मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक गतिविधियों में जारी तेजी एवं आगे महंगाई बढ़ने के जोखिम का हवाला देते हुये आज लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला किया है जिससे ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाये आम लोगों को निराशा हाथ लगी है।वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 8.2 प्रतिशत कर दर ये बढ़ने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि इस बार रिजर्व बैंक ब्याज दरोें में कुछ राहत देगा जिससे होम लोन, कार लोन और अन्य तरह के ऋणों पर ब्याज दरें कम हो सके।
हालांकि रिजर्व बैंक के इस निर्णय से लोगों को निराशा हाथ लगी है। मई 2022 से 250 आधार अंकों तक लगातार छह बार की वृद्धि के बाद पिछले वर्ष अप्रैल में दर वृद्धि चक्र को रोक दिया गया और यह अभी भी इसी स्तर पर है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मौद्रिक नीति को यथावत बनाए रखने का फैसला किया है। समिति के छह में से चार सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है। इसके मद्देनजर रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख नीतिगत दरें यथावत हैं और समायोजन के रूख को वापस लेने का निर्णय लिया है।
समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है।श्री दास ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 31 मई, 2024 को जारी अनंतिम अनुमानों के अनुसार, 2023-24 की चौथी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 7.8 प्रतिशत रही, जबकि तीसरी तिमाही में यह 8.6 प्रतिशत थी। 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
घरेलू गतिविधि के उच्च आवृत्ति संकेतक 2024-25 में लचीलापन दिखा रहे हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है, जो कृषि और ग्रामीण मांग के लिए अच्छा संकेत है। विनिर्माण और सेवा गतिविधि में निरंतर गति के साथ, इससे निजी खपत में पुनरुद्धार होने की संभावना है। उच्च क्षमता उपयोग, बैंकों और कॉरपोरेट की स्वस्थ बैलेंस शीट, बुनियादी ढांचे पर खर्च पर सरकार का निरंतर जोर और कारोबारी भावनाओं में आशावाद के साथ निवेश गतिविधि पटरी पर रहने की संभावना है। विश्व व्यापार की संभावनाओं में सुधार बाहरी मांग को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-आर्थिक विखंडन से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियां जोखिम पैदा करती हैं।
उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही 7.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही 7.2 प्रतिशत रहेगी । जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। पिछली बार रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7 प्रतिशत बताया था।उन्होंने कहा कि फरवरी 2024 से खुदरा मुद्रास्फीति में क्रमिक रूप से कमी देखी गई है, हालांकि फरवरी में 5.1 प्रतिशत से अप्रैल 2024 में 4.8 प्रतिशत तक सीमित दायरे में। सब्जियों, दालों, अनाज और मसालों में मुद्रास्फीति के दबाव के बने रहने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है।
मार्च-अप्रैल के दौरान ईंधन की कीमतों में गिरावट और भी बढ़ गई, जो एलपीजी की कीमतों में कटौती का असर था। अप्रैल में कोर (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति और भी कम होकर 3.2 प्रतिशत हो गई, जो वर्तमान सीपीआई श्रृंखला में सबसे कम है, साथ ही कोर सेवाओं की मुद्रास्फीति भी ऐतिहासिक रूप से कम हो गई है।उन्होंने कहा कि प्रतिकूल जलवायु घटनाओं से उत्पन्न होने वाले झटके खाद्य मुद्रास्फीति के लिए काफी अनिश्चितता पैदा करते हैं। कीमतों में हाल ही में तेज उछाल के मद्देनजर प्रमुख रबी फसलों, विशेष रूप से दालों और सब्जियों की बाजार में आवक पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।
हालांकि, सामान्य मानसून वर्ष के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम कर सकता है। इनपुट लागत से दबाव बढ़ना शुरू हो गया है और रिजर्व बैंक द्वारा सर्वेक्षण किए गए उद्यमों के शुरुआती परिणामों से बिक्री की कीमतों में मजबूती रहने की उम्मीद है। कच्चे तेल की कीमतों और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता के साथ-साथ गैर-ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों में मजबूती मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा करती है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.5 प्रतिशत रहेगी । जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
चालू वित्त वर्ष में एफपीआई ने बाजार से निकाल लिए पांच अरब डॉलर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज बताया कि चालू वित्त वर्ष की शुरूआत से 05 जून तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश्कों (एफपीआई) ने घरेलू बाजार में पांच अरब डॉलर की बिकवाली की है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बताया कि बाहरी वित्तपोषण के मामले में वित्त वर्ष 2023-24 में एफपीआई के निवेश प्रवाह में उछाल आया और शुद्ध एफपीआई निवेश 41.6 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि वित्त वर्ष 2024-25 की शुरूआत से लेकर 05 जून तक एफपीआई ने पांच अरब डॉलर की शुद्ध बिकवाली की है।
श्री दास ने बताया कि वर्ष 2023 में भारत ने एशिया प्रशांत में ग्रीनफील्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी। वित्त वर्ष 2023-24 में सकल एफडीआई मजबूत रहा लेकिन शुद्ध एफडीआई में कमी आई। बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और गैर-निवासी जमाओं में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक शुद्ध अंतर्वाह दर्ज किया गया। ईसीबी समझौतों की मात्रा में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।आरबीआई गवर्नर ने बताया कि व्यापार घाटे में कमी, सेवा निर्यात में मजबूत वृद्धि और मजबूत प्रेषण के साथ वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में चालू खाता घाटा में कमी आने की उम्मीद है।
भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के अभूतपूर्व उदय ने भारत के सॉफ्टवेयर और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है। भारत – 2024 में विश्व प्रेषण में अपेक्षित 15.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वैश्विक स्तर पर रेमिटेंस का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है। कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए चालू खाता घाटा अपने संधारणीय स्तर के भीतर रहने की उम्मीद है।श्री दास ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक नया मील का पत्थर छूते हुए 31 मई 2024 तक 651.5 अरब डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। भारत का बाहरी क्षेत्र लचीला बना हुआ है और प्रमुख बाहरी संकेतक लगातार बेहतर हो रहे हैं। कुल मिलाकर, हम अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकताओं को आराम से पूरा करने के प्रति आश्वस्त हैं।
आरबीआई के रिजर्व बफर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि
भारतीय रिजर्व रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने के साथ ही रिजर्व बफर को भी 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है।रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद उसके निर्णय की जानकारी देते हुये कहा कि चूंकि अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली बनी हुई है, इसलिए केन्द्रीय बोर्ड ने इस अवसर का उपयोग आकस्मिक रिजर्व बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान को 2022-23 के 6.0 प्रतिशत से बढ़ाकर 2023-24 के लिए रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट का 6.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
इससे रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट और मजबूत होगी।उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) द्वारा चालू वित्त वर्ष में पांच जून तक 5 अरब डॉलर की निकासी किये जाने के दबाव में कारोबार करने के बावजूद भारतीय रुपया 2024-25 के दौरान अब तक (5 जून तक) कम अस्थिरता के साथ सीमित दायरे में है। रुपये की सापेक्ष स्थिरता भारत की मजबूत और लचीली आर्थिक बुनियादी बातों, व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता और बाहरी दृष्टिकोण में सुधार का प्रमाण है।श्री दास ने कहा कि रिज़र्व बैंक वित्तीय बाजारों और इसके द्वारा विनियमित संस्थानों के सभी क्षेत्रों में स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।(वार्ता)