- वन विभाग ने तैयार की चंदन की पौध.मंदिरों के बगीचा में लगाने की है योजना
- दस साल में होता है चंदन का पेड़ तैयार.ब्रज के मंदिरों में है चंदन की डिमांड
मथुरा। योगी सरकार कान्हा की नगरी का द्वापर कालीन वैभव लौटाने का हर संभव प्रयास कर रही है। अब कान्हा की भूमि ब्रज जल्द ही चंदन की खुशबू से महकेगी। यहां वन विभाग मानसून सत्र में चंदन के पौधे लगाने जा रहा है। इसके लिए जगह चिह्नित की जा रही है। चंदन के पौधे लगाने के लिए विभाग ने इसकी पौध तैयार कर ली है।
मथुरा में चंदन के पौधे लगाने के लिए वन विभाग ने फरवरी महीने से ही तैयारी शुरू कर दी थी। वन विभाग ने फरवरी में चंदन के पौधे ब्रज में लगाने के लिए बीज रोपित किए थे। इनकी देखभाल और सही रखरखाव का नतीजा रहा कि अब 4 महीने बाद पौधों का रूप लेना शुरू कर दिया है। उप क्षेत्रीय वन अधिकारी राधे श्याम ने बताया कि चंदन के पौधों को लगाने के लिए सबसे जरूरी है 25 से 30 डिग्री तापमान रहे। लेकिन मथुरा में तापमान 47 डिग्री से ज्यादा पहुंच रहा है। इसके बावजूद विभाग ब्रज के लता पताओं के स्वरूप को बचाने के लिए इन चंदन के पौधों की बारीकी से देखभाल कर रहा है। पौधों को बचाने के लिए नेट लगाई गई है इसके अलावा दिन में 3 बार सिंचाई की जा रही है।
उप क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया कि इसका पौधा रोपित करते समय सबसे जरूरी है इसकी उचित देखभाल। इसमें सामान्य खाद लगाई जाती है। इसके अलावा कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। चंदन का पौधा शुरू में परजीवी होता है। लेकिन जब यह डेढ़ से 2 फीट का हो जाता है तब यह अपना खाना स्वयं बनाने लग जाता है।
वन विभाग ने मथुरा में पहली बार चंदन के पेड़ लगाने की योजना की शुरुआत की है। अगर सब कुछ सही रहा तो मानसून के दौरान इन पौधों को जिन मंदिरों के पास बगीचे हैं वहां लगाया जाएगा। इसके अलावा ऐसी जगह लगाए जाएंगे, जहां की जमीन इनके अनुकूल हो। चंदन का पौधा एक वर्ष में जाकर तैयार होगा ऐसे में इसको बचाने के लिए बेहद सावधानी बरतनी होगी। पौधा रोपण करने से लेकर इसके पेड़ बनने में दस से 12 साल का समय लगता है। इसकी खुशबू से जहां आसपास का वातावरण महक उठता है। वहीं इसकी लकड़ी पूजा में भी काम आती है। इस पौधे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मीठा पानी। बीज रोपित होने से पौधा बनने तक 6 से 8 महीने का समय लगता है।
ब्रज भूमि के मंदिरों में भगवान को लगाने के लिए चंदन की बेहद डिमांड है। यहां ज्यादातर चंदन की सप्लाई दक्षिण भारत से होती है। वन विभाग की अगर यह योजना सफल हो जाती है तो ब्रज में चंदन की खुशबू मंदिरों से बाहर भी महकेगी। वन विभाग पहले मंदिरों को इसके पौधे देगा और अगर यह योजना सफल होती है तो इसके पेड़ लगाने के लिए लोगों को भी प्रेरित करेगा।