वाराणसी। अयोध्या में भगवान राम के भव्यमंदिर निर्माण के लिए देश के 11 करोड़ परिवारों से संपर्क साधा जायेगा। मकर संक्रांति से धन संग्रह अभियान भी शुरू हो जाएगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आज इंग्लिशिया लाइन स्थित विश्व हिंदू परिषद कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उक्त बात कही।उन्होंने कहा कि मंदिर की नींव दीर्घायु हो इसके लिए भारत के बड़े इंजीनियर वैज्ञानिक आज भी दिन रात लगे हुए है। इनमें आईआईटी दिल्ली, गोहाटी, चेन्नई ,रुड़की, के तमाम विशेषज्ञ काम कर रहे। हैदराबाद की टीम जमीन के 200 फ़ीट गहराई तक का अध्ययन आज भी कर रही है। उन्हों ने बताया कि सरयू के अंतरंग प्रवाह का अध्ययन किया जा रहा है। मकर संक्रांति तक परिस्थितियों के आधार पर एक मजबूत दीर्घायु नींव की डिज़ाइन सामने आ जायेगी। इसके बाद तीव्र गति से काम भी शुरू हो जाएगा। इस दौरान वहां की परिस्थितियाँ ऐसी निकली की जमीन के अंदर 70 मीटर तक बालू है।हम कहते रहे कि मंदिर अनेक बार तोड़ा गया । जमीन में 50- 50 मीटर तक मलबा आखिर कहाँ से आ गया? सरयू का प्रवाह कभी न कभी यहां था। इससे साबित होता है कि हम बिल्कुल सही थे।
उन्हों ने कहा कि सीमेंट की आयु 150 साल के बाद खत्म हो जाती है। इसलिए इसकी आयु 150 से 300 – 400 कैसे किया जाय। इसपर भी काम हो रहा है। दूसरी बात मंदिर का प्रारूप बड़ा किया गया है । अब मंदिर 360 फ़ीट लंबा 234 फ़ीट चौड़ा और ऊंचाई 161 फ़ीट होगी, जो 3 मंजिल में होंगे। यहां लगभग 4 लाख घन पत्थर लगेगा । जमीन से दर्शन करने जाने पर 32 सीढियां चढ़नी पड़ेंगी। दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधाओं पर विचार किया गया है। गूंगे बहरों के लिए आर्किटेक्ट अध्ययन कर रहे हैं। मंदिर के अंदर बाहर के 3डी पिक्चर आप देख चुके हैं। मंदिर का परकोटा 5 एकड़ तक माना जा सकता है। शेष 65 एकड़ जमीन में क्या, क्या बनेगा तय कर लिया गया है। ऐसा अंदाज है कि मंदिर का निर्माण कार्य जब प्रारम्भ हो जाएगा तब 3 वर्ष में समाज की संतुष्टि लायक काम 2023 तक सामने भी आ जायेगा । यह मंदिर हिंदुस्तान की अस्मिता राष्ट्र के गौरव का प्रतीक भी बनने जा रहा है। इसी बहाने आने वाली पीढ़ियों के दिमाग से विदेशी आक्रांताओं को दिमाग से निकलने का काम भीबकिया जा रहा । हिंदुस्तान के लोगों ने विदेशियों से हमेशा लड़ाई लड़ी व लोहा लिया है। इतिहास की सच्चाई को दुनिया के सब लोग स्वीकार करें। सभी सरकारें सभी राष्ट्र अपनी आत्म रक्षा के लिए काम करते हैं। इस मंदिर के लिए भारत के लाखों लोगों ने अपना जीवन दिया है। ट्रस्ट चाहता है कि करोड़ों लोगों की कमाई का पैसा और पॉकेट मनी को बचा कर मंदिर का निर्माण कराएं। इसमें भारत के 11करोड़ परिवारों संग आधी आबादी से सम्पर्क शुरू हो रहा। रामसेतु में जिस प्रकार गिलहरी का योगदान था उसी प्रकार देश के नागरिकों का मंदिर में बड़ा योगदान रहेगा। चाहे वे जंगल मे रहते हैं या गांव में शहर में व्यापारी हैं सभी का हम सहयोग लेंगे। श्री राय ने स्पष्ट किया कि यह अभियान धन मांगने का अभियान नहीं ये समर्पण का अभियान है। जिसे मकर संक्रांति से शुरू करेंगे और माघ पूर्णिमा तक अभियान चलेगा। अलग अलग राज्यों प्रान्तों ने इस 42 दिनों का कालखंड निर्धारित किया है। ये काम वर्चुअल नही फिजिकल होगा। 11 करोड़ घरों में जाएगे तो लाखों कार्यकर्ता भी काम करेंगे। लाखों कार्यकर्ता अब भगवान का घर बनाकर ही आराम करेंगे।
उन्हों ने कहा कि 1984 से लेकर आजतक योगदान देने वाले आरएसएस के निष्ठावान कार्यकर्ता महती भूमिका में होंगे। उन्हों ने बताया कि एसबीआई, पीएनबी, बाब बैंक की 46000 ब्रांच हिंदुस्तान में है। जिसमे कार्यकर्ता सीधे पैसा जमा करेंगे। इस दौरान 10, 100 और 1000 मूल्य का कूपन बना है। 2000, 5000 10000 तक भी लोग दान कर सकते हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नाम से बैंक में खाता खुला है। मार्च से सीधे खाते में पैसा जमा हो रहा है । अबतक 80 से 85 करोड़ रुपये ऑनलाइन जमा हो चुके है। बताया कि
1989 में रामजन्म भूमि न्यास में धन संग्रह का अभियान चला था। तब सवा रुपया मांगा गया था। उसवक्त 8 करोड़ 25 लाख रुपये जमा हुआ था। जो भारत के बैंकों में रहा उससे मंदिर के पत्थरों की खरीदारी नक्काशी व अन्य जरूरतों में खर्च किया गया। हम लोगों ने रैलियां निकालकर या पब्लिक मीटिंग करके किसी से धन जुटाने को नहीं कहा। बताया कि मंदिर के नीचे या तो पत्थर है या प्लेन कंक्रीट या चुना है। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे का प्रयोग किया जाएगा। क्योंकि पत्थर की आयु के बराबर तांबे की आयु है। इसलिए तांबे की कील का भी प्रयोग किया जाएगा। सोने की ईंट अभी तक नहीं मिली है। मंदिर को चांदी नहीं चाहिए मंदिर चांदी से नहीं बैंक में जमा धनराशि से बनेगा।
अभी काशी, मथुरा पर विचार नहीं
उन्होंने काशी मथुरा पर कहा कि अच्छे समाज का अच्छा व बुद्धिमान वही माना जाता हैं जो एक समय में एक काम पूरा करते हैं। जबतक एक मंदिर समाज को समर्पित नही करते तबतक दूसरे पर विचार नहीं होगा। जिन्होंने मंदिर के लिए गोलियां खाई हैं,संघर्ष किया है उन्हें भी याद किया जाना चाहिए। हिंदुस्तान बलिदानियों का देश है। मंदिर में पिछले 70 साल से आजतक के बलिदानियों का नाम लिखा जाएगा। हर जिले व हर शहर में अखिल भारतीय स्तर की टीम बनाई गई है जो मोबिलाइजेशन और अकाउंटिंग पर काम कर रही है। इसे अभियान प्रमुख का नाम दिया गया है।