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वोकल फॉर लोकल : देश की मिट्टी से आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे कारीगर

देश की मिट्टी रोजगार भी देती है। उत्तर प्रदेश की मिट्टी से बने बर्तन देश नहीं दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच रहे हैं। कभी मिट्टी के बर्तन हमारे रसोई घरों की शान हुआ करते थे। मिट्टी के हांडी में बना खाना और उसका सोंधापन नहीं भुलाया जा सकता है, लेकिन बदलते समय और ग्रामीण रोजगार को पीछे छोड़ने की हमारी आदत ने कारीगरों की जिंदगी को बदहाल कर दिया। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के आह्वान के बाद ये तस्वीर बदलती हुई दिखाई दे रही है। लोगों का रुझान एक बार फिर देसी चीजों की ओर होने लगा है और उसका नतीजा भी सामने हैं। देसी उत्पाद लोगों की पसंद बन रही है, तो कारीगर भी काफी उत्साहित हैं।

यूपी के मिट्टी के बर्तनों की बढ़ी मांग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल मुहिम और रणनीतियों ने मिट्टी के कारीगरों को एक नया जीवन दिया है। यूपी माटी कला बोर्ड लगातार अलग-अलग मिट्टी बर्तन बनाने वाली यूनिट का निरीक्षण कर रहा है, ताकि मिट्टी के सामान की गुणवत्ता को सुधारा जा सके। मिट्टी के बर्तन लोगों की पसंद बने और स्थानीय मिट्टी से कारीगरों को रोजगार मिले, इसलिए मांग को बढ़ाया जा रहा है।

मिट्टी के कुकर समेत कई तरह के बर्तन उपलब्ध
वैसे आपको जानकर हैरानी होगी कि मिट्टी के कुल्हड़ और हांडी अब बीते जमाने की बात हो गई है। अब तो मिट्टी के भगोने, प्रेशर कुकर, मिट्टी का फ्रिज, सर्विंग सेट, बाउल, हांडी सेट, सूप सेट, बोतल की भी बहुत अच्छी मांग है। यहां तक की पूरा का पूरा डिनर सेट बन रहा है। इसलिए अगर आप किसी को कभी तोहफा देने की सोच रहे हैं तो अपनी देश की मिट्टी से बना खूबसूरत डिनर सेट दे सकते हैं। लोगों का ये प्रयास देश के कारीगरों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा।


मिट्टी के बर्तन से प्रदूषण होता है कम
इस बारे में कारीगर कहते हैं कि इन दिनों काम काफी अच्छा चल रहा है, वो खुद करीब 50 कारीगरों को काम देते हैं। मिट्टी के बर्तन से प्रदूषण कम होगा और प्लास्टिक से बर्तन के उपयोग भी कर सकते हैं। प्लास्टिक के बर्तन खराब होने के बाद किसी प्रयोग में नहीं होते बल्कि मिट्टी के बर्तन वापस मिट्टी बन सकते हैं।

मिट्टी के इन बर्तनों की हो रही ऑनलाइन मार्केटिंग
मिट्टी के इन बर्तनों की ऑनलाइन मार्केटिंग भी की जा रही है, ताकि स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए समान की बिक्री को बढ़ाया जा सके। रेलवे से भी लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं ताकि आने वाले दिनों में स्टेशनों पर सिर्फ मिट्टी के कुल्हड़ों में चाय दी जा सके। इसके अलावा मिट्टी की हांडी और बोतलों की मांग विदेशों में भी हो रही है।

स्थानी नागरिक कहते हैं कि जिस तरह से योगा करने से शरीर के स्वस्थ रहने की जानकारी हुई उसी तरह जिस दिन हम लोग मिट्टी के गुणों के विषय में आम जन तक जानकारी देने में कामयाब हो जाएंगे,उस दिन सभी प्लास्टिक के बर्तनों की जगह मिट्टी के बर्तन को अपनाने लगेंगे। उन्होंने कहा कि मिट्टी में अनेकों मिनरल पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं।
वोकल फॉर लोकल समय की मांग है, स्थानीय उत्पाद गर्व का विषय होना चाहिए, तभी आने वाले दिनों में मिट्टी के कारीगरों को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकेंगे।

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