
तेंदू पत्ता तुड़ान में लगे श्रमिकों का शोषण जारी
गांव के बाहर से लाये गये श्रमिक तोड़ रहे पत्ती
दुद्धी, सोनभद्र- सरकार के तमाम इंतजामों के बावजूद श्रमिको के शोषण करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा | कोरोना महामारी से बेरोजगार हुए लोग लाकडाउन की अवधि में जीविकोपार्जन के लिए तेंदू पत्ता सीजन में जंगल की ओर रुख किये,तो निगम कर्मियों ने फड़ मुंशी के माध्यम से उनका शोषण करने का नायाब तरीका इजाद कर लिया है| पाई-पाई को मोहताज ग्रामीणों के इसी बात का बेजा लाभ उठाते हुए बिचौलिए उनके श्रम पर डाका डालना शुरू कर दिए हैं| शोषण से तंग गांव के श्रमिकों का रुझान कम होने के कारण इस बार बाहर से लाये गये श्रमिक पत्ती तुड़ान का काम कर रहे हैं।
इस बाबत रजखड़ गांव निवासी रवि सिंह, रमाशंकर, मोतीलाल, विमला,कुंती समेत दो दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने बताया कि कोरोना काल की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे परिवार के सभी सदस्य इन दिनों तड़के चार बजे क्षेत्रीय जंगल में जाकर तेंदू पत्ता तोड़ने का काम कर रहे हैं| तोड़े हुए पत्तों को जब वे फड़ पर बेचने गये,तो वहां बैठा फड़ मुंशी ग्रामीणों का पंजीयन करने से मना करते हुए सरकारी दर 134 रुपया प्रति सैकड़ा से इतर सौ रूपये सैकड़े गड्डी खरीदने की शर्त को ग्रामीण चुपचाप स्वीकार करते हुए नगदी पत्ता बेचना शुरू कर दिए| परेशान हाल श्रमिको ने इसकी शिकायत ईकाई अधिकारी अनंत लाल से किया,तो
वहां भी सुनवाई नही हुई। वह फड़ मुंशी की भाषा बोलते हुए कहा कि फड़ पर नगदी भुगतान जो मिल रहा है,उसे लेकर चलते बनो|
शोषण के खिलाफ उठाएंगे आवाज-प्रधान प्रतिनिधि
दुद्धी- गांव की नव निर्वाचित महिला ग्राम प्रधान के पति बृजेश कुशवाहा ने कहा कि सोमवार की सुबह कुछ ग्रामीणों से इस समस्या से अवगत कराया है| इसके लिए वे एक टीम गठित कर दिए हैं| जो सारे मामला का खुलासा करने के साथ ही संबंधित अधिकारीयों से मिलकर गांव के सभी श्रमिकों का पंजीयन कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगें|