भारत-आसियान कोविड के बाद की दुनिया में आर्थिक सुधार में अग्रणी भूमिका निभाएंगे: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत-आसियान कोविड के बाद की दुनिया में आर्थिक सुधार में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य धैर्य, साहस और नई ऊंचाइयों को छूने के संकल्प के समान गुणों के कारण भविष्य उन्हीं का है। आसियान के उद्यमियों के साथ भारत आसियान महिला बिजनेस फोरम तथा एफएलओ मुंबई चैप्टर और फिक्की द्वारा आयोजित सीमा पार संवादों को संबोधित करते हुए अपने मुख्य भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत और आसियान के बीच घनिष्ठ व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक रिश्तों के कारण, ये क्षेत्र कोविड के बाद की दुनिया में आर्थिक सुधार में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को आसियान के साथ व्यापारिक एवं व्यावसायिक संबंधों के संवर्धन में विशेष भूमिका निभानी है क्योंकि यह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए ‘लुक ईस्ट‘ नीति को ‘एक्ट ईस्ट‘ नीति में बदल दिया है।
कनेक्टिविटी मुद्दों का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान सड़क, रेल एवं वायु संपर्क के लिहाज से उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिससे न केवल पूरे क्षेत्र में बल्कि देश के भीतर भी वस्तुओं एवं व्यक्तियों की आवाजाही को सुगम बनाने में मदद मिली है। उन्होंने स्मरण किया कि इंकलेवों के विनिमय के लिए भारत-बांग्लादेश समझौता जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संपन्न किया गया, ने व्यवसाय करने की सुगमता, आवाजाही और अभिगमन की सरलता का रास्ता प्रशस्त कर दिया जो पहले एक दुष्कर कार्य था। उन्होंने कहा कि जल्द ही बांग्लादेश से त्रिपुरा तक रेलगाड़ी चलेगी जो पूरे क्षेत्र को समुद्री बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान करने के जरिये इस क्षेत्र के विकास में नए अध्याय जोड़ेगी तथा नये रास्ते खोलेगी। उन्होंने भारत सरकार के परिवहन के वैकल्पिक रास्तों की खोज करने पर जारी फोकस को भी रेखांकित किया जो व्यापार, व्यवसाय तथा परिवहन के किफायती विकल्प के रूप में इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अंतरदेशीय जलमार्ग (ब्रह्मपुत्र से बंगाल की खाड़ी) के द्वारा जुड़ेगा। उन्होंने कहा कि सीमा पार के देशों, विशेष रूप से पूर्वी पड़ोसियों के साथ हमारे व्यापार में उल्लेखनीय बढोतरी करेगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में महिलाओं तथा महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निभाई गई सर्वांगीण विकास संबंधी भूमिका का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह महिला मुक्ति और महिला सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी, पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं ने बड़े पैमाने पर सैनिटाइजर और सुंदर मास्क के निर्माण एवं वितरण में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने महामारी के खिलाफ मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया है और पूर्वोत्तर क्षेत्र को कोरोना प्रबंधन के एक मॉडल के रूप में उभारने में सहायता की है।
अपनी समापन टिप्पणियों में डॉ. जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जताई कि बांस कोविड के बाद की दुनिया में आर्थिक सुधार में अहम भूमिका निभाएंगे और भारत तथा आसियान एक साथ मिल कर जीवन के सभी पहलुओं में इसकी पूरी क्षमता का उपयोग करेंगे। इस संबंध में, उन्होंने 100 वर्ष पुराने भारतीय वन अधिनियम में 2017 में मोदी सरकार द्वारा लाए गए संशोधन का उल्लेख किया जिसके परिणामस्वरूप, घरेलू स्तर पर उगाए गए बांस को इससे छूट दे दी गई है जिससे कि बांस के जरिये आजीविका अवसरों को बढ़ाया जा सके। पूर्वोत्तर में पर्यटन क्षेत्र के लिए अपनी आशावादिता को साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि जब विश्व का प्रमुख पर्यटन स्थल अभी भी कोरोना से संक्रमित बना हुआ है, पूर्वोत्तर क्षेत्र वास्तव में कोरोना मुक्त होने के कारण विश्व के पर्यटन गंतव्य के रूप में उभर कर आ सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर महिलाओं के लिए भारत-आसियान संयुक्त व्यवसाय गठबंधन भी लॉन्च किया। मंत्री को सतत विकास के लिए उनकी चिंताओं के लिए हरित प्रमाणपत्र से भी पुरस्कृत किया गया। वेबीनार में फिलीपींस, आसियान चेयर की पेसिता जुआन, म्यांमार की माखिनेजाव, मलेशिया की नादिरा यूसुफ, इंडिया चेयर, इंडिया आसियान वीमेंस बिजनेस फोरम विनीता बिम्भेंट, एफएलओ की राष्ट्रीय अध्यक्ष जहनबी फूकन तथा जयश्री दास वर्मा एवं अन्य लोगों ने भाग लिया।