नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण के जरिये ईसाई और मुस्लिम धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण देने के मामले पर सुनवाई के दौरान बताया कि इस मामले में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट की अनुशंसाओं को लागू नहीं कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इस मसले की पड़ताल के लिए जस्टिस बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर जनवरी में सुनवाई करने का आदेश दिया।
दरअसल, धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम या ईसाई बनने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग करते हुए 2004 से लेकर 2020 तक कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। आज सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि इस मामले में मुद्दे तय किए गए हैं कि क्या हिन्दुओं, बौद्धों और सिखों के अलावा अन्य धर्मों को मानने वाली अनुसूचित जाति को बाहर रखा जा सकता है। क्या ईसाइयों और मुसलमानों को अनुसूचित जाति को दिए जाने वाले आरक्षण में शामिल नहीं करना भेदभावपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फिलहाल सुनवाई कोई तारीख तय नहीं की है। कोर्ट ने कहा कि जनवरी में संविधान बेंच और अन्य मामलों की भी सुनवाई होनी है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि हो सकता है कि कोर्ट इस मामले में सुनवाई से पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट का भी इंतजार करे, जिसके आधार पर मामले की सुनवाई आगे बढ़ाया जाए।(हि.स.)