
जनरल द्विवेदी ने सैन्य कमांडरों के साथ स्थिति की समीक्षा की, जवाबी कार्रवाई का आदेश दिया
एसआईए ने 20 स्थानों पर छापेमारी कर स्लीपर सेल मॉड्यूल का किया भंडाफोड़.संघर्ष विराम के चलते नियंत्रण रेखा पर जनजीवन सामान्य
नयी दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा शनिवार रात को संघर्ष विराम और हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के मद्देनजर पश्चिमी सीमाओं के सेना कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।सेना ने रविवार को बताया कि सेना प्रमुख ने दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए शनिवार को बनी सहमति के किसी भी उल्लंघन पर क्षेत्र में जवाबी कार्रवाई के लिए सेना कमांडरों को पूर्ण अधिकार प्रदान किए हैं।
उन्होंने सैन्य कमांडरों कमांडो को पाकिस्तान की किसी भी दुस्साहस मुंह तोड़ जवाब देने के लिए भी कहा है।उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान सेना ने कल शाम दोनों देशों की सेनाओं के बीच बनी सहमति के बावजूद जम्मू कश्मीर, गुजरात और अन्य क्षेत्रों में भारतीय ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की।
एसआईए ने 20 स्थानों पर छापेमारी कर स्लीपर सेल मॉड्यूल का किया भंडाफोड़
जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने रविवार को दक्षिण कश्मीर में 20 स्थानों पर छापेमारी के दौरान स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया।पुलिस ने कहा कि तकनीकी खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि कश्मीर में कई स्लीपर सेल अपने पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स के सीधे संपर्क में थे और व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल सहित मैसेजिंग ऐप के माध्यम से सुरक्षा बलों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के बारे में संवेदनशील और रणनीतिक जानकारी देने में शामिल थे।पुलिस ने कहा कि ये आतंकी सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी कमांडरों के इशारे पर ऑनलाइन कट्टरपंथी प्रचार में भी शामिल थे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित कर रहा था।
सिन्हा ने कुमार थापा के परिजनों से भेंट करके संवेदना जतायी
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार राजौरी के अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त डॉ. राज कुमार थापा के परिवार से मुलाकात की।उपराज्यपाल ने शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त की और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम करने वाले प्रतिष्ठित लोक सेवक को श्रद्धांजलि दी।श्री सिन्हा ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के विकास की प्रक्रिया में डॉ. थापा का योगदान बहुत बड़ा है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के साथ हैं। मैं दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।”डॉ. थापा शनिवार तड़के पाकिस्तानी गोलाबारी में शहीद हो गए। वह अपनी अटूट पेशेवर निष्ठा और लोगों के प्रति मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे।
संघर्ष विराम के चलते नियंत्रण रेखा पर जनजीवन सामान्य
कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, क्योंकि रविवार को एक पखवाड़े से अधिक समय में पहली बार नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर किसी भी सेक्टर से गोलीबारी की कोई खबर नहीं आई।भारतीय वायु सेना ने रविवार को जोर देकर कहा कि उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसे सौंपे गए कार्यों को सटीकता और व्यावसायिकता के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।विशेष रूप से सोशल मीडिया में चल रही अकालबाजियों और अफवाहें के मद्देनजर वायु सेना ने रविवार को सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा कि यह ऑपरेशन राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप सोच-समझकर और विवेकपूर्ण तरीके से संचालित किया गया। सेना ने कहा कि चूंकि ऑपरेशन अभी भी जारी है, इसलिए समय आने पर इस बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।वायु सेना ने सभी से अपील की है कि वह अटकलबाजी और अफवाहों से बचें और असत्यापित जानकारी का प्रसार न करें।
भारत और पाकिस्तान ने शनिवार शाम को संघर्ष विराम पर सहमति जताई, जिससे कई दिनों से सीमा पार से हो रही भीषण गोलाबारी खत्म हो गई, जिसके कारण हजारों निवासियों को सुरक्षित क्षेत्रों में पलायन करना पड़ा था।बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा पर कई गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।अधिकारियों ने पुष्टि की कि कश्मीर क्षेत्र में 350 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की कोई खबर नहीं है, जो बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों से होकर गुजरती है।उरी में लोग अपने घरों और मुख्य शहर की दुकानों पर लौटने लगे हैं।उरी के इरशाद अहमद ने , जो गोलाबारी के कारण तीन दिन पहले बारामुल्ला शहर चले गए थे कहा, “चार दिनों के बाद, यहाँ बाजार खुल गया है। शांति तो लौट आई है, लेकिन लोग अभी भी डरे हुए हैं। उम्मीद है कि यह शांति बनी रहेगी।” उसने कहा कि पिछले एक पखवाड़े में हुई हिंसा के दौरान कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और जनजीवन पटरी से उतर गया।
गिंगल के मंजूर अहमद ने कहा कि शत्रुता के दौरान बच्चों को सबसे खराब मनोवैज्ञानिक आघात का सामना करना पड़ा। उसने कहा, “जब 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के तुरंत बाद गोलाबारी शुरू हुई, तो हमने सोचा कि यह एक या दो दिन में खत्म हो जाएगी। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह दशकों में सबसे भारी गोलाबारी थी। हमारे बच्चे डर से काँप रहे थे। हमें उन्हें बारामुल्ला और श्रीनगर में रिश्तेदारों के घर भेजना पड़ा। वे इस आघात को कभी नहीं भूलेंगे।’मंजूर ने इस बात पर जोर दिया कि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो सीमावर्ती निवासियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। उसने कहा, “यह शांति अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी होनी चाहिए। केवल हम सीमावर्ती निवासी ही सही मायने में समझ सकते हैं कि तनाव का क्या मतलब है।
“केवल उरी में ही पिछले सप्ताह की गोलाबारी में एक महिला की मौत हो गई और 15 से अधिक लोग घायल हो गए।कुछ गांव बुरी तरह प्रभावित हुए और कई घर नष्ट हो गए।उल्लेखनीय है कि नियंत्रण रेखा के अन्य इलाकों में भी धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर वापसी हो रही है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच भारी गोलीबारी हुई थी।भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई स्थानों पर हमले किए जाने के बाद गोलाबारी तेज हो गई। पहलगाम में आतंकवादियों ने 25 पर्यटक और एक स्थानीय व्यक्ति की गोली मार कर निमर्म हत्या कर दी थी।(वार्ता)
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