National

हमें अपनी भाषाई विविधता पर गर्व होना चाहिए, हमारी भाषाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने अधिक से अधिक भारतीय भाषाएं सीखने का आग्रह किया हिन्दी दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी और डॉ राजेन्द्र प्रसाद के विचारों को याद किया . न कोई भाषा थोपी जाए न ही किसी भाषा का विरोध होना चाहिए, हर भारतीय भाषा हमारे संस्कारों की तरह शुद्ध और हमारी आस्थाओं की तरह पवित्र : उपराष्ट्रपति . 

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज हिन्दी दिवस के अवसर पर कहा कि हमें अपनी भाषाई विविधता पर गर्व होना चाहिए। हमारी भाषाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं और उनका समृद्ध साहित्यिक इतिहास रहा है। वे आज अपने निवास से ‘मधुबन एजुकेशनल बुक्स’ द्वारा आयोजित समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। आज ही के दिन 1949 में हमारी संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने 1946 में “हरिजन” में गांधीजी के लेख को उद्धृत करते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की नींव पर ही राष्ट्रभाषा की भव्य इमारत खड़ी होगी। राष्ट्रभाषा और क्षेत्रीय भाषाएं एक दूसरे की पूरक है विरोधी नहीं।

श्री नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा सुझाया मार्ग ही हमारी भाषाई एकता को सुदृढ़ कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी हर भाषा वंदनीय है। कोई भी भाषा हमारे संस्कारों की तरह शुद्ध और हमारी आस्थाओं की तरह पवित्र होती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि न कोई भाषा थोपी जानी चाहिए न किसी भाषा का कोई विरोध होना चाहिए। उन्होंने बल दिया कि समावेशी और स्थायी विकास के लिए शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी ही चाहिए इससे बच्चों को स्वयं अभिव्यक्त करने में और विषय को समझने में आसानी हो। पढ़ने में रुचि पैदा हो। इस संदर्भ में उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की कि नयी शिक्षा नीति 2020 में भारतीय भाषाओं और संस्कृति के महत्व को स्वीकार किया गया है।

श्री नायडू जी ने कहा कि इसके लिए हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अच्छी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करानी होंगी और इसमे प्रकाशकों की भी अहम भूमिका रहेगी। उपराष्ट्रपति महामारी के कारण बन्दी के दौरान लोगों से अधिक से अधिक भारतीय भाषाओं को सीखने का आग्रह करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का विकास साथ ही हो सकता है। हम अन्य भारतीय भाषाओं के कुछ न कुछ मुहावरे, शब्द या गिनती जरूर सीखें। साथ ही उन्होंने सलाह दी कि हिन्दी में भी छात्रों को अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य और प्रख्यात साहित्यकारों से परिचित कराया जाय तथा हिंदी के साहित्यकारों, उनकी कृतियों से अन्य भाषाई क्षेत्रों को परिचित कराया जाय।

उन्होंने ज़ोर दे कर कहा कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को सीखना आसान होगा क्योंकि राष्ट्र के संस्कार, विचार तो समान ही हैं। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा से कहा कि वे अपनी मातृभाषा का सम्मान करें, रोजमर्रा के कामों में उसका प्रयोग करें। हिन्दी और देश की भाषाओं का साहित्य पढ़े, उसमें लिखे। तभी हमारी भाषाओं का विकास होगा, वे समृद्ध होगीं। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने हिन्दी शिक्षकों का भी अभिनन्दन किया।

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: