
जईया जुलूस में देवी की सवारी वाली दृश्य ने लोगों के रोंगटे किये खड़े
दुद्धी, सोनभद्र – चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन रविवार को प्रातः गांवों से निकलकर नगर पहुंची जईया जुलूस में शामिल भक्तों के कारनामें देख लोग हतप्रभ रह गये।देवी की सवारी वाले भक्तों द्वारा गल्फर एवं जिह्वा में लोहे की त्रिशूल आरपार कर किये जा रहे प्रदर्शन एवं लोहे के भारी भरकम जंजीरों से अपने ऊपर किये जा रहे लगातार प्रहार को देख लोगों के रोंगटे खड़े हो गये।
नगर के पड़ोसी गांव बीड़र,रजखड़,धनौरा, मल्देवा, जाबर, खजुरी आदि स्थानों से क्रमशः दर्जनों की संख्या में पहुंचने वाले जुलूस को देखने के लिए सड़कों पर लोगों की हुजूम इकट्ठी रही।नगर की ऐतिहासिक शक्ति पीठ मां काली मंदिर, शिव मंदिर, हनुमान जी मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन के दौरान देवी सवार युवक एवं युवतियों द्वारा अपने शरीर पर यातना के हैरतअंगेज प्रदर्शन किये जा रहे थे। जिसे देख लोग हतप्रभ रहे और दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ में शामिल श्रद्धालुओं द्वारा देवी सवार भक्तों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने का क्रम जारी रहा।
बतादें कि चैत्र नवरात्र में गांवों में नौ दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान के अंतिम दिन नवमी को निकलने वाली जईया जुलूस का बड़ा ही महत्व होता है।इस अनुष्ठान में शामिल भक्त मां की अलौकिक शक्ति से प्रेरित होते हैं।अनुष्ठान स्थल पर पारम्परिक रूप से ग्रामीण बैगा मंत्रोच्चार के साथ एक ही झटके में देवी सवार श्रद्धालु के गाल और जिह्वा को भेदते हुए, लोहे की नुकीली त्रिशूल स्थापित कर देता है और पूर्णाहुति पर मां का प्रसाद रूपी सिंदूर लगाकर सारे कष्टों का निवारण कर देते हैं। अनुष्ठान के बाद भक्तों के जिह्वा व गाल के घाव भी बिना दवा इलाज के ही सिंदूर से छू मंतर हो जाते हैं।आस्था के इस महासागर में ग्रामीण आदिवासी लोग पारंपरिक रूप से डुबकी लगाते रहते हैं।