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एचएएल, एलएंडटी से प्रशिक्षण विमान, प्रशिक्षण पोत खरीदने हेेतु 10 हजार करोड़ रुपए के अनुबंध

नयी दिल्ली : रक्षा साजोसामान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ते हुए रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) से 70 एचटीटी-40 बेसिक प्रशिक्षण विमान तथा निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड(एलएंडटी) से नौसेना के लिए तीन कैडेट प्रशिक्षण पोत की खरीद के लिए भी करार पर हस्ताक्षर किए।

मंत्रालय के अनुसार प्रशिक्षण विमानों की खरीद पर 6,800 करोड़ रुपए से अधिक तथा प्रशिक्षण पोतों पर 3,100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आयेगी। प्रशिक्षण विमानों की आपूर्ति छह वर्ष में की जानी है, जबकि पोतों की आपूर्ति 2026 से शुरू होगी।कंपनियों के साथ इन अनुबंधों पर हस्ताक्षर और अनुबंध-पत्रों के आदान प्रदान के लिए राजधानी में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा सचिव गिरधर अरमने, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सिविल और सैन्य अधिकारी तथा उपरोक्त दोनों कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मंत्रिमंडल ने इसी माह पहली तारीख को एचएएल से 70 प्रशिक्षण विमान और एलएंडटी से तीन कैडट प्रशिक्षण जहाजों की खरीद के प्रस्तावों को हस्ताक्षर करने को भी मंजूरी दी थी।रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार एचटीटी-40 टर्बो प्रॉपेल्ड विमान हैं। इन्हें काफी कम गति पर जमीन पर उतारा जा सकता है। इसमें पूरी तरह से एयरोबेटिक सीट, वातानुकूलित कॉकपिट, आधुनिक एवियोनिक्स, हॉट री-फ्यूलिंग, रनिंग चेंज ओवर और जीरो-जीरो एविक्सन सीटें हैं।

मंत्रालय ने कहा है कि ये विमान नए पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय वायुसेना के मौलिक प्रशिक्षण विमानों की कमी पूरा करेंगे। मंत्रालय के अनुसार एक स्वदेशी समाधान होने के नाते यह विमान भारतीय सशस्त्र बलों की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्नयन के लिए कन्फीगर करने योग्य है। विमान की आपूर्ति छह वर्ष की अवधि में की जाएगी। एचटीटी-40 में लगभग 56 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है जो आगे चल कर 60 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी।

मंत्रालय का कहना है कि इस करार को पूरा करने के लिए एचएएल 100 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई ) को जोड़ेगी और तथा हजारों लोगों को प्रत्यत्क्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।मंत्रालय ने कहा है कि एलएंडटी से खरीदे जा रहे तीन कैडेड प्रशिक्षण जहाज नौसेना की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खरीदे जा रहे हैं। ये जहाज राजनयिक संबंधों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से मित्र देशों के कैडेटों को भी प्रशिक्षण देंगे।

इन जहाजों को संकटग्रस्त क्षेत्रों से लोगों को निकालने, खोज और बचाव तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियानों के लिए भी तैनात किया जा सकता है।इन जहाजों की डिलीवरी 2026 से प्रारंभ होगी। इन जहाजों को चेन्नई के कट्टुपल्ली में एलएंडटी शिपयार्ड में स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा। इस परियोजना से साढ़े चार वर्ष की अवधि में 22.5 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा।(वार्ता)

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