Varanasi

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मंगलवार को सुनवाई जारी रहेगी

प्रतिवादी पक्ष की जबाबी बहस शुरू, जिला जज तय करेंगे कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं

वाराणसी । ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में सोमवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में केस के मेरिट पर सुनवाई हुई। वादी पक्ष की दलीलों पर प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता ने जवाबी बहस की। न्यायालय में प्रतिवादी पक्ष की बहस मंगलवार को भी जारी रहेगी।

सुनवाई में प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता शमीम अहमद ने जवाबी बहस में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है। यह वक्फ संपत्ति के तौर पर ही दर्ज भी है। अधिवक्ता ने कहा कि मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड को है। प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता के दलीलों के पूरा होने पर वादी पक्ष के अधिवक्ता भी बहस का जबाब देंगे। इसके बाद जिला जज तय करेंगे कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं। उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के आदेश पर जिला जज की अदालत में सीपीसी ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत सुनवाई हो रही है।

पिछले दो सुनवाइयों में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के प्रमुख वकील अभयनाथ यादव के निधन का हवाला देते हुए कोर्ट में इस मामले की नए सिरे से तैयारी के लिए समय मांगा गया था। सुनवाई में लगातार तारीख को बढ़ाने की मांग को देखते हुए अदालत ने प्रतिवादी पक्ष से नाराजगी जाहिर करते हुए उन पर 500 रुपये का हर्जाना भी लगाया था।

अधिवक्ता अभय यादव के निधन का हवाला देकर अंजुमन इंतेजामिया ने योगेंद्र सिंह मधु बाबू और शमीम अहमद का वकालत नामा दाखिल कर बहस की तैयारी के लिए 10 दिन के समय की मांग कर स्थगन प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर जिला जज ने नाराजगी जताई थी । उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सुनवाई की जा रही है जिसे विलंबित किया जा रहा है। कोर्ट ने सिर्फ दो दिन का मौका देते हुए हर्जाना लगाया और सुनवाई की तिथि 22 अगस्त नियत की थी। प्रकरण में दिल्ली की राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी स्थित माता श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के दर्शन की अनुमति मांगी है।

वादी पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील है कि दर्शन पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए। श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है। दावा ज्ञानवापी की जमीन पर नहीं है। दावा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है। देवता की संपत्ति नष्ट नहीं होती है। मंदिर टूट जाने से उसका अस्तित्व समाप्त नहीं होगा। वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी। साल 1993 में तत्कालीन सरकार ने अचानक बैरिकेडिंग लगाकर दर्शन और पूजा बंद करा दिया था।(हि.स.)

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