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दीपावली की रात हर वर्ष हवा बन जाती है जानलेवा

कारखासों के करतूत से तमाम उपायों के बावजूद नहीं रुक रहा प्रदूषण

  • डाँ.लोकनाथ पाण्डेय

वाराणसी। थानों पर कारखास का ऐसा जंजाल बन चुका है जिसके मकड़जाल में अच्छे अच्छे उलझ जाते है।अब तो यह जुमला चल निकला साहब से क्या मिलना कारखास से मिल लो सब सलट जायेगा?कारखास का मतलब ही समझिये साहब का खास। यूपी के थानों पर कारखासों की भूमिका हमेशा चर्चा में रहती है। काशी भी इससे अछूता नहीं है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में अवैध पटाखों के खिलाफ अभियान तो चल रहा लेकिन थानों के कारखास ऐसे अभियानों की हवा निकालते रहते हैं। आम चर्चा है की काशी के लगभग हर थाने पर कारखासों की अब भी खूब चलती है। कई तो तबादला होने के बावजूद अपनी हरकतों को अंजाम देते देखे जाते है।

मजेदार बात यह है कि ऐसे कारखास अक्सर वर्दी में नजर भ नहीं आते और थानेदार के बेहद खास माने जाते हैं। मजाल है इनकी बिना मर्जी के किसी इलाके में कोई अवैध कार्य चले। आजकल सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बीच पटाखों के अवैध कारोबार काशी समेत प्रदेश के तमाम जिलों में फलने फूलने लगा हैं। हर बार अरबों रुपए लोग पटाखों पर उड़ा देते हैं।चन्द मिनट की ख़ुशी के बाद पटाखों की जहरीली हवा फिजा में फैल कर लोगों के फेफड़ों व स्वशन प्रक्रिया को बर्बाद कर देती है। जिला व पुलिस प्रशासन काशी में गंभीर तो दिख रहा,लेकिन थानों के कारखास अधिकारियों के प्रयासों को इस बार पलीता नहीं लगाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं। पूर्व में अधिकारियों के तमाम प्रयासों के बावजूद गली ,गली पटाखा की दुकानें धड़ल्ले से खुली देखी गई। इस बार नये एसएसपी ने सख्ती दिखाई है इसका असर आगे कितना पड़ता है यह देखने वाली बात होगी।

दीपावली पर पटाखों के चलते हर वर्ष काशी समेत तमाम शहरों का प्रदूषण ग्राफ तेजी से ऊपर चला जाता है। डॉक्टरों की मानें तो इससे आबो हवा काफी जहरीली हो जाती है, इसकी चपेट में आकर लोगों के श्वसन प्रक्रिया संग कई आर्गन सिकुड़ जाते है। लगभग हर वर्ष दीपावली के बाद स्वांस रोगियों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। इस बार लोग पहले से ही महमारी कोरोना से जूझ रहे है ऐसे में प्रदूषण काफी जानलेवा हो सकता है। हर काशी वासी को इसबार पटाखों से परहेज करना ही श्रेयस्कर होगा। पटाखों के खतरों से बच्चों को भी आगाह करने की जरूरत है। क्योंकि सबसे ज्यादा पटाखों की जिद बच्चे ही करते है।

एसएसपी संग फ़ोर्स की हुई छापेमारी

दीपावली नजदीक आते ही धार्मिक नगरी काशी में अवैध पटाखों का भंडारण, कारोबार परवान चढ़ गया। इस बात की जानकारी मिलने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने बुधवार की रात दाल मंडी क्षेत्र में छापेमारी की। इस दौरान जांच अभियान के दौरान लगभग 10 कुंटल अवैध पटाखे बरामद हुए। पुलिस ने यहां से 3 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। देर रात चौक के अमानत रहनुमा ,हैंडलूम हाउस शेख भाई राखी सेंटर व फिरोज की दुकान की तलाशी हुई । पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि यदि कहीं भी अवैध पटाखे बिकते मिले तो इलाकाई थानेदार भी जवाबदेह होंगे।

कारखासो से मिलकर होती रही है सेटिंग

वाराणसी में पटाखा बेचने और भंडारण करने का लाइसेंस सिर्फ पांचलोगों को मिला है। जेनिथ एजेंसी साबिर अली की हिंदुस्तान फायरवर्क्स और तनु मोटवानी की फर्म समेत 4 लोगोंको लाइसेंस आगरा स्थित संयुक्त मुख्य विस्फोटक नियंत्रक कार्यालय से और एक लाइसेंस दिलीप का डीएम कार्यालय से जारी हुआ है। लेकिन बड़े फायदे के चक्कर में कई अवैध कारोबारी लंबे समय से इस धंधे में संलिप्त हैं। यह पूरा कारोबार कारखानों के मिलीभगत से होता रहा है। चर्चा है कि लगभग 20 गुना फायदे वाले इस धंधे में कई छोटे मोटे बदमाश इस बार भी सक्रिय हैं। कुछ थानों के कारखासो से मिलीभगत कर ऐसे छुटभैये अभी से इलाकावार सेटिंग में लग गए है।

कई अवैध पटाखा फैक्ट्रियो में हो चुका है विस्फोट

पटाखा कारोबार बड़े फायदे का धंधा रहा है इसीलिए इस के अवैध फैक्ट्रियां संचालित होती रहती हैं आज भी शहर के कई इलाकों में शादी ब्याह में पटाखा सप्लाई कर रहे हैं वाले दीपावली का पटाखा अवैध रूप से बनाते हैं। लोहता, आदमपुर , दाल मंडी, सारनाथ समेत कई इलाकों में ऐसी फैक्ट्रियों के संचालित होने की खबरें मिलती रही हैं। बता दें कि पूर्व में सारनाथ के हवेलियां, पंचकोशी (रुप्पनपुर)समेत कई इलाकों में अवैध फैक्ट्री में भारी विस्फोट हुआ था। विस्फोट के बाद मकान का जर्रा जर्रा उड़ गया था। इस दौरान कइयों की मौत व कई घायल भी हुए थे। वर्षो पूर्व ऐसी ही घटना चौबेपुर के जाल्हूपुर इलाके में भी हुई थी। यहाँ भी कई लोग मारे गये तब अवैध फैक्ट्री चलने की खबर उजागर हुई। उस वक्त लोगों ने कई सवाल खड़ा किये व कहा कि बिना पुलिस के मिलीभगत के ऐसा होना कदापि सम्भव नहीं था।

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