भाजपा सहित 32 दल सभी चुनाव एक साथ कराने के पक्ष में: कोविंद समिति की रिपोर्ट
एक देश एक चुनाव: कोविंद कमेटी ने राष्ट्रपति को सौंपी 18,626 पन्नों की रिपोर्ट
नयी दिल्ली : एक देश, एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने देश भर में त्रिस्तरीय सभी चुनाव एक साथ कराने के लिये दो-चरणीय दृष्टिकोण की सिफारिश की है। पहले कदम के रूप में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिये एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गयी है।समिति का कहना है कि दूसरे चरण में, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के साथ इस तरह से समन्वित किया जा सकता है कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा के चुनाव होने के सौ दिनों के भीतर हो जायें।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), दो राष्ट्रीय पार्टियों से 32 सहित लोक सभा में प्रतिनिधित्व रखने वाले 46 राजनीतिक दलों में से 32 दलों ने एक देश, एक चुनाव के प्रस्ताव का समर्थन किया।
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में इस विषय पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त छह दलों में से चार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है. विरोध करने वालों में कांग्रेस , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और आम आदमी पार्टी (आप) भी है।समिति की रिपोर्ट के अनुसार समिति ने कुल 62 दलों से सुझाव और प्रतिक्रियायें मांगी थी जिसमे से 47 दलों ने समिति को अपने सुझाव दिये। इन दलों में 32 दल देश में लोक सभा, विधानसभा चुनाव एक साथ चुनाव कराये जाने के लिये सहमति व्यक्त की है जबकि 15 ने असहमति व्यक्त की है।पन्द्रह दलों ने समिति के अनुरोध के बावजूद इस विषय में अपनी कोई राय नहीं दी है।
राज स्तरीय दलों में तृणमूल कांग्रेस , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रविण मुनेत्र कषगम (डीएमके), आल इंडिया मजलिसे -ऐतिहादुल मुस्लिमीन और समाजवादी पार्टी ने साथ-साथ चुनाव कराने की अवधारणा का विरोध किया है।शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) असम गण परिषद , अन्ना द्रमुक, जनता दल (यूनाइटेड), शिव सेना और लोक जनशक्ति पार्टी (आर) साथ-साथ चुनाव के पक्ष में हैं।राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) तथा झारखण्डमुक्ति मोर्चा जैसे कई बड़े राज स्तरीय दलों ने इस विषय में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार), महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी और भारतीय मक्कल कालवी मुनेत्र कषगम साथ-साथ चुनाव कराने के पक्ष में हैं।रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस ने कहा है कि साथ-साथ चुनाव की प्रणाली लागू करने से “संविधान की मूल संरचना में काफी बदलाव हो जायेगा और यह संघवाद की गारंटी के विरुद्ध हो जायेगा।”कांग्रेस पार्टी ने अलग-अलग चुनाव पर अधिक खर्च के तर्क को निराधार बताते हुये कहा है कि लोक तंत्र को बचाये रखने के लिये स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की लागत के रूप में इस तरह का खर्च ज़्यादा नहीं हैं।माकपा ने साथ साथ चुनाव की अवधारणा को मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक बताया।इस अवधारणा का समर्थन कर रही केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा है कि समिति से कहा है कि साथ-साथ चुनाव की व्यवस्था ने 1952 से 1967 तक निर्बाध रूप से कार्य किया था।
पार्टी ने कहा है कि बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण “ पांच वर्ष की अवधि में लगभग आठ सौ दिनों तक विकास कार्यों और शासन क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ने जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। ”भाजपा ने स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक मतदाता पत्र के साथ एकीकृत चुनावी प्रणाली का प्रस्ताव रखा है और कहा है कि यह आर्थिक प्रशासनिक और लोकतांत्रिक कारणों से राष्ट्र हित में है।कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक देश, एक चुनाव-आकांक्षी भारत के लिये एकसाथ चुनाव महत्वपूर्ण’ विषय पर गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपनी 18,626 पृष्ठ की रिपोर्ट सौंप दी।श्री कोविंद के नेतृत्व में समिति के सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन में श्रीमती मुर्मु से भेंट कर उन्हें रिपोर्ट की एक प्रति प्रस्तुत की।इस अवसर पर गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे।
समिति के सदस्यों में गृह मंत्री के अलावा, राज्य सभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ विधिवेत्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारीशामिल थे। श्री मेघवाल समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य थे।डॉ नितेन चंद्रा को समिति के सचिव का कार्य सौंपा गया था।समिति का गठन दो सितंबर 2023 को किया गया था। केन्द्रीय विधि मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, इसमें 191 दिनों में विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार- विमर्श करके और विभिन्न शोध पत्रों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।पूरे भारत से नागरिकों से 21,558 प्रतिक्रियायें प्राप्त हुईं। अस्सी प्रतिशत लोगों ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया।
भारत के चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और प्रमुख उच्च न्यायालयों के बारह पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, भारत के चार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों, आठ राज्य चुनाव आयुक्तों और भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष जैसे कानून विशेषज्ञों को समिति द्वारा व्यक्तिगत रूप से बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया था। भारत निर्वाचन आयोग की राय भी मांगी गयी।अलग-अलग चुनाव कराये जाने की स्थिति पर सीआईआई, फिक्की, एसोचैम जैसे शीर्ष व्यापारिक संगठनों और प्रख्यात अर्थशास्त्रियों से उसके आर्थिक प्रभावों पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए परामर्श लिया गया। उन सभी ने कहा कि अलग-अलग चुनाव कराये जाने से महंगाई बढ़ती है और अर्थव्यवस्था धीमी होती है। इस सिलसिले में एक साथ चुनाव कराया जाना उचित होगा। इन निकायों द्वारा समिति को बताया गया कि एक साथ चुनाव न होने के कारण आर्थिक विकास, सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता, शैक्षिक और अन्य परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा सामाजिक सद्भाव पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि तीनों स्तरों के चुनावों में उपयोग के लिये एक ही मतदाता सूची और चुनावी फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) होना चाहिये।एक साथ चुनाव कराये जाने की संभावनाओं की पड़ताल करने और संविधान के मौजूदा प्रारूप को ध्यान में रखते हुए समिति ने अपनी सिफारिशें इस तरह तैयार की हैं कि वे संविधान की भावना के अनुरूप हैं तथा उसके लिए संविधान में संशोधन करने की नाममात्र जरूरत है।सर्व-समावेशी विचार-विमर्श के बाद, समिति ने निष्कर्ष निकाला कि इसकी सिफारिशों से मतदाताओं की पारदर्शिता, समावेशिता, सहजता और विश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में प्राप्त जबरदस्त समर्थन से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, हमारा लोकतांत्रिक ताना-बाना मजबूत होगा और भारत की आकांक्षाओं को साकार रूप प्राप्त होगा। (वार्ता)
Former President of India Shri Ram Nath Kovind who heads High-Level Committee (HLC) on 'One Nation, One Election' presented the report on simultaneous elections in the country to President Droupadi Murmu along with members of the HLC including Union Home Minister Shri Amit Shah,… pic.twitter.com/wqlPZ3n0FV
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 14, 2024