचानने और उनका समाधान करने में मदद करने के लिए बुजुर्गों की देखभाल करने वालों को ट्रेनिंग देने और उन्हें अधिक संवेदनशील बनाने पर जोर देती रही है।
संस्था ने वृद्धाश्रम का जिम्मा संभालने वाले प्रबंधकों के लिए प्रशिक्षण और संवेदीकरण कार्यशालाएँ आयोजित कीं हैं। इन कार्यशालाओं में भाग लेने के बाद वृद्धाश्रम का दायित्व संभालने वाले प्रबंधकों ने वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्ग लोगाें के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों के बारे में उच्च स्तर की जागरूकता दिखाई है। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य प्रबंधकों को बेहतर ढंग से सक्षम बनाना था, ताकि वे वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों की मानसिक भलाई के लिए आवश्यक कदम उठा सकें और अवसाद, चिंता और मनोभ्रंश (डिमेंशिया) जैसी उनकी चिंताओं को दूर कर सकें।
हेल्पएज इंडिया हेल्थकेयर की मिशन हेड ने डॉ. रितु राणा ने कहा, ‘‘हेल्पएज इंडिया आज ‘सार्थक’ का एक वर्ष मना रहा है, यह एक ऐसी पहल है जो पिछले साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को चिह्नित करने और इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए शुरू की गई थी। इस पहल के महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं और गोवा और नई दिल्ली में हमारी कार्यशालाओं में भाग लेने वाले लगभग 62.5 प्रतिशत वृद्धाश्रम प्रबंधकों ने मनोभ्रंश, चिंता और अवसाद से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता के स्तर में सुधार दिखाया। हमें उम्मीद है कि इस परियोजना के तहत हम 10,000 ऐसे देखभालकर्ताओं को संवेदनशील बना सकते हैं, क्योंकि जरूरत अब लगातार बढ़ रही है और अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’
’उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर लोगों की राय बदलने की दिशा में प्रयास करने की तत्काल जरूरत है। कार्यशालाओं का उद्देश्य समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सहायता को मजबूत करके बुजुर्गों के मनोवैज्ञानिक कल्याण को बढ़ावा देना है। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (आईएचबीएएस) और गोवा मेडिकल कॉलेज के मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सकों ने भी भागीदारी की। हेल्पएज इंडिया का लक्ष्य वृद्धावस्था से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवकों की क्षमता को और बेहतर बनाना है।
कार्यशालाओं में भाग लेने वालों को मानसिक स्वास्थ्य, इससे जुड़े तथ्यों और मिथकों, बुजुर्गों में सामान्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों (अवसाद, चिंता और मनोभ्रंश) और उनके मानसिक कल्याण को बेहतर बनाने में देखभालकर्ता की भूमिका के बारे में व्यापक जागरूकता और समझ दी गई। प्रतिभागियों की समझ के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए पूर्व और बाद के मूल्यांकन सत्र भी आयोजित किए गए।कार्यशाला में कहा गया कि भारत की बुजुर्ग आबादी अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है। इस बढ़ती बुजुर्ग आबादी के लिए राज्य से व्यापक बजट आवंटन की आवश्यकता है। (वार्ता)