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बंगाल की चुनावी हिंसा पर क्यों चुप हैं विपक्षी दल: भाजपा

नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को अप्रत्याशित बताते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया है कि चुनाव और हिंसा बंगाल में पर्यायवाची शब्द बन गए हैं। भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए पात्रा ने कहा कि बंगाल में आज काउंटिंग चल रही है लेकिन जब से राज्य में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई है तब से लेकर अभी तक राज्य में 45 लोगों की हत्या हो चुकी है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सेंट्रल फोर्सेस होने के बावजूद बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान 45 लोगों की हत्या होना यह दिखाता है कि राज्य सरकार किस प्रकार प्रायोजित तरीके से इन हत्याओं को अंजाम दे रही है। भाजपा प्रवक्ता ने इसे पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का स्टेट स्पांसर्ड मर्डर करार देते हुए कहा कि जितने लोग मारे गए हैं, उनकी हत्या प्रायोजित है,संस्थागत हत्या है और इसमें पुलिस प्रशासन से लेकर जिला अधिकारी तक सब शामिल हैं।बंगाल के हालात को लेकर राहुल गांधी, नीतीश कुमार और लालू यादव सहित अन्य विपक्षी दलों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए पात्रा ने कहा कि अगर यही दृश्य किसी भाजपा शासित राज्य से आ रहा होता तो हाहाकार मच गया होता।

उन्होंने महागठबंधन की कोशिशों को महाठगबंधन करार देते हुए कहा कि ये सारे नेता, जो हाथ पकड़-पकड़ कर राज्यों में खड़े होते हैं, ये सारे नेता कहां हैं? उन्होंने कहा कि मोहब्बत की दुकान खोलने वाले राहुल गांधी आज कहां हैं ? लालू यादव और नीतीश कुमार कहां हैं ? बंगाल के हालात को लेकर इनमें से किसी एक नेता के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला है। जबकि बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कांग्रेस और लेफ्ट दलों के कार्यकर्ताओं की भी हत्या की जा रही है।

भाजपा प्रवक्ता ने ममता बनर्जी सरकार के कार्यकाल में चुनाव में लगातार बढ़ रही हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि 2013 के पंचायत चुनाव में राज्य में 15 लोगों की हत्या हुई थी, 2018 के पंचायत चुनाव में 23 लोगों की हत्या हुई थी और इस बार के 2023 के पंचायत चुनाव में अब तक 45 लोगो की हत्या हो चुकी है।भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बंगाल में लोगों की हत्या और लोकतंत्र की हत्या की तीव्र निंदा करते हुए आरोप लगाया कि चुनाव में जमकर हिंसा हुई और आज काउंटिंग के दौरान भी लोगों को पड़ोसी राज्य असम में जाकर शरण लेनी पड़ रही है।(वीएनएस)

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