पूरे वैभव और लाव लश्कर के साथ शैव, बैरागी और उदासीन सम्प्रदाय के अखाड़ों ने अमृत काल में लगाई पुण्य की डुबकी
- महाकुम्भ में बसंत पंचमी पर अखाड़ों ने किया दिव्य-भव्य और अलौकिक अमृत स्नान
महाकुम्भ नगर । तीर्थराज, प्रयागराज में सनातन आस्था के महापर्व, महाकुम्भ में बसंत पंचमी के अवसर पर तीसरे अमृत स्नान का समापन हो गया। प्रशासन के मुताबिक इस अवसर पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी के जल में अमृत काल में पुण्य की डुबकी लगाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पुण्य अवसर पर सभी साधु संतों , महात्मा और श्रद्धालुओं को बधाई दी।
महाकुम्भ में बसंत पंचमी पर अखाड़ों ने किया भव्य, दिव्य और अलौकिक अमृत स्नान
महाकुम्भ में त्रिवेणी के तट पर बसंत पंचमी के अमृत स्नान में आस्था की बयार प्रवाहित हुई। तीसरे अमृत स्नान की शुरुआत हिन्दू सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़ों के संतों की संगम में पुण्य की डुबकी से हुई । अखाड़ो के इस अमृत स्नान के साथ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के प्राकट्य दिवस बसंत पंचमी के संयोग ने इसे और विशिष्ट बना दिया । त्रिवेणी के तट पर पहला अमृत स्नान कर्म का माना जाता है , दूसरा अमृत स्नान भक्ति का और तीसरा ज्ञान का ।प्रयागराज में वैसे भी गंगा और यमुना के साथ ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की धारा का संगम होता है। इसी संयोग ने इस अमृत स्नान को अलौकिक बना दिया ।
पूर्ण वैभव और भव्यता के साथ अखाड़ों ने किया अमृत स्नान
बसंत पंचमी के पावन पर्व पर अपनी सनातन परंपरा का अनुगमन करते हुए साधु-संन्यासियों के अखाड़ों ने पूरे विधि-विधान से शोभा यात्रा निकालते हुए अमृत स्नान किया। सहस्त्राब्दियों से चली आ रही महाकुम्भ में अमृत स्नान की अक्षुण्ण सनातन परंपरा को जीवंत होता देख आम जनमानस भाव विह्वल हो उठा। हिमालय की कंदराओं, मठों, मंदिरों में रहने वाले धर्म रक्षक नागा अपना रूप श्रृंगार कर मां गंगा की गोद में अठखेलियां करने उतर