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भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली संस्थाओं को रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार को विकसित भारत की दिशा में बड़ी बाधा करार देते हुए कहा कि हमें एक ऐसा प्रशासनिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखता हो। उन्होंने कहा कि भ्रष्टचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) जैसे संगठनों को रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है।प्रधानमंत्री गुरुवार को विज्ञान भवन में सीवीसी के नए शिकायत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल का शुभारंभ करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह पोर्टल नागरिकों को उनकी शिकायतों की स्थिति के बारे में नियमित अपडेट के माध्यम से शुरू से अंत तक जानकारी प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों पर सरकारी विभागों की रैंकिंग का सुझाव देते हुए कहा कि मिशन मोड पर सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही को अंतिम रूप देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों को किसी भी कीमत पर भागने नहीं दिया जाना चाहिए, उन्हें राजनीतिक और सामाजिक सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए।उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक ऐसी बुराई है जिससे हमें दूर रहना चाहिए। गुलामी के लंबे कालखंड से हमें भ्रष्टाचार, शोषण, संसाधनों पर नियंत्रण की जो विरासत मिली, उसको दुर्भाग्य से आजादी के बाद और विस्तार मिला। लेकिन आजादी के इस अमृतकाल में हमें दशकों से चली आ रही इस परिपाटी को पूरी तरह बदल देना है। 15 अगस्त को लाल किले से भी मैने कहा है कि बीते आठ वर्षों की श्रम-साधना के बाद अब भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय आ गया है।

मोदी ने कहा कि हमारे देश में भ्रष्टाचार की और देशवासियों को आगे बढ़ने से रोकने वाली दो बड़ी वजह रही है। एक सुविधाओं का अभाव और दूसरा सरकार का अनावश्यक दबाव। हम बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। मांग और आपूर्ति की खाई को भरने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हमने तीन रास्ते चुने हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता दूसरा, मूलभूत सुविधाओं के संबंध में संतृप्ति (सैचुरेशन) स्तर तक पहुंचने का लक्ष्य और आत्मनिर्भरता का रास्ता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा हर योजना में सैचुरेशन के सिद्धांत को अपनाया गया है।मोदी ने कहाकि किसी भी सरकारी योजना के हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचना, सैचुरेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करना समाज में भेदभाव भी समाप्त करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को भी खत्म कर देता है। हमारी सरकार द्वार प्रत्येक योजना में सैचुरेशन के सिद्धांत को अपनाया है। हर घर जल, हर गरीब को पक्की छत, बिजली और गैस कनेक्शन जैसी योजनाएं सरकार की इसी अप्रोच को दिखाती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए जो ज़ोर लगा रहे हैं, उससे घोटालों का स्कोप भी समाप्त हो गया है। राइफल से लेकर फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तक आज भारत खुद बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।उन्होंने कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती से शुरु हुआ है। उन्होंने अपना पूरा जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और इससे प्रेरित सार्वजनिक सेवा के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। इसी प्रतिबद्धता के साथ सतर्कता को लेकर जागृति का ये अभियान चलाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग हर साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह आयोजित करता है। इस वर्ष, यह 31 अक्टूबर से 6 नवंबर तक एक विकसित राष्ट्र के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत विषय के साथ मनाया जा रहा है।प्रधानमंत्री सतर्कता जागरूकता सप्ताह के उपरोक्त विषय पर सीवीसी द्वारा आयोजित एक राष्ट्रव्यापी निबंध प्रतियोगिता के दौरान सर्वश्रेष्ठ निबंध लिखने वाले पांच छात्रों को भी पुरस्कार प्रदान किया।(हि.स.)

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