जी-7 देशों ने तालिबान से अफगानिस्तान में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना वायदा निभाने को कहा
जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने अफगानिस्तान में मौजूदा संकट को और बढ़ने से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होने का आह्वान किया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कल जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों तथा यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता के बाद बताया कि जी-7 देशों ने तालिबान से अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले विदेशी तथा अफगान नागरिकों को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने की गारंटी देने को कहा है। उन्होंने बताया कि काबुल एयरपोर्ट से लोगों को निकालने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
जी-7 देशों में ब्रिटेन के अलावा अमरीका, इटली, फ्रांस, जर्मनी, जापान और कनाडा शामिल हैं। इन देशों ने तालिबान से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहने के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में हिंसक घटनाओं की खबरों पर भी चिंता व्यक्त की।
अफगानिस्तान में मौजूदा संकट को और बढ़ने से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होने का आह्वान
जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने अफगानिस्तान में मौजूदा संकट को और बढ़ने से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होने का आह्वान किया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कल जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों तथा यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता के बाद बताया कि जी-7 देशों ने तालिबान से अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले विदेशी तथा अफगान नागरिकों को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने की गारंटी देने को कहा है। उन्होंने बताया कि काबुल एयरपोर्ट से लोगों को निकालने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत ने कहा, आतंकवाद के किसी भी कृत्य को सही नहीं ठहराया जा सकता
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि दुनिया को आतंकवाद से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिए और इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता। डॉक्टर जयशंकर न्यूयॉर्क में आतंकी गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत ने 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले और 2016 में पठानकोट हवाई अड्डे पर हुए हमले सहित आतंकवाद की चुनौतियों का सामना किया है और इनमें कई लोगों की जानें भी गई हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का खतरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या किसी जातीय समूह से नहीं जुड़ा हो सकता है और न ही होना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कानूनी, सुरक्षा, वित्तपोषण और अन्य ढांचों के बावजूद, आतंकवादी लगातार आतंकी गतिविधियों को प्रेरित करने, संसाधन उपलब्ध कराने और उन्हें क्रियान्वित करने के नए तरीके खोज रहे हैं। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसे कामयाब नहीं होने दिया जा सकता।
डॉक्टर जयशंकर ने कहा, आई.एस.आई.एल. या दाएश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है। आई.एस.आई.एल. सीरिया और इराक में सक्रिय है और इससे जुडे गुट, विश्व में विशेषकर अफ्रीका में ताकतवर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आई.एस.आई.एल. का वित्तीय संसाधन जुटाना अधिक मजबूत हो गया है। उन्होंने ऑनलाइन प्रचार के माध्यम से कमजोर युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा में शामिल होने पर चिंता व्यक्त की।
विदेश मंत्री ने कहा, भारत के पड़ोस में, आई.एस.आई.एल. -खोरासन अधिक ताकतवर हो गया है और लगातार अपने पैर फैलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में वैश्विक चिंता को स्वाभाविक रूप से बढ़ा दिया है। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इन समस्याओं के बारे में चुनिन्दा, सामरिक या असावधानी का दृष्टिकोण न अपनाए। उन्होंने कहा कि कोविड के बारे में जो सच है, वह आतंकवाद के बारे में और भी सच है – हम में से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी प्रदर्शनकारियों का नए शासकों के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है
अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी प्रदर्शनकारियों का नए शासकों के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कल तालिबान विरोधियों ने अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रयास किया। तालिबान के सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के साथ ही देश में कई स्थानों पर तालिबान विरोधी प्रदर्शन तेज हो रहे हैं। हजारों लोगों की भयभीत होकर देश से निकलने की कोशिश तालिबान के लिए शासन में चुनौती बन रही है। इस बीच, तालिबान ने अफगानिस्तान के इमामों से, सत्ता पर नियंत्रण के बाद आज पहले शुक्रवार की नमाज में, लोगों से एकजुट रहने की अपील करने को कहा है।
उधर वाशिंगटन में अमरीका के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि जुलाई से अमरीकी राजनयिक तथा अमरीकी सेना और अमरीकी मिशन के लिए काम करने वाले विशेष वीजा प्राप्त 12 हजार अफगानी लोगों को विमानों से काबुल से बाहर निकाला गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कल संवाददाताओं को बताया कि पिछले 24 घंटे में ही दो हजार लोगों को काबुल से सुरक्षित हटाया गया। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान छोड़ने की इच्छा व्यक्त करने वाले सभी अमरीकी नागरिकों से संपर्क किया गया और उन्हें हवाई अड्डे पर पहुंचने को कहा गया, हालांकि यह स्पष्ट कर दिया गया कि अमरीकी सरकार उनके सुरक्षित पहुंचने की गारंटी नहीं ले सकती।