- वित्त मंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ भारतीय अर्थव्यवस्था की लड़ाई में व्यवसायों, विशेषकर एमएसएमई को राहत और ऋण संबंधी सहायता देने के लिए अहम उपायों की घोषणा की
नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था। उन्होंने यह भी कहा कि काफी मंथन करने के बाद प्रधानमंत्री ने स्वयं यह सुनिश्चित किया है कि व्यापक परामर्श से प्राप्त सुझाव या फीडबैक ‘कोविड-19’ के खिलाफ लड़ाई में आर्थिक पैकेज का एक हिस्सा बनें। श्रीमती सीतारमण ने कहा, ‘अनिवार्य रूप से लक्ष्य एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। यही कारण है कि आर्थिक पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान नाम दिया गया है। श्रीमती सीतारमण ने उन स्तंभों का हवाला दिया जिन पर आत्मनिर्भर भारत की इमारत खड़ी होगी और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा फोकस भूमि, श्रम, तरलता (लिक्विडिटी) और कानून पर होगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार सभी की बातें ध्यानपूर्वक सुनती रही है और यह एक उत्तरदायी सरकार है। अत: यह वर्ष 2014 से लेकर अब तक लागू किए गए कुछ सुधारों को स्मरण करने की दृष्टि से बिल्कुल उपयुक्त समय है। श्रीमती सीतारमण ने कहा, ‘बजट 2020 पेश करने के तुरंत बाद ही कोविड-19 का प्रकोप बढ़ने लगा और लॉकडाउन 1.0 की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) की घोषणा कर दी गई।’ उन्होंने कहा कि हम इस पैकेज को और भी अधिक व्यापक करने जा रहे हैं।
श्रीमती सीतारमण ने कहा, ‘आज से शुरुआत करते हुए अगले कुछ दिनों तक मैं वित्त मंत्रालय की पूरी टीम के साथ यहां आती रहूंगी, ताकि प्रधानमंत्री द्वारा कल घोषित आत्मनिर्भर भारत से जुड़े प्रधानमंत्री के विजन के बारे में विस्तार से बताया जा सके।’ श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज उन उपायों की घोषणा की जिनका उद्देश्य कारोबारी गतिविधियां फिर से शुरू करना है अर्थात कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं, व्यवसायों, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को फिर से उत्पादन कार्य में संलग्न करना और कामगारों को फिर से लाभकारी रोजगारों से जोड़ना है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी), माइक्रो फाइनेंस सेक्टर और विद्युत सेक्टर को मजबूत करने के प्रयासों के बारे में भी बताया गया। इसके अलावा कारोबारियों को कर राहत, सार्वजनिक खरीद में ठेकेदारों को अनुबंध की प्रतिबद्धताओं से राहत और रियल एस्टेट सेक्टर को अनुपालन राहत भी दी गई है। पिछले पांच वर्षों में सरकार ने सक्रिय रूप से उद्योग और एमएसएमई के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। रियल एस्टेट सेक्टर के लिए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम [रेरा] को वर्ष 2016 में कानून का रूप दिया गया, ताकि इस उद्योग में और भी अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। किफायती और मध्यम आय आवास के लिए एक विशेष कोष पिछले साल बनाया गया, जिससे कि इस सेगमेंट में कर्ज संबंधी समस्या से निपटने में मदद मिल सके। किसी भी सरकारी विभाग या पीएसयू द्वारा देरी से भुगतान करने संबंधी मुद्दे को सुलझाने में एमएसएमई की सहायता करने के लिए वर्ष 2017 में ‘समाधान पोर्टल’ लॉन्च किया गया। स्टार्टअप्स के लिए एक ‘फंड ऑफ फंड्स’ को सिडबी के तहत स्थापित किया गया, ताकि देश में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सके। इसी तरह विभिन्न अन्य ऋण गारंटी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे कि एमएसएमई को ऋण प्रवाह में मदद मिल सके।
निम्नलिखित उपायों की घोषणा आज की गई: –
- एमएसएमई सहित व्यवसायों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा
व्यवसायों को राहत देने के लिए 29 फरवरी 2020 तक बकाया ऋण के 20% की अतिरिक्त कार्यशील पूंजी रियायती ब्याज दर पर सावधि ऋण (टर्म लोन) के रूप में प्रदान की जाएगी। यह राहत 25 करोड़ रुपये तक के बकाया ऋण और 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली उन इकाइयों के लिए उपलब्ध होगी, जिनके खाते मानक हैं। इन इकाइयों को अपनी ओर से कोई भी गारंटी या जमानत नहीं देनी होगी। इस राशि पर 100% गारंटी भारत सरकार द्वारा दी जाएगी जो 45 लाख से भी अधिक एमएसएमई को 3.0 लाख करोड़ रुपये की कुल तरलता (लिक्विडिटी) प्रदान करेगी।
- कर्ज बोझ से दबे एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का अप्रधान ऋण
उन दो लाख एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ के अप्रधान ऋण का प्रावधान किया गया है जो एनपीए से जूझ रहे हैं या कर्ज बोझ से दबे हुए हैं। सरकार सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) को 4,000 करोड़ रुपये देकर उन्हें आवश्यक सहयोग देगी। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस तरह के एमएसएमई के प्रवर्तकों को अप्रधान ऋण प्रदान करेंगे, जो इकाई में उनकी मौजूदा हिस्सेदारी के 15% के बराबर होगा। यह ऋण अधिकतम 75 लाख रुपये होगा। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस तरह के एमएसएमई के प्रवर्तकों को अप्रधान ऋण प्रदान करेंगे, जो इकाई में उनकी मौजूदा हिस्सेदारी के 15% के बराबर होगा। यह ऋण अधिकतम 75 लाख रुपये होगा।
- एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी सुलभ कराई जाएगी
सरकार 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना करेगी जो एमएसएमई को इक्विटी फंडिंग सहायता प्रदान करेगा। फंड ऑफ फंड्स का संचालन एक समग्र फंड और कुछ सहायक फंडों के माध्यम से होगा। यह उम्मीद की जाती है कि सहायक फंडों के स्तर पर 1:4 के लाभ या प्रभाव की बदौलत फंड ऑफ फंड्स लगभग 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी जुटा सकेगा।
- एमएसएमई की नई परिभाषा
निवेश की सीमा बढ़ाकर एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा। टर्नओवर का एक अतिरिक्त मानदंड भी शामिल किया जा रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) के बीच के अंतर को भी समाप्त किया जाएगा।
- एमएसएमई के लिए अन्य उपाय
एमएसएमई के लिए ई-मार्केट लिंकेज को बढ़ावा दिया जाएगा, जो व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों के प्रतिस्थापन के रूप में काम करेगा। सरकार और सीपीएसई की ओर से एमएसएमई के प्राप्य 45 दिनों में जारी किए जाएंगे।
- 200 करोड़ रुपये तक की सरकारी निविदाओं के लिए कोई वैश्विक निविदा नहीं
200 करोड़ रुपये से कम मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में वैश्विक निविदा पूछताछ को नामंजूर करने के लिए सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) में संशोधन किए जाएंगे।
- व्यावसायिक और संगठित कामगारों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि सहायता
‘पीएमजीकेपी’ के एक भाग के रूप में शुरू की गई योजना, जिसके तहत भारत सरकार ईपीएफ में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की ही ओर से वेतन में 12-12% का योगदान करती है, को जून, जुलाई और अगस्त 2020 के वेतन महीनों के लिए 3 माह तक बढ़ाया जाएगा। इसके तहत लगभग 2500 करोड़ रुपये का कुल लाभ 72.22 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। .
- ईपीएफ अंशदान को नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए 3 माह तक घटाया जाएगा
ईपीएफओ द्वारा कवर किए जाने वाले सभी प्रतिष्ठानों के नियोक्ता और कर्मचारी दोनों में से प्रत्येक के अनिवार्य पीएफ अंशदान को 3 माह तक मौजूदा 12% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इससे प्रति माह लगभग 2,250 करोड़ रुपये की तरलता मिलेगी।
- एनबीएफसी/एचएफसी/एमएफआई के लिए 30,000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता योजना
सरकार 30,000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता योजना शुरू करेगी, तरलता आरबीआई द्वारा प्रदान की जा रही है। एनबीएफसी, एचएफसी और एमएफआई के निवेश योग्य डेट पेपर में प्राथमिक और द्वितीयक बाजार में होने वाले लेन-देन में निवेश किया जाएगा। इस पर भारत सरकार की ओर से 100 प्रतिशत गारंटी होगी।
- एनबीएफसी/एमएफआई की देनदारियों के लिए 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0
मौजूदा आंशिक ऋण गारंटी योजना को संशोधित किया जा रहा है और अब कम रेटिंग वाली एनबीएफसी, एचएफसी और अन्य माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) की उधारियों को भी कवर करने के लिए इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 20 प्रतिशत के प्रथम नुकसान की संप्रभु गारंटी प्रदान करेगी। .
- डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की तरलता सुलभ कराई जाएगी
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन इसके तहत डिस्कॉम में दो समान किस्तों में 90000 करोड़ रुपये रुपये तक की तरलता सुलभ कराएंगी। इस राशि का उपयोग डिस्कॉम द्वारा पारेषण और उत्पादक कंपनियों को उनके बकाये का भुगतान करने में किया जाएगा। इसके अलावा, सीपीएसई की उत्पादक कंपनियां इस शर्त पर डिस्कॉम को छूट देंगी कि यह रियायत अंतिम उपभोक्ताओं को उनके निर्दिष्ट शुल्क की अदायगी में राहत के रूप में मिल जाए।
- ठेकेदारों को राहत
रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और सीपीडब्ल्यूडी जैसी सभी केंद्रीय एजेंसियां ईपीसी और रियायत समझौतों से जुड़े दायित्वों सहित अनुबंधात्मक दायित्वों को पूरा करने के लिए छह माह तक का समय विस्तार देंगी।
- रियल एस्टेट परियोजनाओं को राहत
राज्य सरकारों को यह सलाह दी जा रही है कि वे ‘रेरा’ के तहत अप्रत्याशित परिस्थिति या आपदा अनुच्छेद का उपयोग करें। सभी पंजीकृत परियोजनाओं के लिए पंजीकरण एवं पूर्णता तिथि 6 माह तक बढ़ाई जाएगी तथा राज्य की परिस्थिति के आधार पर इसे 3 माह और बढ़ाया जा सकता है। ‘रेरा’ के तहत विभिन्न वैधानिक अनुपालनों को भी एक साथ बढ़ाया जाएगा।
- व्यवसाय के लिए कर राहत
धर्मार्थ ट्रस्टों एवं गैर-कॉरपोरेट व्यवसायों और प्रोपराइटरशिप, साझेदारी एवं एलएलपी सहित पेशों तथा सहकारी समितियों को लंबित आयकर रिफंड तुरंत जारी किए जाएंगे।
- कर संबंधी उपाय
· ‘स्रोत पर कर कटौती’ और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर’ की दरों में कटौती – निवासियों को होने वाले सभी गैर-वेतनभोगी भुगतान के लिए टीडीएस दरों, और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर’ की दर में वित्त वर्ष 2020-21 की शेष अवधि के लिए निर्दिष्ट दरों में 25 प्रतिशत की कमी की जाएगी। इससे 50,000 करोड़ रुपये की तरलता सुलभ होगी। आकलन वर्ष 2020-21 के लिए सभी आयकर रिटर्न की अंतिम तारीख को 30 नवंबर, 2020 तक बढ़ा दिया जाएगा। इसी तरह टैक्स ऑडिट की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया जाएगा। ‘विवाद से विश्वास’ योजना के तहत अतिरिक्त राशि के बिना ही भुगतान करने की तारीख को 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ा दिया जाएगा।
कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवासियों, किसानों, छोटे कारोबारियों और स्ट्रीट वेंडरों सहित गरीबों की सहायता के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों के बारे में विस्तार से बताया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदैव ही प्रवासी श्रमिकों और किसानों सहित गरीबों की कठिनाइयों को लेकर चिंतित रहते हैं। किसान और श्रमिक इस राष्ट्र की रीढ़ हैं। वे कड़ी मेहनत कर हम सभी की सेवा करते हैं। प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के अलावा शहरी क्षेत्रों में किफायती और सुविधाजनक किराये वाले आवास की आवश्यकता होती है। प्रवासी और असंगठित कामगारों सहित गरीबों के लिए रोजगार अवसर सृजित करने की भी जरूरत है। किसानों को समय पर और पर्याप्त ऋण सहायता की आवश्यकता है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था और समाज के सभी वर्गों की जरूरतों के प्रति सजग है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विशेष रूप से स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा चलाए जाने वाले छोटे व्यवसाय शिशु मुद्रा ऋणों के जरिए गरिमामयी आजीविका में सहयोग देते हैं। उन्हें भी व्यवसाय के जरिए हमारे संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा और संवर्धित ऋण के रूप में हमारी देख-रेख की आवश्यकता है।
प्रवासियों, किसानों, छोटे व्यवसाय और फेरी वालों सहित गरीबों की सहायता के लिए आज निम्नलिखित अल्पकालिक और दीर्घकालिक कदमों की घोषणा की गई :-
1. प्रवासियों को 2 महीने के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति
प्रवासी कामगारों के लिए सभी राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को प्रति कामगार दो महीनों यानी मई और जून, 2020 के लिए प्रति महीने प्रति कामगार 5 किलोग्राम की दर से खाद्यान्न और प्रति परिवार 1 किलोग्राम चना का मुफ्त आवंटन किया जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में नहीं आने वाले या राज्य/ संघ शासित क्षेत्रों में बिना राशन कार्ड वाले ऐसे प्रवासी कामगार इसके पात्र होंगे, जो वर्तमान में किसी क्षेत्र में फंसे हुए हैं। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को योजना के तहत लक्षित वितरण के लिए एक तंत्र विकसित करने का परामर्श दिया जाएगा। इसके लिए 8 लाख एमटी खाद्यान्न और 50,000 एमटी चने का आवंटन किया जाएगा। इस पर होने वाला कुल 3,500 करोड़ रुपये के व्यय का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाएगा।
2. प्रवासियों को भारत में किसी भी फेयर प्राइस शॉप (उचित मूल्य वाली दुकान) से पीडीएस (राशन) खरीदने में सक्षम बनाने के लिए मार्च, 2020 तक प्रौद्योगिकी प्रणाली का उपयोग होगा- एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड
राशन कार्डों की पोर्टेबिलिटी की पायलट योजना का 23 राज्यों तक विस्तार किया जाएगा। इससे अगस्त, 2020 तक राशन कार्डों की राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी के द्वारा 67 करोड़ लाभार्थियों यानी 83 प्रतिशत पीडीएस आबादी को इसके दायरे में लाया जाएगा। 100 प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी के लक्ष्य को मार्च, 2021 तक हासिल कर लिया जाएगा। यह पीएम की तकनीक आधारित व्यवस्थागत सुधारों की मुहिम का हिस्सा है। इस योजना से एक प्रवासी कामगार और उनके परिवार के सदस्य देश की किसी भी फेयर प्राइस शॉप से पीडीएस का लाभ लेने में सक्षम हो जाएंगे। इससे स्थान परिवर्तन करने वाले विशेष रूप से प्रवासी कामगार देश भर में पीडीएस लाभ लेने में सक्षम हो जाएंगे।
3. प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों के लिए सस्ते किराये के आवास परिसरों की योजना शुरू की जाएगी
केंद्र सरकार प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों के लिए सस्ते किराए पर रहने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू करेगी। सस्ते किराए के ये आवासीय परिसर प्रवासी श्रमिकों, शहरी गरीबों और छात्रों आदि को सामाजिक सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करेंगे। ऐसा शहरों में सरकारी वित्त पोषित मकानों को रियायती माध्यम से पीपीपी मोड के तहत सस्ते किराए के आवासीय परिसरों (एआरएचसी) में परिवर्तित करके किया जाएगा। विनिर्माण इकाइयां, उद्योग, संस्थाएं अपनी निजी भूमि पर सस्ते किराए के आवासीय परिसरों (एआरएचसी) को विकसित करेंगे और उन्हें संचालित करेंगे। इसी तर्ज पर सस्ते किराये के आवासीय परिसरों (एआरएचसी) को विकसित करने और संचालित करने के लिए राज्य सरकार की एजेंसियों / केंद्र सरकार के संगठनों को प्रेरित किया जाएगा। इस योजना का पूरा विवरण मंत्रालय / विभाग द्वारा जारी किया जाएगा।
4. शिशु मुद्रा ऋण लेने वालों को 12 महीने के लिए 2 फीसदी ब्याज की छूट – 1,500 करोड़ रुपये की राहत
भारत सरकार मुद्रा शिशु ऋण लेने वालों में शीघ्र भुगतान करने वालों को 12 महीने की अवधि के लिए 2 फीसदी का ब्याज उपदान प्रदान करेगी, जिनके ऋण 50,000 रुपये से कम के हैं। मुद्रा शिशु ऋणों का वर्तमान पोर्टफोलियो लगभग 1.62 लाख करोड़ रुपये का है। शिशु मुद्रा ऋण लेने वालों को इसमें लगभग 1,500 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
5. स्ट्रीट वेंडरों के लिए 5,000 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा
स्ट्रीट वेंडरों पर मौजूदा स्थिति में सबसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उनको ऋण तक आसान पहुंच की सुविधा देने के लिए एक महीने के भीतर एक विशेष योजना शुरू की जाएगी ताकि उन्हें अपने व्यवसायों को फिर से शुरू करने में सक्षम बनाया जा सके। इस योजना के तहत प्रत्येक उद्यम के लिए 10,000 रुपये की प्रारंभिक कार्यशील पूंजी की बैंक ऋण सुविधा दी जाएगी। यह योजना शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विक्रेताओं को भी कवर करेगी जो आसपास के शहरी इलाकों में व्यवसाय करते हैं। मौद्रिक पुरस्कारों के माध्यम से डिजिटल भुगतानों के उपयोग और समय पर पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसा अनुमान है कि 50 लाख स्ट्रीट वेंडर इस योजना के तहत लाभान्वित होंगे और उन तक 5,000 करोड़ रुपये का ऋण प्रवाहित होगा।
6. पीएमएवाई (शहरी) के तहत एमआईजी के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना के विस्तार के माध्यम से आवासन क्षेत्र और मध्यम आय समूह को 70,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन
क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना को मध्यम आय समूह के लिए (6 से 18 लाख रुपये के बीच वार्षिक आय) मार्च 2021 तक बढ़ाया जाएगा। इससे 2020-21 के दौरान 2.5 लाख मध्यम आय वाले परिवारों को लाभ होगा और आवासन क्षेत्र में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। आवास क्षेत्र को बढ़ावा देकर ये बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा करेगा और इस्पात, सीमेंट, परिवहन व अन्य निर्माण सामग्री की मांग को प्रोत्साहित करेगा।
- कैम्पा फंड का उपयोग करते हुए रोजगार सृजन के लिए 6000 करोड़ रूपये
क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के अंतर्गत लगभग 6000 करोड़ रुपये की निधियों का उपयोग शहरी क्षेत्रों सहित वनीकरण एवं वृक्षारोपण कार्यों, कृत्रिम पुनरुत्पादन, सहायता प्राप्त प्राकृतिक पुनरुत्पादन, वन प्रबंधन, मृदा एवं आर्द्रता संरक्षण कार्यों, वन सरंक्षण, वन एवं वन्यजीव संबंधी बुनियादी सुविधाओं के विकास, वन्यजीव संरक्षण एवं प्रबंधन आदि में किया जाएगा। भारत सरकार 6000 करोड़ रुपये तक की इन योजनाओं को तत्काल स्वीकृति प्रदान करेगी। इससे शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में और जनजातीय (आदिवासियों) के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
8. नाबार्ड के माध्यम से किसानों के लिए 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी
ग्रामीण सहकारी बैंकों और आरआरबी की फसल ऋण आवश्यकता को पूरा करने के लिए नाबार्ड 30,000 करोड़ रुपये कीअतिरिक्त पुनर्वित्तीयनसहायता प्रदान करेगा।यह पुनर्वित्त फ्रंट-लोडेड (असमान रूप से आवंटित) और मांग के अनुसार प्राप्य होगा।यह 90,000 करोड़ रुपये से अतिरिक्त राशि है, जो सामान्यत: इस क्षेत्र को नाबार्ड द्वारा प्रदान की जाएगी। इससे लगभग 3 करोड़ किसानों को फायदा होगा, जिनमें ज्यादातर छोटे और सीमांत हैं और इससे उनकी रबी की फसल कटाई के बाद और खरीफ की मौजूदा जरूरते पूरी होंगी।
9. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2.5 करोड़ किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रोत्साहन
यह पीएम-किसान के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रियायती ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष अभियान है। मछुआरे और पशुपालक किसान भी इस अभियान में शामिल किए जाएंगे। इससे कृषि क्षेत्र में 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आएगी।इसके तहत 2.5 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस मेंकृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टरों के लिए कृषि अवसंरचना लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने, क्षमता निर्माण, गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधारों के लिए अहम उपायों के तीसरे भाग की घोषणा की। इसका विस्तृत विवरण देते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इन 11 उपायों में से 8 उपाय कृषि अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हैं और 3 उपाय प्रशासनिक एवं गवर्नेंस सुधारों के लिए हैं जिनमें कृषि उपज की बिक्री और स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध हटाना भी शामिल हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा कि किसानों को संबल देने के लिए कल भी कृषि संबंधी दो महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की गई थी। पहली घोषणा – नाबार्ड के जरिए अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा के रूप में 30,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, ताकि आरआरबी और सहकारी बैंक कटाई के बाद रबी सीजन एवं खरीफ सीजन से जुड़े खर्चों के लिए कृषि ऋण देने में समर्थ हो सकें। दूसरी घोषणा – दिसंबर 2020 तक किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2.5 करोड़ पीएम-किसान लाभार्थियों को कवर करते हुए कृषि क्षेत्र को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रोत्साहन देने के लिए मिशन-मोड में एक अभियान चलाया जाएगा।
पिछले 2 महीनों में सरकार ने जो-जो कदम उठाए हैं, उनका लेखा-जोखा देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 74,300 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि की हुई; पीएम किसान फंड के तहत 18,700 करोड़ रुपये का हस्तांतरण हुआ और पीएम फसल बीमा योजना के तहत 6,400 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है। इसके अलावा, लॉकडाउन के दौरान दूध की मांग 20-25% कम हो गई। तदनुसार, सहकारी समितियों द्वारा 560 लाख लीटर प्रति दिन (एलएलपीडी) की खरीद की गई, जबकि 360 लाख लीटर प्रति दिन की बिक्री हुई। कुल 111 करोड़ लीटर दूध की अतिरिक्त खरीद हुई जिससे 4100 करोड़ रुपये का भुगतान सुनिश्चित हुआ। इसके अलावा, वर्ष 2020-21 में डेयरी सहकारी समितियों को प्रति वर्ष 2% की दर से ब्याज सब्सिडी देने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इसके साथ ही त्वरित भुगतान/ब्याज अदायगी पर 2% वार्षिक की अतिरिक्त ब्याज सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना से 5000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता सुलभ होगी, जिससे 2 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे। मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए, 24 मार्च को की गईं कोविड से संबंधित सभी 4 घोषणाएं लागू कर दी गई हैं। इसके अलावा 242 पंजीकृत झींगा हैचरी (बाड़े) और नौपली रियरिंग हैचरीज के पंजीकरण को 3 महीने का विस्तार दिया गया है, जो 31.03.2020 को एक्सपायर हो रहा था और इनलैंड (आंतरिक) मत्स्य पालन को कवर करने के लिए मैरीन कैप्चर फिशरीज और एक्वाकल्चर में छूट दे दी गई है। सीतारमण ने कहा कि आज की गईं घोषणाओं से किसानों, मछुआरों की जिंदगी, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर दीर्घकालिक और स्थायी असर होगा। वित्त मंत्री ने कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के लिए आधारभूत ढांचा लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाने और क्षमता निर्माण के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की :-
1. किसानों के लिए कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि आधारभूत ढांचा कोष
फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद कृषि आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य कृषि बाद प्रबंधन आधारभूत ढांचे से फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदु के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस कोष की तत्काल स्थापना की जाएगी।
2. सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (एमएफई) के औपचारिकरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाली योजना : 2 लाख एमएफई की सहायता के लिए ‘वैश्विक पहुंच के साथ वोकल फॉर लोकल’ का शुभारम्भ किया जाएगा। इससे ऐसे उद्यमियों को फायदा होगा, जिन्हें एफएसएसएआई खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिए तकनीक उन्नयन की जरूरत है। वर्तमान खाद्य उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को भी समर्थन दिया गया है। इसमें महिलाओं और एससी/एसटी के स्वामित्व वाली इकाइयों और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा तथा क्लस्टर आधारित रणनीति (जैसे- उत्तर प्रदेश में आम, कर्नाटक में टमाटर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, महाराष्ट्र में संतरा आदि) को अपनाया जाएगा।
3. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये
सरकार समुद्री और अंतर्देशीय (इनलैंड) मछली पालन के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिए पीएमएमएसवाई का शुभारम्भ करेगी। समुद्री, अंतर्देशीय मछली पालन और एक्वाकल्चर से जुड़ी गतिविधियों के लिए 11,000 करोड़ रुपये तथा आधारभूत ढांचा – फिशिंग हार्बर्स, शीत भंडार, बाजार आदि के लिए 9,000 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके तहत केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछलियों के साथ नए मछली पकड़ने के जहाज, ट्रेसेलिबिलिटी (पता लगाने), प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। मछुआरों को बैन पीरियड (जिस अवधि में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होती है) सपोर्ट, व्यक्तिगत और नौका बीमा के प्रावधान किए जाएंगे। इससे 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा, 55 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा। इसमें अंतर्देशीय, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
4. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
खुरपका मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम खुरपका मुंह पका रोग और ब्रुसेलोसिस के लिएमवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी (कुल 53 करोड़ पशुओं) का 100प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरु किया गया।अब तक, 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग किया गया है और उन्हें टीके लगाए जा चुके हैं।
5. पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष – 15,000 करोड़ रुपये
डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य वर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे में निजी निवेश का समर्थन करने के उद्देश्य से 15,000 करोड़रुपये का पशुपालनबुनियादी ढांचा विकासकोष स्थापित किया जाएगा। विशिष्ट उत्पादों के निर्यात हेतु संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
6. औषधीय या हर्बल खेती को प्रोत्साहन : 4000 करोड़ रुपये का परिव्यय
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है। अगले दो वर्षों में 4,000 करोड़ रुपये के परिव्यय सेहर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। इससे किसानों को5,000 करोड़ रुपयेकी आमदनी होगी। औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क होगा। एनएमपीबीगंगा के किनारे 800 हैक्टेयर क्षेत्र में गलियारा विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा।
7. मधुमक्खी पालन संबंधी पहल – 500 करोड़ रुपये
सरकार निम्नलिखित के लिए योजना का कार्यान्वयन करेगी :
ए. एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों, पोस्ट हार्वेस्ट और मूल्य वर्धन सुविधाओं आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास;
बी. मानकों का कार्यान्वयन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास करना
सी. महिलाओं पर बल देने सहित क्षमता निर्माण;
डी. क्वालिटी नूक्लीअस स्टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास।
इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद की प्राप्ति होगी।
8. (टमाटर, प्याज और आलू) ‘टॉप’से ‘टोटल’ (सम्पूर्ण) तक – 500 करोड़ रुपये
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित “ऑपरेशन ग्रीन्स” को टमाटर, प्याज और आलू से लेकर सभी फलों और सब्जियों तक बढ़ाया जाएगा।यह योजनाकोल्ड स्टोरेज सहित सरप्लस से घाटे वाले बाजारों में परिवहन पर 50% सब्सिडी, भंडारण पर 50% सब्सिडीप्रदान करेगीऔर इसे अगले 6 महीनों के लिए प्रायोगिक रूप से लॉन्च किया जाएगा तथा इसे बढ़ाया और विस्तारित किया जाएगा।इससे किसानों को बेहतर कीमत की प्राप्ति होगी, बर्बादी में कमी आएगी, उपभोक्ताओं को किफायती उत्पाद मिलेंगे।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए शासन और प्रशासनिक सुधार के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की: –
1.किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करेगी। अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य पदार्थों को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। असाधारण परिस्थितियों में ही स्टॉक की सीमा पर प्रतिबंध लगाई जाएगी जैसे राष्ट्रीय आपदा, कीमतों में वृद्धि के साथ अकाल जैसी स्थिति के लिए। इसके अलावा, ऐसी कोई स्टॉक सीमा संसाधक या मूल्य श्रृंखला के भागीदारों पर लागू नहीं होगी।
2.किसानों को विपणन का विकल्प प्रदान करने के लिए कृषि विपणन सुधार
इसको उपलब्ध कराने के लिए एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा –
- किसान को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प;
- निर्बाध अंतरराज्यीय व्यापार;
- कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिए एक रूपरेखा,
3.कृषि उपज मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता का आश्वासन:
सरकार किसानों को उचित और पारदर्शी तरीके से संसाधकों, समूहकों, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए, एक सुविधाजनक कानूनी संरचना को अंतिम रूप देगी। किसानों के लिए जोखिम में कमी, सुनिश्चित रिटर्न और गुणवत्ता मानकीकरण इस संरचना का अभिन्न अंग होगा।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने आरंभिक संबोधन में कहा कि ढांचागत सुधार आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस का फोकस हैं। उन्होंने कहा कि कई सेक्टरों में नीति के सरलीकरण की आवश्यकता है, ताकि लोगों को यह समझने में आसानी हो सके कि कौन सा सेक्टर काम में लगा सकता है, विभिन्न गतिविधियों में भाग ले सकता है और पारदर्शिता ला सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि जब हम विकास के लिए सेक्टरों को खोल देते हैं, तो हम इन सेक्टरों को बढ़ावा दे सकते हैं। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि व्यापक सुव्यवस्थित या प्रणालीगत सुधारों को लागू करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रिकॉर्ड काफी दमदार है। वित्त मंत्री ने इस संबंध में कई उदाहरण दिए जैसे कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, जो लोगों के बैंक खातों में सीधे पैसा डालता है; जीएसटी, जिसने ‘एक राष्ट्र, एक बाजार’ का सपना साकार किया; दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी), जिसने कई दिवाला मुद्दों को सुलझाया; और ‘कारोबार में सुगमता’, जो केंद्र सरकार के अनेक ठोस कदमों की बदौलत संभव हुई। प्रेसवार्ता के दौरान सुश्री सीतारमण ने निवेश को गति देने के लिए नीतिगत सुधारों और इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह के माध्यम से तेजी से स्वीकृतियां दी जा रही हैं, वहीं निवेश परियोजनाओं को तैयार करने, निवेशकों और केन्द्र तथा राज्य सरकारों के साथ समन्वय के लिए हर मंत्रालय में एक परियोजना विकास इकाई की स्थापना भी की जाएगी। वित्त मंत्रालय ने आत्म निर्भर भारत की दिशा में निवेश को गति देने के लिए निम्नलिखित नीतिगत सुधारों की घोषणा की है :
क. सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह के माध्यम से जल्द से जल्द निवेश स्वीकृति दी जाएगी।
ख. निवेश योग्य परियोजनाएं तैयार करने, निवेशकों और केंद्र/ राज्य सरकारों के बीच समन्वय के लिए हर मंत्रालय में परियोजना विकास इकाई की स्थापना की जाएगी।
ग. नए निवेश के लिए निवेश आकर्षित करने में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए राज्यों की रैंकिंग तैयार की जाएगी।
घ. नए चैम्पियन (अग्रणी) क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सोलर पीवी विनिर्माण; उन्नत सेल बैटरी स्टोरेज आदि क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं का शुभारम्भ किया जाएगा।
सुश्री सीतारमण ने यह घोषणा भी की कि सामान्य आधारभूत ढांचा सुविधाओं और संपर्क बढ़ाने को औद्योगिक क्लस्टर उन्नयन के लिए चैलेंज मोड के माध्यम से राज्यों में एक योजना का कार्यान्वयन किया जाएगा। नए निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए औद्योगिक भूमि/ लैंड बैंक की उपलब्धता और जीआईएस मैपिंग के साथ औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) पर सूचना की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। आईआईएस पर पांच लाख हेक्टेयर में 3376 औद्योगिक पार्क/ एस्टेट/ एसईजेड का चिह्नांकन किया गया है। 2020-21 के दौरान सभी औद्योगिक पार्कों को सूचीबद्ध किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने आज आठ क्षेत्रों कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन, बिजली क्षेत्र, सामाजिक आधारभूत ढांचा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा में निम्नलिखित ढांचागत सुधारों की घोषणा की :
कोयला क्षेत्र
1. कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की पेशकश
सरकार कोयला क्षेत्र में इन उपायों के माध्यम से प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देगी :
क. निश्चित रुपये/टन की व्यवस्था के बजाय राजस्व साझेदारी व्यवस्था लागू होगी। इसमें कोई भी पक्ष कोयला ब्लॉक के लिए बोली लगा सकता है और खुले बाजार में बिक्री कर सकता है।
ख. प्रवेश नियमों को लचीला बनाया जाएगा। तत्काल लगभग 50 ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी। पात्रता की कोई शर्त नहीं होगी, एक सीमा के साथ अग्रिम भुगतान किया जाएगा।
ग. पूरी तरह अन्वेषित, कोयला ब्लॉकों की नीलामी के पिछले प्रावधान की तुलना में आंशिक रूप से अन्वेषित ब्लॉकों के लिए अन्वेषण-सह-उत्पादन व्यवस्था लागू होगी। इससे निजी क्षेत्र को अन्वेषण में भाग लेने का मौका मिलेगा।
घ. तय समय से पहले उत्पादन के लिए राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाएगा।
कोयला क्षेत्र में विविध अवसर
ए) राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से कोयला गैसीकरण / द्रवीकरण को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय प्रभाव काफी कम हो जाएगा और इससे भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था का रुख करने में सहायता मिलेगी।
बी) 2023-24 तक एकबिलियन टन कोयला उत्पादन के कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के संवर्धित लक्ष्य को पूरा करने और निजी ब्लॉकों से कोयला उत्पादन के लिए 50,000 करोड़ रुपये का अवसंरचना विकास किया जाएगा। इसमें खदानों से रेलवे साइडिंग तक कोयले के मशीनीकृत हस्तांतरण (कन्वेयर बेल्ट) में 18,000 करोड़ रुपये मूल्य का निवेश शामिल होगा। यह उपाय पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी मदद करेगा।
3.कोयला क्षेत्र में उदार व्यवस्था
ए) कोयला बेड मीथेन (सीबीएम) निष्कर्षण के अधिकारों की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)की कोयला खानों से नीलामी की जाएगी।
बी) खनन योजना सरलीकरण जैसे कारोबार करने में सुगमता जैसेउपाय किए जाएंगे। इससे वार्षिक उत्पादन में स्वत: 40प्रतिशत वृद्धि होगी।
सी) सीआईएल के उपभोक्ताओं को वाणिज्यिक शर्तों में रियायतें दी गई (5,000 करोड़ रुपये की राहत की पेशकश की गई)। गैर-बिजली उपभोक्ताओं के लिए नीलामी में आरक्षित मूल्य में कमी, ऋण की शर्तों में ढील, और उठान की अवधि को बढ़ाया गया है।
ख) खनिज क्षेत्र
1. खनिज क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाना
विकास, रोजगार सजृन को बढ़ावा देने और विशेष रूप से अत्याधुनिकअन्वेषण प्रौद्योगिकी लाने के लिए निम्नलिखित के माध्यम सेसंरचनात्मक सुधार किए जाएंगे:
ए)खनिज क्षेत्र में निर्बाध मिश्रित खोज-खनन-उत्पादन व्यवस्था शुरु की जाएगी।
बी)मुक्त एवं पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से 500 खनन खंडों की पेशकश की जाएगी।
सी) एल्यूमिनीयम उद्योग की प्रतिस्पर्धिता बढ़ाने के लिये बॉक्साइट और कोयला खनिज खंडों की संयुक्त नीलामी की जायेगी, ताकि एल्यूमिनीयम उद्योगकोबिजली की लागत में कमी लाने में सहायता की जा सके।
2. खनिज क्षेत्र में नीतिगत सुधार
खनन पट्टों के हस्तांतरण तथा इस्तेमाल से अधिक बचे खनिजों की बिक्री की मंजूरी देने के लिये कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव खदानों बीच के अंतरको समाप्त किया जाएगा,इससे खनन और उत्पादन में बेहतर दक्षता सुनिश्चित होगी।खान मंत्रालय विभिन्न खनिजों के लिए एक खनिज सूचकांक विकसित करने की प्रक्रिया में है। खनन पट्टे प्रदान करते समय देय स्टाम्प शुल्कको तर्कसंगत बनाया जाएगा।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कोविड-19 से लड़ने के लिए घोषित किए गए प्रोत्साहन या राहत पैकेज पर यहां आयोजित पांचवीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने आरंभिक संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में व्यक्त किए गए विजन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री को उद्धृत करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हम अत्यंत अहम मोड़ पर हैं। कोविड-19 महामारी एक संदेश और एक अवसर लेकर आई है। हमें अब आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर विशेष जोर दिया गया है। संकट और चुनौती एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने का अवसर है। वित्त मंत्री ने कहा कि सुधारों की श्रृंखला के तहत ही आज भी अहम घोषणाएं की गई हैं। लॉकडाउन के तुरंत बाद हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) की घोषणा कर दी। 1.70 लाख करोड़ रुपये के पीएमजीकेपी के एक हिस्से के रूप में सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न के वितरण, महिलाओं एवं गरीब वरिष्ठ नागरिकों और किसानों को नकद भुगतान, इत्यादि की घोषणा की। पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन पर निरंतर करीबी नजर रखी जा रही है। लगभग 41 करोड़ गरीबों को पीएमजीकेपी के तहत 52,608 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पीएमजीकेपी के तहत लोगों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने जो भी किया वह पिछले कुछ वर्षों के दौरान की गई अभिनव पहलों की बदौलत ही संभव हो पाया। इसके अलावा, राज्यों द्वारा 84 लाख मीट्रिक टन अनाज उठाया गया है और साथ ही 3.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक दालें विभिन्न राज्यों में भेजी गई हैं। और ढुलाई संबंधी चुनौतियों के बावजूद बड़ी मात्रा में दालें और अनाज देने के लिए श्रीमती सीतारमण ने एफसीआई, नैफेड और राज्यों के ठोस प्रयासों की सराहना की है। सरकारी सुधारों और समर्थन की दिशा में उठाए गए उपायों के 5वें और आखिरी हिस्से की घोषणा करते हुए श्रीमती सीतारमण ने रोजगार प्रदान करने, कारोबारों को सहायता देने, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (व्यापार करने में आसानी) और राज्य सरकारों के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों के लिए सात उपायों के बारे में ब्यौरा दिया।
1. रोजगार को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा के आवंटन में 40,000 करोड़ रुपये की वृद्धि
सरकार अब मनरेगा के तहत अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का आवंटन करेगी। मानसून के मौसम में वापस लौट रहे प्रवासियों समेत ज्यादा काम की जरूरत को संबोधित करते हुए इससे कुल 300 करोड़ मानव दिवस का रोजगार पैदा करने में सहायता मिलेगी। बड़ी संख्या में टिकाऊ और जल संरक्षण संपदाओं सहित आजीविका संपदाएं निर्मित करने से उच्च उत्पादन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
2. स्वास्थ्य सुधार और पहलें
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी करके और जमीनी स्वास्थ्य संस्थानों में निवेश करके स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय को बढ़ाया जाएगा। सभी जिलों में संक्रामक रोगों के अस्पताल ब्लॉक स्थापित किए जाएंगे और महामारियों के प्रबंधन के लिए सभी जिलों और ब्लॉक स्तर के लैब और जन स्वास्थ्य इकाई में एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं द्वारा लैब नेटवर्क और निगरानी को मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा, आईएमसीआर द्वारा स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय संस्थागत प्लेटफॉर्म, अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा। और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य खाका (एनडीएचबी) का कार्यान्वयन।
3. कोविड के बाद समानता के साथ प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा
‘पीएम ई-विद्या’, डिजिटल / ऑनलाइन शिक्षा तक बहु-माध्यम पहुंच के लिए एक कार्यक्रम है जिसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। ‘मनोदर्पण’, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के सिलसिले में छात्रों, शिक्षकों और परिवारों का मनोवैज्ञानिक-सामाजिक समर्थन करने के लिए एक पहल है जो तुरंत शुरू की जाएगी। स्कूल, शुरुआती बचपन और शिक्षकों के लिए नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा भी शुरू किया जाएगा। साल 2025 तक प्रत्येक बच्चा कक्षा 5 में सीखने का स्तर और परिणाम प्राप्त सके यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी साक्षरता और गणना मिशन को दिसंबर 2020 तक शुरू किया जाएगा।
4.आईबीसी से संबंधित उपायों के माध्यम से कारोबार में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) और बेहतर होगी
दिवाला कार्यवाही शुरू करने के लिए न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रु किया गया (पहले यह सीमा 1 लाख रु थी, इससे एमएसएमई को लाभ मिलेगा)। संहिता की धरा 240 ए के तहत एमएसएमई के लिए विशेष दिवाला संकल्प ढांचा जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।
महामारी की स्थिति के आधार पर, एक वर्ष तक नई दिवाला कारवाई की शुरुआत नहीं की जायेगी। दिवाला कारवाई को शुरू करने के उद्देश्य से संहिता के तहत कोविड 19 से संबंधित ऋण को “डिफ़ॉल्ट” की परिभाषा से बाहर करने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाना।
5. कंपनी अधिनियम के तहत की गयी गलती (चूक) को अपराध की श्रेणी से बाहर करना
कंपनी कानून की मामूली तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को अपराधीकरण की श्रेणी से बाहर किया जाएगा। (सीएसआर रिपोर्टिंग में गलतियाँ, बोर्ड रिपोर्ट में कमियां, एजीएम आयोजित करने में विलम्ब आदि ) संशोधन से आपराधिक अदालतों और एनसेएलटी में मामलों के संख्या में कमी आएगी। 7 समझौता योग्य (कंपाउंडेबल) अपराधों को पूरी तरह से हटा दिया गया है और 5 अपराधों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निपटाया जायेगा।
6. कंपनियों के लिए कारोबार करने में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस)
मुख्य सुधारों में शामिल हैं:
• स्वीकृत विदेशी बाजारों में भारतीय सार्वजनिक कंपनियों द्वारा प्रतिभूतियों का प्रत्यक्ष सूचीबद्ध होना।
• निजी कंपनियां जो स्टॉक एक्सचेंजों पर एनसीडी को सूचीबद्ध करती हैं, उन्हें सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में नहीं माना जाएगा।
• कंपनी अधिनियम, 1956 के भाग 9 ए (निर्माता कंपनियों) के प्रावधानों को कंपनी अधिनियम, 2013 में शामिल करना।
• एनसीएलएटी के लिए अतिरिक्त / विशिष्ट बेंच गठित करने की शक्ति
• छोटी कंपनियों, एक-व्यक्ति के स्वामित्व वाली कंपनियों, निर्माता कंपनियों और स्टार्ट अप के द्वारा की गयी गलतियों के लिए आर्थिक दंड में कमी।
7. नए, आत्मनिर्भर भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति
सरकार एक नई नीति की घोषणा करेगी जिसके द्वारा-
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- सार्वजनिक हित में पीएसई की अपेक्षा रखने वाले रणनीतिक क्षेत्रों की सूची अधिसूचित की जाएगी।
- सामरिक क्षेत्रों में, कम से कम एक उद्यम सार्वजनिक क्षेत्र में रहेगा लेकिन निजी क्षेत्र को भी इजाजत दी जाएगी।
- अन्य क्षेत्रों में, पीएसई का निजीकरण किया जाएगा (समय का निर्धारण व्यवहार्यता पर आधारित होगा।)
- अनावश्यक प्रशासनिक खर्च को कम करने के लिए, सामरिक क्षेत्रों में उद्यमों की संख्या आमतौर पर केवल एक से चार होगी; अन्य का निजीकरण/विलय कर दिया जाएगा/ होल्डिंग कम्पनियों के अंतर्गत लाया जाएगा।
- राज्य सरकारों को सहायता
केन्द्र ने केवल वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों की उधार की सीमा 3% से बढ़ाकर 5% करने का फैसला किया है। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिल सकेंगे। इस उधार का हिस्सा कुछ विशिष्ट सुधारों से जोड़ा जाएगा (वित्त आयोग की सिफारिशों सहित)। सुधारों को चार क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा: ‘एक देश एक राशन कार्ड’ का सार्वभौमिकरण, कारोबार में सुगमता, बिजली वितरण और शहरी स्थानीय निकाय। एक विशिष्ट योजना, व्यय विभाग द्वारा निम्नलिखित पैटर्न पर अधिसूचित की जाएगी:
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- 0.50 प्रतिशत की बिना शर्त वृद्धि
- 0.25 प्रतिशत के 4 हिस्सों में 1 प्रतिशत, जिसमें प्रत्येक हिस्सा स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट, मापने योग्य और व्यवहार्य सुधार कार्यों से जुड़ा हुआ हो
- आगे 0.50 प्रतिशत और, अगर चार में से कम से कम तीन सुधार क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल कर लीजाएं।
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वित्त मंत्री ने आत्म निर्भर भारत बनने के लिए अब तक प्रदान किए गए प्रोत्साहन उपायों का ब्यौरा प्रदान कर अपनी बात समाप्त की।