
ज्ञानवापी पूजा स्थल कानून है, प्रार्थना स्थल कानून नहीं-अश्वनी उपाध्याय
ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनने की होड़, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने दाखिल की याचिका
वाराणसी । ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में पक्षकार बनने की होड़ मच गई है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने भी जिला जज की अदालत में पक्षकार बनने के लिए याचिका दाखिल की। इस मामले में अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए चार जुलाई की तिथि तय की है। याचिका निखिल उपाध्याय और रुद्र विक्रम सिंह की ओर से अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने दायर किया है। अधिवक्ता ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 के मसले पर सुनवाई के लिए अदालत से अनुरोध किया है।
याचिका दायर करने के बाद अश्वनी उपाध्याय ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष एक ही बात कहता है कि यह प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 के तहत कवर्ड है। हमने इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में भी चैलेंज किया है। इसलिए हमने कोर्ट से कहा कि वह हमारा भी पक्ष सुनें। ज्ञानवापी पूजा स्थल कानून है, प्रार्थना स्थल कानून नहीं है। उन्होंने बताया कि मंदिर में पूजा होती है और मस्जिद में प्रार्थना होती है। जिस तरह से महिला आयोग पुरुषों के लिए नहीं बना है, वैसे ही पूजा स्थल कानून मस्जिद के लिए नहीं बना है।
उन्होंने कहा कि जहां तक कानून की बात है, कोई भी कानून कोर्ट का दरवाजा नहीं रोक सकता है। कोई भी कानून ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं रोक सकता है। यह कानून न्याय के अधिकार को नहीं छीन सकता है। उन्होंने बताया कि पक्षकार बनने के साथ ही हमने न्यायालय से मांग की है कि एक दिन के लिए ज्ञानवापी में सभी मीडिया को जाने की इजाजत दी जाए। देश भर के चैनल वहां जाएं और जनता को भी बताएं कि सच्चाई क्या है।शिव कुमार शुक्ला ने भी जिला जज की अदालत में मंगलवार को ही याचिका दाखिला कर मां श्रृंगार गौरी मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है। इसके पहले सोमवार को पॉच अन्य लोगों ने भी इस मामले में पक्षकार बनने के लिए याचिका दायर की है। इस प्रकरण में अब तक 11 याचिका न्यायालय में दाखिल हो चुकी है।
जिला अदालत ने प्रमाणित कॉपी लेने से किया इनकार,चार जुलाई को आवेदन पर आदेश पारित होगा
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में सर्वे का वीडियो लीक होने के बाद वादी पक्ष की महिलाओं ने अपने अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी के जरिये मंगलवार को जिला जज की अदालत में सीलबंद प्रमाणित प्रतियां लौटाईं लेकिन जिला जज ने इसे स्वीकारने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में 4 जुलाई को आवेदन पर आदेश पारित करेंगे। वादी पक्ष की महिलाओं ने साजिश के तहत सर्वे का वीडियो और फोटो लीक होने का आरोप लगाया है। प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने न्यूज चैनल पर सर्वे का वीडियो वायरल होने की जांच कराने की अदालत से अपील की है। पक्षकारों की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर जिला जज की अदालत ने चार जुलाई को सुनवाई करने का मौखिक आदेश दिया।
उधर, लीक हुए वीडियो मामले में वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने मीडिया कर्मियों को बताया कि हमें सोमवार शाम करीब 6.30 बजे कोर्ट के जरिए सीलबंद लिफाफे में प्रमाणित कॉपी मिली। हमने शाम सात बजे एक पत्रकार वार्ता रखी और कहा कि यह अभी भी एक सीलबंद लिफाफे में है और हम इसे अदालत में वापस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मामला बहुत मजबूत है, हम अदालत के सामने साबित करेंगे कि मस्जिद को मंदिर तोड़कर बनाया गया था। हम अगली सुनवाई के लिए गुण-दोष तैयार कर रहे हैं। हमारे प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष द्वारा उठाए गए हर बिंदु के लिए हम तैयार हैं। जहां तक दीन मोहम्मद के फैसले का सवाल है, मेरा मानना है कि यह हम पर लागू नहीं होता, क्योंकि हिंदू इसके पक्षकार नहीं थे।
वीडियो लीक होने के मामले में वादी पक्ष के साथ ही पैरोकार विश्व वैदिक हिंदू सनातन संघ ने भी इस पर आपत्ति जताई है। प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी अदालत में आपत्ति दर्ज कराने के साथ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने वीडियो दिखाने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है।