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…… उड़ान होती है हौसलों से

जौनपुर के सुशील सिन्हा ने संभाला ऑर्डिनेंस पैराशूट फैक्ट्री कानपुर के महाप्रबंधक का दायित्व

जौनपुर मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।। यह चर्चित चार लाइनें जनपद के ही निवासी सुशील सिन्हा की सफलता यात्रा को प्रतिबिंबित करती हैं, जिन्होंने देश के सबसे बड़े पैराशूट निर्माण संस्थान की सबसे बड़ी कुर्सी हासिल कर जनपद को एक बार फिर गौरवान्वित किया। यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि जौनपुर जैसे सुविधा विहीन और पिछड़े जनपद का एक संघर्षी बिना किसी गॉडफादर के अपनी मेधा,मेहनत और व्यवसायिक चातुर्य से एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुए ऑर्डिनेंस पैराशूट फैक्ट्री कानपुर की महाप्रबंधक पद तक पहुंचा।

रक्षा मंत्रालय की फैक्ट्री आयुध पैराशूट निर्माणी (ओपीएफ), कानपुर के उच्चतम पद महाप्रबंधक का दायित्व संभालने के बाद पत्रकारों से एक अनौपचारिक वार्ता में श्री सिन्हा ने कहा कि ओपीएफ में समयबद्धता के साथ गुणवत्तायुक्त उत्कृष्ट उत्पादों का निर्माण कराना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। निर्माणी में अनुशासन एवं सुसंस्कृत कार्यप्रणाली का निरन्तर विकास एवं विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के पैराशूटों के विनिर्माण की प्रक्रिया जारी है। निरन्तर नई तकनीक एवं नवोन्मेष का भाव (इनोवेटिव सोच) उत्पन्न करने को लेकर भी कार्य हो रहे हैं। आज के लगातार बदलते वैश्विक परिवेश के अनुरूप समुन्नत उत्पादन प्रणाली को अपनाये रखना बहुत जरूरी है, इसलिए इस दिशा में हम निरन्तर कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश की तीनों सेनाओं थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना आदि की आवश्यकताओं के अनुरूप ओपीएफ में विविध पैराशूटों का निर्माण निरंतर चल रहा है। इस समय हमारे यहां आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पैराशूट तैयार किए जा रहे हैं ।जो देश की सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ साथ वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बनाएंगे। इसके साथ साथ मनोरंजन हवाई खेलों के लिए इस्तेमाल में आने वाले पैराग्लाइडिंग और पैरासेलिंग पैराशूट के व्यवसायिक नजरिए से निर्माण की भी योजना है। इस प्रकार विशिष्ट पहचान वाली यह उत्पादन इकाइयां अब व्यवसाय जगत में भी अपना नाम और पहचान बना सकेगी।

उन्होंने बताया कि इसी के साथ फ्लोट जैसे विशिष्ट रक्षा उत्पाद को भी तैयार किया जा रहा है। आज फ्लोट के निर्माण की दिशा में ओपीएफ का देश में एकाधिकार है। गौरतलब है कि सेना के रास्ते में पड़ने वाली नदियों को पार करके टैंकों एवं अन्य सैनिक वाहनों के आगे बढ़ने के लिए आनन-फानन में तैयार किए जाने वाले अस्थाई पुलों के निर्माण में फ्लोट की विशेष भूमिका होती है।

जौनपुर नगर क्षेत्र के खासनपुर निवासी एवं शासकीय सेवा में उपनिदेशक रहे स्वर्गीय सूरज नारायण सिन्हा और प्रतिष्ठापरक सेंट पैट्रिक कान्वेंट स्कूल की हिंदी अध्यापिका ब्रज रानी सिन्हा के सबसे छोटे पुत्र सुशील सिन्हा 16 जनवरी 1992 को आईओएसएस (इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सर्विसेज) का हिस्सा बने। उन्होंने सेवाकाल में ओईएफ कानपुर, ओसीएफ शाहजहांपुर, ओसीएफ आवडी, ओइएफ ग्रुप हेड क्वार्टर में विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी प्रतिभा और योग्यता का लोहा मनवाया। वे गत 3 फरवरी से ओपीएफ के प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे थे।उन्होंने अपने सेवाकाल में सरकारी कार्यों हेतु फ्रांस, घाना एवं अफगानिस्तान की यात्रायें की और संगठन की वैश्विक ब्रांडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

वैश्विक महामारी कोविड-19 काल में उन्होंने सर्जिकल फेस मास्क एवं कवर आल जैसे उत्पादों को पांच आयुध निर्माणियों में बनवाकर अपने सामाजिक सेवा भाव जैसे उच्च मानवीय प्रतिमान स्थापित किये। कोरोना काल की शुरुआत में जब लोग फेस मास्क एवं कवर आल के बारे में ठीक से जानते भी नहीं थे, श्री सिन्हा उस समय आयुध उपस्कर निर्माणियां समूह मुख्यालय (ओईएफ ग्रुप हेडक्वार्टर), कानपुर में उपमहानिदेशक के पद पर थे। उस दौरान मुख्यालय के अधीन आने वाली समस्त पांच निर्माणियों में उन्होंने दिन-रात एक करके सर्जिकल फेस मास्क एवं कवर आल का निर्माण कराया, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर भूरि-भूरि प्रशंसा हुई। साथ ही संगठन की सामाजिक सरोकार से जुड़ी एक विशिष्ट छवि स्थापित हुई।

फर्श से अर्श का सफर तय करने वाले ओपीएफ कानपुर के नए महाप्रबंधक सुशील सिन्हा की यह सफलता यात्रा जनपद के युवाओं के लिए प्रेरणास्पद गाथा है। मित्र मंडली में मेलजोल और खेलकूद के दौरान हमेशा सहज रहने वाले सुशील पर उनके अधिकारी पिता के व्यक्तित्व से नेतृत्व क्षमता व ज्ञान और अध्यापिका माता के व्यक्तित्व से भाषा,विषय विविधता के साथ-साथ भाषण कला धर्म और अध्यात्म के प्रति रुचि की स्पष्ट छाप थी। अब तक विभिन्न उच्च पदों पर आसीन रहने के बावजूद भी श्री सिन्हा का व्यक्तित्व अत्यन्त सरल एवं सौम्यता से परिपूर्ण है। बड़े-बड़े निर्णय त्वरित भाव एवं सटीकता से लेना उनकी प्रवृत्ति है।

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