
ग्वालियर : उत्तर भारत में मराठा साम्राज्य के सबसे बड़े गढ़ रहे ग्वालियर में आज भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के इतिहास ने करवट ली और तमाम पूर्व धारणाओं को तिरोहित करते हुए झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सिंधिया राजवंश के महल में एक महान योद्धा के रूप में प्रतिष्ठित हुईं।सिंधिया राजवंश के उत्तराधिकारी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहल पर उनके विशाल जय विलास महल में छत्रपति शिवाजी महाराज वंश परंपरा, सिंधिया राजवंश के महान पराक्रमी महाराजा महादजी सिंधिया और भारत के स्वाभिमान और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले मराठा वीरों को समर्पित एक कलावीथिका ‘गाथा स्वराज की’ का देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकार्पण किया।
ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया हवाई अड्डे के नये टर्मिनल भवन का शिलान्यास करने और मेला ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद श्री शाह श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जय विलास महल पहुंचे जहां श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया, श्री महाआर्यमन सिंधिया, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री सुश्री यशोधरा राजे सिंधिया ने उनका, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भव्य स्वागत किया। मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री आशुतोष भी थे।देश में मराठा शासकों का बड़ा योगदान रहा है। देश में हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना को लेकर शिवाजी महाराज के अभियान को आगे बढ़ाने वाले महादजी सिंधिया 1771 में दिल्ली में हिन्दवी स्वराज का झंडा गाड़ दिया था।
इस कलावीथिका में सिंधिया, गायकवाड़, होलकर, नेवालकर, भोंसले और पवार जैसे मराठा राजवंशो के शौर्य पराक्रम की झाँकी दिखाई गयी है। मराठा शासकों की उस समय 30 रियासतें देशभर में थीं। मराठों ने मुगलों से जमकर लोहा लिया और उन्हें परास्त भी किया।कलावीथिका में कुछ स्लाइड्स शो के जरिए मराठा शासकों का इतिहास दिखाया गया है। इसके साथ ही 30 मराठा रियासतों की पगड़ियां एवं पोशाक की झलक भी इस कलावीथिका में दिखेगी। कलावीथिका 17 अक्टूबर से सैलानियों के लिए खोली जाएगी।इस कलावीथिका में मराठा क्षत्राणियों के भी बड़े पोट्रेट प्रदर्शित किए गए हैं जिनमें बैजाबाई, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, चिनकूरानी आदि के साथ ही पहली दफा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का पोट्रेट एक मराठा वीरांगना के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्री सिंधिया ने एक बड़े दिल से बड़ा राजनीतिक साहस दिखाया है और रानी लक्ष्मीबाई को लेकर अपने पूर्वजों पर 164 साल पहले लगे लांछन को बहुत ही गरिमामय तरीके से दूर करने की पहल की है जो अंततः मराठा हिन्दवी स्वराज के गौरव को और उज्ज्वल बनाएगा।सबको पता है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई की शहादत को लेकर सिंधिया राजवंश डेढ़ सदी से लगातार आलोचना झेलता आ रहा है। देश की आजादी के बाद महाराजा जीवाजी राव सिंधिया, राजमाता विजया राजे सिंधिया और श्रीमंत माधवराव सिंधिया भी उन धारणाओं को दूर करने की पहल नहीं कर पाये।
कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में सिंधिया वंश के शासकों को अंग्रेज़ों के मित्र बताये जाने से ऐसी धारणाएं मजबूत हुईं लेकिन श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के बाद रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करके लोगों को चौंका दिया। श्री सिंधिया ने कहा था, “एक कविता से इतिहास नहीं बदला जा सकता है।” उनका मानना है कि यह भ्रम फैलाया गया कि सिंधिया राजवंश ने रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया था।सिंधिया राजवंश के जय विलास महल और संग्रहालय को विश्व में वास्तु कला एक नायाब नमूना माना जाता है। इटली के टस्कन और कोरिथियन शैली में बना यह महल राजसी वैभव की जीती जागती मिसाल है। इसमें कोई 42 कमरों में संग्रहालय है, जिसमें सिंधिया राजवंश के वैभव से लेकर उनके जन सरोकार को प्रदर्शित करने वाली चीजें दर्शायी गयी हैं।
यह संग्रहालय सिंधिया राजवंश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। आज इस संग्रहालय में एक नया आयाम जुड़ गया। देश के मराठा राजवंशों और उनमें हुए योद्धाओं के शौर्य पराक्रम पर केन्द्रित एक अनूठी कलावीथिका संग्रहालय का हिस्सा बन गयी।श्री सिंधिया के निमंत्रण पर विशेष रूप से आये गृहमंत्री श्री शाह के समक्ष मराठा साम्राज्य के वैभव को गान, वादन, नृत्य, युद्ध कला का प्रदर्शन किया गया। जय विलास महल के दरबार हॉल को देखने के बाद श्री शाह ने आगंतुक पुस्तिका पर अपने उद्गार व्यक्त किए। इसके बाद उन्होंने श्री सिंधिया के परिवार के आतिथ्य में स्वल्पाहार भी ग्रहण किया। इस अवसर पर महल में विशेष सजावट की गई थी।(वार्ता)
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