आदित्य-एल1 उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित
श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के पहले सूर्य मिशन के तहत आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को शनिवार को पृथ्वी की कक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया।इसरो सूत्रों के मुताबिक 23 घंटे 40 मिनट की उल्टी गिनती समाप्त होने के साथ ही पूर्वाह्न 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के जरिए शार रेंज से प्रक्षेपित आदित्य एल-1 को अब पृथ्वी की निचली कक्ष में स्थापित कर दिया गया है।
इसी के साथ ही 125 दिनों की लंबे सफर में सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करने का सिलसिला शुरू हो गया।उन्होंने बताया कि मिशन नियंत्रण केंद्र के वैज्ञानिक पूरे अभियान पर नजर रखे हुए हैँ।इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। सफल प्रक्षेपण के साथ ही सभी चार चरणों के प्रज्वलन और पृथक्करण के बाद रॉकेट को करीब 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित कक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
उन्होंने कहा कि 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में सूर्य के क्षेत्र में प्रवेश करेगा। करीब 1,475 किलोग्राम वजनी अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।श्री सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्ष में रखे जाने के बाद कक्ष को और अधिक अण्डाकार बनाया जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को ऑन-बोर्ड प्रोपल्शन थ्रस्टर्स का उपयोग करके लैग्रेंज बिंदु एल1 की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान एल1 की ओर बढ़ेगा यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकल जाएगा।
एसओआई से बाहर निकलने के बाद, क्रूज चरण शुरू हो जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।उन्होंने बताया कि यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी), बेंगलुरु में तैयार आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल 1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।(वार्ता)
सूर्य मिशन: आदित्य-एल 1 का सफल प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की।तेईस घंटे 40 मिनट की उल्टी गिनती समाप्त होने के साथ ही पूर्वाह्न 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के जरिए शार रेंज से प्रक्षेपित किया गया।इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी57 उपग्रह को पृथ्वी की कक्ष में स्थापित करेगा। मिशन नियंत्रण केंद्र के वैज्ञानिक पूरे अभियान पर नजर रखे हुए हैँ। इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।
आदित्य L1 चार महीने में लैंगरेंज पॉइंट (L1) पर पहुंचेगा
आदित्य स्पेसक्राफ्ट को L1 पॉइंट तक पहुंचने में करीब 125 दिन यानी 4 महीने लगेंगे। ये 125 दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी उपलब्धि होगी।
लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है।
ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।
L1 पॉइंट पर ग्रहण बेअसर, इसलिए यहां भेजा जा रहा
आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसरो का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी।
आदित्य L1 में लगे 7 इक्विपमेंट्स सूर्य को समझेंगे
आदित्य यान, L1 यानी सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन पॉइंट पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट के चारों ओर की कक्षा, फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर के अलावा सबसे बाहरी परत कोरोना की अलग-अलग वेब बैंड्स से 7 इक्विपमेंट्स के जरिए टेस्टिंग करेगा।
आदित्य L1 के सात इक्विपमेंट्स कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं, पार्टिकल्स के मूवमेंट और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे। आदित्य L-1 सोलर कोरोना और उसके हीटिंग मैकेनिज्म की स्टडी करेगा।
आदित्य L1 को पूरी तरह देश में ही बनाया गया
ISRO के एक अधिकारी के मुताबिक, आदित्य L1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।
सूर्य की स्टडी क्यों जरूरी?
‘जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है। सभी आठ ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा बहती है। इन्हें हम चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
आदित्य एल -1 की सफलता से अंतरिक्ष यात्रा के नए अध्याय खुले: धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने कहा है कि देश के पहले सूर्य अभियान आदित्य एल -1 की सफलता से अंतरिक्ष यात्रा के नए अध्याय खुले हैं।उपराष्ट्रपति सचिवालय ने शनिवार को यहां बताया कि आदित्य एल- 1 के सफल प्रक्षेपण पर श्री धनखड़ ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन -इसरो के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी है।उन्होंने कहा कि भारत के पहले सूर्य अभियान आदित्य एल -1 के सफल प्रक्षेपण से अंतरिक्ष यात्रा का गौरवशाली अध्याय खुला है।श्री धनखड़ ने कहा, “मैं इस उपलब्धि के लिए इसरो और उसके वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों को शुभकामनाएं देता हूं। इस बड़ी उपलब्धि से निश्चित रूप से सौर प्रणाली के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी।”
आदित्य-एल1 के सफल लॉन्च पर मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को देश के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने पर बधाई एवं शुभकामनांए दी।श्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,“ चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखी है। भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई।(वार्ता)
The launch of Aditya-L1, India's first solar mission, is a landmark achievement that takes India’s indigenous space programme to a new trajectory. It will help us better understand space and celestial phenomena. I congratulate the scientists and engineers at @isro for this…
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 2, 2023
After the success of Chandrayaan-3, India continues its space journey.
Congratulations to our scientists and engineers at @isro for the successful launch of India’s first Solar Mission, Aditya -L1.
Our tireless scientific efforts will continue in order to develop better…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2023
Huge congratulations to @isro on the very successful launch of #AdityaL1, India's ambitious mission to study the Sun. Whole nation is super excited and feel extremely proud of our super scientists! Wishing for accomplishing all it's objectives!#AdityaL1Launch #ISRO #PSLVC57 pic.twitter.com/DJOCuXvVx1
— Kiren Rijiju (मोदी का परिवार) (@KirenRijiju) September 2, 2023