Varanasi

#Kashi_Tamil_Sangamam : हरहर महादेव शंभू, काशी विश्वनाथ गंगे गीत पर झूमे श्रद्धालु

वाराणसी । काशी तमिल संगमम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथियटर मैदान में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में हरहर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे गीत पर श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूमते रहे। महोत्सव के पांचवीं निशा में वाराणसी के संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल के छात्रों ने हर हर महादेव शंभू” गीत से शुरुआत की। दूसरी प्रस्तुति में बालिकाओं ने शिव विवाह एवं शिव पार्वती के रौद्र रूप की लीला पर नृत्य नाटिका पेश की। इस प्रस्तुति को तमिलनाडु और क्षेत्रीय भाषा दोनों में प्रस्तुत किया गया।

महोत्सव में तमिलनाडु से मुत्तु चंद्रन त्ववाली के नेतृत्व में (तोलपावा कुथु) कठपुतली नृत्य, दक्षिण भारत सभ्यता में भगवान राम के चरित्रों की प्रस्तुति की। तमिलनाडु के लोक-गीत एवं लोक नृत्य का मंचन एस ज़ेविओट जयकुमार कराकुड ने किया। इसी तरह कलईमामणि प्रिया मुरली के नेतृत्व में भरत नाट्यम की प्रस्तुति हुई। इसके बाद तमिलनाडु के कलईमामणि यू के नेतृत्व में दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मयूर एवं बुल डांस की प्रस्तुति की गयी। सांस्कृतिक निशा में बतौर मुख्य अतिथि राजा षणमुगम अध्यक्ष, मैसर्स वारसॉ इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ कंपनीज एवं उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु ‘ भी मौजूद रहे। उधर,बड़ालालपुर स्थित हस्तकला संकुल सभागार में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति हुई।

तमिलनाडु के हस्तशिल्पियों ने शिल्प संग्रहालय का किया अवलोकन

‘काशी-तमिल संगमम’ में तमिलनाडु से आये हस्त शिल्पियों ने बुधवार को बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में शिल्प संग्रहालय का अवलोकन किया। हस्तशिल्पियों ने हस्तकला संकुल परिसर में प्रदर्शित हथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों, लूमों के सजीव प्रदर्शन को भी देखा। इसके बाद संकुल के सभागार में आयोजित काशी तमिलनाडु शिल्पी संबंध प्रौधिगिकी एकीकरण विषयक सेमिनार में शामिल हुए। दो चरणों में सेमिनार में आये हस्तशिल्पियों को हथकरघा एवं हस्तशिल्प के विशेषज्ञों ने उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए जानकारी दी।

बतौर मुख्य अतिथि प्रबन्ध निदेशक अद्वैत टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड और अध्यक्ष, दक्षिण भारतीय मिल्स संगठन रवि सैम ने दीप चलाकर सेमिनार का उद्घाटन किया। संयुक्त निदेशक, हथकरघा तन्जापुर एस. सेल्यम, जी.आई. विशेषज्ञ पद्मश्री रजनीकांत, पद्मश्री श्रीमाष चन्द्र सुपकार ने भी हथकरघा बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों को सम्बोधित किया। इसके पहले तमिलनाडु से आये हस्तशिल्पियों को पुष्पवर्षा के बीच पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। सेमिनार के द्वितीय चरण की अध्यक्षता टी राजकुमार, निदेशक, शक्ति ग्रुप तथा अध्यक्ष, भारतीय वस्त्र उद्योग महासंघ ने की। मुख्य वक्ता वेंकटेश राजा, तंजाउर पेंटिंग आर्टिस्ट तथा एस. भूपति, तंजाउर डाल उत्पादक ने भी आवश्यक जानकारी दी।

सेमिनार का संचालन सी. मुथ्थूसामी क्षेत्रीय निदेशक (द.क्षे.) ने किया। सेमिनार में भारत सरकार/राज्य सरकार के अधिकारी उमेश कुमार सिंह, संयुक्त आयुक्त उद्योग, डॉ पी. थेन्नेरेस, निदेशक, भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान, संदीप पु. दुबरीकर उप निदेशक एवं कार्यालय प्रमख बुनकर सेवा केन्द्र अब्दुल्ला सहायक निदेशक (हस्तशिल्प), हस्तशिल्प सेवा केन्द्र, गोपेश कुमार मौर्य, सहायक निदेशक (हस्तशिल्प), दीनदयाल हस्तकला संकुल एवं अरूण कुमार कुरील आदि भी उपस्थित रहे।

काशी तमिल संगमम: प्रदर्शनी में काशी की दुर्लभ देव मूर्तियां लोगों में आकर्षण का केंद्र बनीं

‘काशी तमिल संगमम’ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एंफीथिएटर ग्राउंड में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से आयोजित प्रदर्शनी भी मेहमानों को अपनी ओर खींच रही है। काशी और तमिलनाडु के 90 प्राचीन मंदिरों और देवी-देवताओं के मूर्तियों की प्रदर्शनी लोगों को अलग एहसास करा रही है। इसमें वाराणसी के 29 और 61 मंदिर तमिलनाडु के हैं।

प्रदर्शनी में तमिलनाडु के मंदिरों की भव्यता और बनावट देखते ही बनती है। काशी की दुर्लभ देव मूर्तियां भी लोगों को अपनी ओर खींच रही है। कुल 90 छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं, जिसमें लगभग 61 छायाचित्र तमिलनाडु के और 29 काशी के हैं। प्रदर्शनी के जरिये संदेश दिया गया है कि काशी और तमिलनाडु का बड़ा ही गहरा नाता रहा है। तमिलनाडु में अधिकतर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। दक्षिण भारत के जो मंदिर है वह मूल रूप से द्रविड़ परंपरा के हैं। उत्तर भारत के जो मंदिर हैं वह नागर शैली के मंदिर हैं। नागर शैली के मंदिरों में गर्भ गृह के ऊपर शिखर होता है। द्रविड़ संस्कृति के मंदिरों में उनका प्रवेश द्वार सबसे विशाल होता है और उसमें एक खास प्रकार की नक्काशी होती है।(हि.स.)।

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