मुबई : भारतीय रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने वाले संजय मल्होत्रा ने अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में नीति में स्थिरता और निरंतरता की आवश्यकता पर जोर दिया लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस गतिशील दुनिया में चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्रीय बैंक को ‘सतर्क और चुस्त’ रहना होगा।
श्री मल्होत्रा ने कहा “ नीति में स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है। यह कुछ ऐसा है कि मेरी पिछली भूमिका में भी हम नीति में स्थिरता और निरंतरता देने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए, चाहे वह कराधान हो, या राजकोषीय या मौद्रिक नीति, सभी व्यवसायों, सभी लोगों को इस निरंतरता और स्थिरता की आवश्यकता होती है। जबकि स्थिरता महत्वपूर्ण है, हम यह भी जानते हैं कि दुनिया भू-राजनीतिक तनावों, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और दुनिया भर में राजनीतिक अनिश्चितता के साथ गतिशील है। हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहना होगा कि जब हम निरंतरता और स्थिरता बनाए रखते हैं, तो हम उससे चिपके नहीं रह सकते।
”पूर्व राजस्व सचिव और अब अपनी नयी भूमिका में आये श्री मल्होत्रा ने कहा “ हमारी अर्थव्यवस्था को विकसित होने की जरूरत है क्योंकि हम इस अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं और 2047 में विकासशील भारत के सपने को साकार करना है। हमारे पास यह सुनिश्चित करने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि इस देश में जो विकास हो रहा है वह जारी रहे।” उन्होंने ने कहा कि आरबीआई एक प्रतिष्ठित संस्था है और इसकी विरासत बहुत बड़ी है, इसने पिछले कुछ वर्षों में कुछ ‘सराहनीय कार्य’ किए हैं। उन्होंने कहा कि वह इस विरासत को बनाए रखेंगे और इसे आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन को गहरा करना भी एक प्रमुख फोकस बना रहेगा।
श्री मल्होत्रा ने कहा “ यहां केंद्रीय बैंक की सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक वित्तीय समावेशन का प्रसार करना है। हमने वित्तीय समावेशन में बहुत प्रगति की है, खासकर देश के हर कोने में बैंकों को उपलब्ध और सुलभ बनाने के संबंध में। लेकिन, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।”उन्होंने कहा कि वित्तीय नियामकों और केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है ताकि वित्तीय समावेशन का लाभ सभी तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि लागत कम करने और वित्तीय समावेशन को और अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है, यह भी एक प्रमुख स्तंभ होगा जिस पर वे काम करेंगे।(वार्ता)
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