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विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस : किताबों में है सबकुछ

सदी कोई भी हो लेकिन पुस्तक की महत्ता कभी कम नहीं हुई, पुस्तक एक ऐसा ताला है, जिसे खोलते ही हमारे अनगिनत सवालों के जवाब मिल सकते हैं। पुस्तक को परिभाषित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन, डॉ अब्दुल कलाम आजाद ने एक बार कहा था कि ‘एक पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है’। वहीं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार पुस्तकें वो साधन हैं जिनकी सहायता से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

आज हम आपको ये इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हर साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। इसका लक्ष्य लोगों को पढ़ने और लिखने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि इस दिन कई मशहूर लेखकों का जन्म और कई अन्य मशहूर लेखकों की मृत्यु हुई थी। 23 अप्रैल को, विलियम शेक्सपियर (प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि), मिगुएल डे सर्वेंट्स (स्पेनिश लेखक), और जोसेफ प्लाया (स्पेनिश पत्रकार) की मृत्यु हो गई थी, जबकि मैनुएल मेजिया वाल्लीजो (कोलम्बियाई लेखक) और मौरिस ड्रून (फ्रांसीसी उपन्यासकार) का जन्म इसी तारीख को हुआ था।

हर साल लगभग 22 लाख किताबें होती हैं प्रकाशित

पुस्तकें हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे हमें बाहरी दुनिया का ज्ञान प्रदान करते हैं। हर साल लगभग 22 लाख किताबें प्रकाशित की जाती हैं। वे हमें प्रभावित करती हैं। किताबें हमें मानसिक और भावनात्मक रूप से बढ़ने में मदद करती हैं। हम किताबों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। वे असफलताओं से सीखने में हमारी मदद करती हैं और साथ ही हमारी सोच को आकार देती हैं।
अगर कॉपीराइट की बात करें तो ये एक कानूनी शब्द है जो मूल लेख के लेखकों या रचनाकारों को विशेष अधिकार प्रदान करता है। यह कॉपीराइट धारक को कार्य के लिए श्रेय दिए जाने के अधिकार के साथ-साथ कई अन्य अधिकार भी देता है।

किताबों के महत्व से अवगत कराने के लिए यूनेस्को चलाता है अभियान

यूनेस्को पुस्तकें पढ़ने को लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए 1 अप्रैल से इस संबंध में लगातार कविताएं और संदेश पोस्ट कर रहा है। इस तरह यह लोगों को अधिक से अधिक किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की तैयारी में, यूनेस्को ने लोगों को खुद को आगे बढ़ाने और नए विषयों, स्वरूपों या शैलियों को आजमाने के लिए प्रोत्साहित किया है। किताबें मूल्यों और ज्ञान की संवाहक और अमूर्त विरासत को अपने में समेटे हुई होती हैं जबकि कॉपीराइट रचनात्मक कलाकारों के काम की रक्षा करता है। 2001 से, यूनेस्को हर वर्ष एक वर्ल्ड बुक कैपिटल चुनता है। 2001 में मैड्रिड, 2002 में अलेक्जेंड्रिया, 2003 में नई दिल्ली को बुक कैपिटल चुना गया। इस साल वर्ल्ड बुक कैपिटल के लिए जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी का चुनाव हुआ है।

कोविड महामारी के दौरान किताबें बन सकती हैं दोस्त

ऐसे समय में जब लोग अपने घरों की चार दीवारों के भीतर सीमित हैं, हम पुस्तकों की शक्ति का उपयोग अकेलेपन से लड़ने, सामाजिक संबंधों और हमारी कल्पना शक्ति को मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं। यह हमारे ज्ञान में भी बढ़ोतरी करते हैं। सकारात्मक पुस्तकें हमारे मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखने में मदद करती हैं तथा आत्मीय शांति प्रदान करती हैं। हमारे जीवन में पुस्तकों के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे न केवल हमारे ज्ञान को व्यापक बनाने में मदद करते हैं बल्कि हमारे आसपास की दुनिया के साथ हमें जोड़ने वाले द्वार के रूप में भी कार्य करती हैं। अमेरिकी लेखक फ्रेडरिक डगलस ने कहा था,“एक बार जब आप पढ़ना सीख लेते हैं, तो हमेशा के लिए आजाद हो जाते हैं।”

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