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महाराष्ट्र चुनाव पर राहुल गाँधी के सवालों का गणित के हिसाब से भी कोई तुक नहीं बनता: आयोग के सूत्र

नयी दिल्ली : महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी के विदेशी धरती से उठाए गए सवालों के एक दिन बाद यहां आयोग के सूत्रों ने खारिज किया और कहा कि सामान्य गणित और स्थापित प्रक्रियाओं के हिसाब से वहां हुए मतादन की रफ्तार और मतदाता-सूची की शुद्धता को लेकर विपक्ष के नेता के सवालों का कोई तुक नहीं बनता ।आयोग के एक अधिकारी ने मंगलवार को यहां आपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि 20 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव में सुबह से साम तक प्रति घंटे मतदान की जो औसत रफ्तार देखी गयी उसके हिसाब से दो घंटे में एक करोड़ 16 लाख मतदाताओं ने वोट डाले होंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य में चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का संशोधित मसौदा कांग्रेस पार्टी सहित सभी दलों को दिया गया था और इतने बड़े राज्य में नौ करोड़ से अधिक नामों की सूची को लेकर उंगली पर गिनने भर की कुछ गिनी चुनी आपत्तियां ही आयी थी जिनका परिमार्जन कर दिया गया था।उल्लेखनीय है कि श्री गांधी ने रविवार को बोस्टन में एक कार्यक्रम में कहा था, “ महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में चुनाव आयोग ने कुछ समझौता कर लिया था” और “ सिस्टम में कुछ गड़बड़ी थी।” उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग ने शाम 5:30 पर मतादान का आंकड़ा दिया था और उसके बाद आयोग के अनुसार 7:30 तक 65 लाख लोगोंने वोट डाले। कांग्रेस नेता ने इसे असंभव बताया था। उनका गणित है कि हर मतदान में तीन मिनट का समय लगता है और इस हिसाब से वहां उस दिन मतदान केंद्रों पर रात दो बजे तक भी मतदान करने वालों की कतार समाप्त नहीं होती।उन्होंने मतदाता सूचियों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या वयस्कों नागरिकों से कहीं ज्यादा थी।

आयोग के एक सूत्र ने कहा,“महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव में सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान केन्द्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किये थे और इस तरह वहां औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए। इस औसत रुझान के हिसाब से अंतिम दो घंटे में लगभग 116 लाख मतदाताओं ने मतदान किया होगा। इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से बहुत कम है।”आयोग के सूत्रों ने कहा कि प्रत्येक मतदान केन्द्र पर उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों के सामने मतदान कराया जाता है। उन्होंने कहा,“ कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने महाराष्ट्र चुनाव के अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुष्ट आरोप नहीं लगाया था।”सूत्रों ने कहा कि मतदाता सूचियों को तैयार करने और उनमें संशोधन के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार बकायदा एक प्रतिक्रिया तैयार की जाती हैं।

उन्होंने कहा, “ कानून के अनुसार, चुनावों से ठीक पहले और/या हर साल एक बार मतदाता सूचियों का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति कांग्रेस सहित सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों उपलब्ध करायी जाती है।”उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, कुल 9,77,90,752 मतदाताओं के मामले मु प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (डीएम) के समक्ष केवल 89 अपीलें और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (सीईओ) के समक्ष केवल एक अपील आयी थी।आयोग के अधिकारियों ने कहा कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की कोई शिकायत नहीं थी। मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान, 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए, ईआरओ द्वारा नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों द्वारा 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गए थे जिनमें कांग्रेस द्वारा 27,099 शामिल थे।

उन्होंने कहा,“महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं।”उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने गत 24 दिसंबर ही कांग्रेस के एक पत्र के जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। बाजजूद इसके बार-बार ऐसे मुद्दे उठाना ठीक नहीं है।आयोग के एक अधिकारी ने श्री गांधी का नाम लिए बगैर कहा,“किसी के द्वारा फैलाई जा रही कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर है, बल्कि उसके अपने दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों और लाखों चुनाव कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला कृत्य है जो चुनावों के दौरान बड़ी मेहनत और पारदर्शी से काम करते हैं।”उन्होंने कहा कि चुनाव में मतदाताओं का सामूहिक फैसला प्रतिकूल हो जाने पर सुस्थापित चुनाव प्रक्रिया और चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है।”श्री गांधी के बयान की केंद्र में सत्तारूढ भारतीय जतना पार्टी और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंदन की घटक शिवसेना भी आलोचना की है।(वार्ता)

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