
भारत के दुनिया के 7 सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज रहने की उम्मीद है। यह बात विश्व बैंक ने एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था में अपने विश्वास की पुष्टि करते हुए कही है। प्रत्येक भारतीय के लिए यह गौरव करने की बात है। गौरतलब हो, यह तब संभव हो पाया है जब केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी और देश के चहुमुखी विकास का कार्य प्रारंभ हुआ।
2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था दर 6.6% बढ़ने की उम्मीद
गौरतलब हो, वैश्विक ऋणदाता ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के सात सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने की उम्मीद है। वर्ल्ड बैंक ने 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई है। यदि विश्व बैंक की ये भविष्यवाणी सच साबित हुई तो वैश्विक महामंदी के दौर में विश्व में भारत अन्य देशों की तुलना में आर्थिक विकास की गति में सबसे आगे रहेगा।
भारत अब एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा
ज्ञात हो बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने चालू वित्त वर्ष में GDP वृद्धि दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। बता दें 1.2 अरब से अधिक जनसंख्या वाला देश भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यदि पिछले दशक की बात करें तो इसी दौरान साल 2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी। उनकी सरकार के द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों और नए नियमों के बलबूते भारत विश्व की अर्थव्यवस्था से और अधिक जुड़ सका, जिसका परिणाम यह हुआ कि देश का आर्थिक विकास तेजी से हुआ। इसके बाद से भारत अब एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा है।
वर्ल्ड बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था में जताया विश्वास
बता दें, भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद के साथ वर्ल्ड बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना विश्वास जताया है। वहीं विश्व बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक निराशाजनक दृष्टिकोण का अनुमान लगाया था। दरअसल, विश्व बैंक ने इस वर्ष वैश्विक विकास के अपने पूर्वानुमान को 3% के अपने पिछले अनुमान से लगभग आधा घटाकर केवल 1.7 प्रतिशत कर दिया।
इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के करीब
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी के करीब आ जाएगी। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और चीन सहित दुनिया की सभी शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर वृद्धि का अनुमान लगाता है। उधर बैंक ने कहा है कि वैश्विक मंदी के बीच भी वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
2022-23 की पहली छमाही में भारत की ग्रोथ रेट 9.7% रही
विश्व बैंक ने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में वार्षिक आधार पर भारत की वृद्धि 9.7 प्रतिशत बढ़ी है, जो मजबूत निजी खपत और निश्चित निवेश वृद्धि को दर्शाती है।
भारत में प्राइवेट कंजप्शन और निवेश की समस्या का निकलेगा हल
भारत के विकास की गति को देखते हुए आगामी समय में भारत में प्राइवेट कंजप्शन और निवेश की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में इस समस्या का समाधान भी निकल जाएगा। विश्व बैंक ने बताया है कि चुनौतीपूर्ण बाह्य वातावरण के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने लचीलेपन का प्रदर्शन किया है। पिछले एक दशक में भारत की बाह्य स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है। चालू खाता घाटा पर्याप्त रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार और विदेशी मुद्रा भंडार की एक ठोस बुनियाद (भारत का अंतरराष्ट्रीय भंडार दुनिया की सबसे बड़ी होल्डिंग्स में से एक है) द्वारा वित्तपोषित है।
सरकार के नीतिगत सुधारों और विवेकपूर्ण नियामक उपायों का नतीजा
नीतिगत सुधारों और विवेकपूर्ण नियामक उपायों ने भी अर्थव्यवस्था में लचीलापन विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बाजार उधार पर बढ़ती निर्भरता ने राजकोषीय नीति की पारदर्शिता और विश्वसनीयता में सुधार किया है और सरकार ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिए निवेशक आधार को विविधीकृत किया है। पिछले दशक के दौरान एक औपचारिक मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की शुरुआत मौद्रिक नीति निर्णयों को विश्वसनीयता प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।