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कांग्रेस ने संविधान को भी एक परिवार की जागीर बना दिया था : शाह

भारतीय संविधान गंभीर चिंतन का परिणाम: नड्डा

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस सरकारों और नेताओं पर संविधान को तोड़ने मरोड़ने और उसके साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उसने संविधान को भी एक परिवार की जागीर बना दिया था जबकि भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने संविधान की भावना के अनुरूप देश का सामाजिक और आर्थिक विकास किया है।श्री शाह ने संविधान की 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पर राज्यसभा में 21 घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए मंगलवार को कहा कि यह चर्चा देश को संविधान की मूल भावना से तो अवगत करायेगी ही यह भी बतायेगी कि जब संविधान की भावनाओं को तोड़ मरोड़ कर कोई आगे बढता है तो उसकी किस प्रकार की दुर्दशा होती है। उन्होंने कहा कि इस चर्चा में सदन के 80 सदस्यों ने हिस्सा लिया और इस व्यापक चर्चा से हमारी भविष्य की पीढी और जनता को यह निर्णय करने में भी मदद मिलेगी कि किस पार्टी ने संविधान की रक्षा की और किसने इसके साथ खिलवाड़ किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि संविधान के निर्माण के बाद बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि यदि उसे चलाने वाले अच्छे लोग न हो तो अच्छा संविधान भी बुरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन जीवन का नियम है इसीलिए संविधान में ही संविधान परिवर्तन का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने संविधान में परिवर्तन किये लेकिन सोचने की बात है कि उसका तरीका और उद्देश्य क्या था। यह सोचने की बात है कि क्या ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए किये गये या अपनी कुर्सी बचाने के लिए किये गये इसी से पार्टी की भावना का पता चलता है।उन्होंने भाजपा और कांग्रेस सरकारों द्वारा किये गये चार -चार संशोधनों का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को दबाने , नागरिकों के मौलिक अधिकार कम करने , प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर पूर्व प्रभाव से प्रतिबंध लगाने और लोकसभा तथा विधानसभा का कार्यकाल पांच से छह वर्ष बढाने, तथा संसद में कोरम की आवश्यकता को समाप्त करने जैसे संशोधन किये। इन संशोधनों का एकमात्र उद्देश्य सत्ता को बचाना था।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि उसने संविधान में अनुच्छेद 35 ए बिना संसद की मंजूरी के कैसे जोड़ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संविधान को भी एक परिवार की जागीर बना कर उसके साथ खिलवाड़ किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल लगाया लेकिन इसके बाद उन्हें जो करारी हार मिली उसे देखकर अब देश में आपातकाल लगाने की किसी की हिम्मत नहीं होगी।उन्होंने कहा कि इसके विपरीत भाजपा सभी संविधान संशोधन जन कल्याण के लिए लेकर आयी। इनमें पहला संशोधन जीएसटी लागू कर पूरे देश में एक समान कर कानून लागू करने का था। दूसरा संशोधन राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए लाया गया। तीसरा संशोधन गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण देने के लिए लाया गया। चौथे संशोधन में पिछडापन की पहचान का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया, पांचवां संशोधन मातृ शक्ति को संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए किया गया।

श्री शाह ने उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखकर निर्णय किये। उन्होंने कहा कि संविधान का सम्मान केवल कल्पना में नहीं बल्कि कथनी और करनी में भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान संविधान को लहराकर और असत्य बोलकर चुनाव जीता जबकि संविधान लहराने नहीं बल्कि आत्मसात करने के लिए है। उन्होंने कहा कि संविधान के 75 वर्ष के इतिहास में संविधान के साथ इतना छल उन्होंने कभी नहीं देखा। इस छल के कारण ही कांग्रेस सभी चुनाव में हार रही है। उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षाकर्मी और जवान देश की एक भी इंच जमीन के लिए लड़ मरते हैं जबकि कांग्रेस सरकार ने कच्चातीवू द्वीप श्रीलंका को दे दिया ।श्री शाह ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना कहा कि कुछ नेताओं को अब आरक्षण में चुनाव जीतने की संभावना दिखती है लेकिन वास्तविकता यह है कि कांग्रेस शुरू से आरक्षण विरोधी रही है।

उन्होंने कहा कि इस बारे में काका कालेलकर की रिपोर्ट को पुस्तकालय में रख दिया गया था। यदि इसको मान लिया गया होता तो मंडल कमीशन की जरूरत ही नहीं पड़ती। इस कमीशन की रिपोर्ट को भी कांग्रेस ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस रिपोर्ट का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस आरक्षण को 50 प्रतिशत से अधिक बढाने की वकालत कर रही है और उसका उद्देश्य धर्म के आधार पर आरक्षण देना है। उन्होंने कहा कि लेकिन कांग्रेस को यह नहीं पता है कि धर्म के आधार पर आरक्षण को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा का एक भी सदस्य संसद में है हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे । यह संविधान विरोधी कदम है।

उन्होंने कहा कि स्वयं पंडित नेहरू भी आरक्षण के विरोधी थे।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि संविधान भी समान नागरिक संहिता का पक्षधर है। उन्होंने कांग्रेस से इस बारे में अपना रूख स्पष्ट करने को कहा और पूछा कि क्या वह मुस्लिम पर्सनल ला का समर्थन करती है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक अभियान चलाकर गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त कर देश को प्राचीन समृद्ध विरासत तथा परंपराओं के बल पर विकास के पथ पर आगे बढा रहे हैं। इसी कड़ी में चोल साम्राज्य के प्रतीक चिन्ह सेंगोल की नये संसद भवन में स्थापना की गयी।उन्हाेंने कहा कि देश तेजी से प्रगति के मार्ग पर बढ रहा है और भारत माता जब अपने ओजस्वी रूप में खड़ी हो जायेगी तो पूरी दुनिया देखेगी और वह दिन जरूर आयेगा।

भारतीय संविधान गंभीर चिंतन का परिणाम: नड्डा

राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को कहा कि भारतीय संविधान गहन चिंतन- मनन , मंथन और गंभीर विचार विमर्श का परिणाम है।श्री नड्डा ने सदन‌ में ‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष की गौरवपूर्ण यात्रा’ की चर्चा फिर शुरू करते हुए कहा कि भारतीय संविधान नये देश का नहीं था, बल्कि यह पुरातन संस्कृति वाले देश का संविधान है। संविधान सभा के सदस्य इस तथ्य को भली-भांति जानते थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान तमाम कठिनाइयों और मुसीबतों से निकलने की प्रेरणा देता है। संविधान में भारतीय संस्कृति के प्रतीकों की छाप है।उन्होंने कहा कि बुरे तत्व भी प्रारंभ से ही संविधान से इतर काम करने लगे। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने 562 रियासतों को भारत संघ में शामिल किया, लेकिन एक रियासत जम्मू-कश्मीर का जिम्मा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिया। भारत में जम्मू-कश्मीर के एकीकरण की प्रक्रिया में उन्होंने शेख अब्दुल्ला को शामिल किया गया।अनुच्छेद 370 संविधान पर आघात था।

जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल करने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बलिदान दिया और उन्होंने श्रीनगर जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में अंतिम सांस ली।सदन के नेता‌ ने कहा कि अनुच्छेद 35 ए राष्ट्रपति आदेश के जरिए जोड़ा गया और संविधान की भावना तथा संसद की अवहेलना की गई। इसके जरिये जम्मू-कश्मीर की नागरिकता के प्रावधान तय किए गए। जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को राज्य के बाहर शादी करने पर संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया। इसके अनुसार राज्य का नागरिक उसी को माना जाएगा जो 1944 के पहले वहां रहा करते थे। संविधान के अनुसार संसद के बने हुए कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे। अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रावधान जम्मू-कश्मीर के लोगों को प्राप्त नहीं थे। पंचायती राज का 73वां संशोधन अधिनियम जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता था।

श्री नड्डा ने कहा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए लोग भारत में प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए, लेकिन जम्मू -कश्मीर में पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकते थे। जम्मू-कश्मीर में पंजाब से सफाई कर्मचारियों को लाया गया और उनको बताया गया कि जम्मू-कश्मीर की नागरिकता दी जायेगी, लेकिन वे केवल सफाई कर्मचारी ही बन सकते थे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में यह व्यवस्था खत्म कर दी और राज्य के लोगों को अन्य नागरिकों के समान अधिकार दिये।आपातकाल का उल्लेख करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को आगामी 25 दिसंबर को लोकतंत्र विरोधी दिवस के समारोह में शामिल हो चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर निर्वाचित राज्य सरकारों को बर्खास्त किया है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव ऐसी घटनाएं रोकने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया का गला घोट दिया गया था। आपातकाल के दौरान एक तरह से लघु संविधान ही लिख दिया गया।

उन्होंने कहा कि संविधान के प्रस्तावना में बदलाव कर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द जोड़े गए। संविधान सभा के सदस्यों ने इसकी आवश्यकता नहीं समझी थी, लेकिन कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के तहत प्रस्तावना के साथ छेड़छाड़ की।शाहबानो मामले का उल्लेख करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि राजीव सरकार ने संसद का प्रयोग करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया, जिससे मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसलों के बावजूद कांग्रेस सरकार ने तीन तलाक प्रथा को खत्म करने का प्रयास नहीं किया।पड़ोसी देशों के साथ सीमा के विवाद पर श्री‌ नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर इन विवादों को सुलझाया है। उन्होंने बंगलादेश और श्रीलंका का उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि कांग्रेस धर्म के आधार पर मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देकर लाभ पहुंचा रही है। इस पर कांग्रेस के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि आरक्षण पिछड़ेपन के आधार पर दिया जा रहा है। कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण का समर्थन नहीं करती है।(वार्ता)

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