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गंगा दशहरा स्नान पर्व में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

गंगा दशहरा पर लाखो श्रद्धालुओं ने लगाई धोपाप में डुबकी

हरिद्वार : उत्तराखंड के धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा दशहरा स्नान पर्व के मौके पर रविवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आकर गंगा स्नान करने हर की पौड़ी सहित गंगा घाटों पर पहुँचे तथा डुबकियां लगायीं।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटा से होते हुए पृथ्वी लोक पर अवतरित हुई थी। इन मान्यताओं कों लेकर आज ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरे के नाम से जाना जाता है। आज के दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने पूरे मेला क्षेत्र को तीन सुपर जॉन नौ जोन और 21 सेक्टरों में बाटा गया है जिसमें पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।

इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से जाने अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है और श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है इसी दिन को गंगा अवतरण दिवस गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।हरिद्वार गंगा घाटों पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि आज हम यहां हरिद्वार गंगा स्नान करने के लिए पहुंचे हैं क्याेंकि गंगा दशहरे के मौके पर गंगा स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा किए गए जाने अनजाने में सभी पापों से मुक्ति मिलती है आज गंगा स्नान कर कर बहुत अच्छा लग रहा है।

गंगा दशहरा पर लाखो श्रद्धालुओं ने लगाई धोपाप में डुबकी

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में आदिगंगा गोमती के तट पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ‘धोपाप’ में गंगा दशहरा के पर्व पर रविवार को तड़के से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान कर प्राचीन श्रीराम जानकी मंदिर में विधि विधान से पूजन- अर्चना की। सुलतानपुर के सीताकुण्ड घाट पर भी श्रद्धालुओ ने डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने यहाँ अन्न दान, पिंड दान तथा गौ दान कर पुण्य भी अर्जित किया।उल्लेखनीय है कि त्रेता युग में भगवान राम के आगमन से चर्चित हुए धोपाप में स्नान के जरिए पापो से मुक्ति व् पुण्यो का अर्जन केवल धोपाप में ही संभव है। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूरी पर लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग पर तहसील लम्भुआ मुख्यालय से आठ किमी दूर धोपाप तीर्थस्थल पर स्नान के लिए भीड़ कल शाम से ही पहूँच गई।

आज भोर से ही श्रद्धालुओं का सैलाब स्नान के लिए घाट की ओर निकल पड़ा। स्नान के लिए जिले ही नहीं पडोसी जनपद प्रतापगढ़, अमेठी,अम्बेडकर नगर, फैजाबाद, बस्ती, आजमगढ़ व जौनपुर के श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन किया।जनश्रुतियो के अनुसार लंका विजय व रावण बध के उपरांत ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने इसी स्थल पर स्नान किया था। ऋषियों की सलाह पर ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए पत्तो से बने बर्तन में एक काला कौआ बैठाकर छोड़ा गया, इसी स्थल पर पहुँचते ही कौए का रंग सफेद हो गया, तब इसी स्थल का चयन कर स्नानोपरांत भगवान राम ब्रह्महत्या से मुक्त हो गए। भगवान राम ने यहाँ दीपदान किया। तभी से पापो से मुक्ति पाने के लिए श्रद्धालु यहाँ प्रत्येक गंगा दशहरा के पर्व पर स्नान के लिए उमड़ पड़ते है।

भीषण तपिश व गर्मी पर भक्तों की आस्था हावी दिखी। भोर तीन बजे से ही शुरू हुआ स्नान दान सुबह होते-होते बढ़ गया। दस बजे तक भीषण धूप व गर्मी के बावजूद हजारों लोग स्नान करने के लिए धोपाप घाट पर डटे हैं। यह भीड़ बढ़ती ही जा रही है। वहीं, प्रशासनिक अमला धाम पर डटा हुआ हैं। विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों की ओर से यहां भंडारा, पानी वितरण व खोया पाया शिविर लगाया गया है। गंगा दशहरा पर्व पर जो लोग धोपाप नहीं पहुंच पाए। उन्होंने अपने स्थानीय घाटो पर ही स्नान दान किया। शहर के सीताकुंड घाट पर सुबह से ही भीड़ रही। यहां पर हजारों लोगों ने स्नान दान किया। घाट पर मौजूद पुरोहितों के माध्यम से पूजा पाठ कर गोदान किया। यहां पर गोमती मित्र मंडल के स्वयं सेवक मेलार्थियों की सेवा में डटे रहे। इसी तरह दियरा घाट, कुड़वार घाट आदि घाट पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

गंगा दशहरा पर हजारों श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी

पटना : गंगा दशहरा के अवसर पर बिहार में हजारों श्रद्धालुओं ने आज गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगायी तथा मंदिरों में पूजा-अर्चना की।गंगा दशहरा के अवसर पर राजधानी पटना में देर रात से ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो अभी तक जारी है। सुबह होते ही श्रद्धालु ‘हर-हर गंगे, जय गंगा मैया, हर-हर महादेव’ के जयकारे के साथ गंगा में डुबकी लगाने लगे। स्नान के बाद लोगों ने विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की और दान किया। मंदिरों में भी अन्य दिनों की अपेक्षा पूजा-अर्चना करने वालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।(वार्ता)

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