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‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ वेद-उपनिषदों की ज्ञान परम्परा के आगे बढ़ाएगाः शाह

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राजधानी में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) द्वारा विकसित किए जा रहे ‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ का लोकार्पण किया और कहा कि यह पोर्टल भारत की वैदिक ज्ञान परंपरा को नयी पीढ़ियों में आगे बढ़ाने में सहायक होगा।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पोर्टल के लोकार्पण के उपलक्ष्य में अपने लिखे संदेश में कहा कि उनकी सरकार टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत के प्राचीन ग्रन्थों व पांडुलिपियों के ज्ञान को भविष्य के लिए सुरक्षित कर रही हैं। उद्घाटन समारोह में श्री शाह के साथ केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी भी शामिल थे।

श्री शाह ने आईजीएनसीए परिसर में आयोजित उद्घाटन समारोह के बाद इस विषय में ट्वीट किया, “आज आईजीएनसीए द्वारा निर्मित ‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ का लोकार्पण किया। इससे युवा पीढ़ी वेदों व उपनिषदों के ज्ञान व परंपरा को आगे बढ़ा सकेगी और साथ ही 64 कलाओं पर आधारित वर्चुअल म्यूजियम “कला वैभव” का भी लोकार्पण किया। इस म्यूजियम के माध्यम से दुनिया भारत की वास्तुकला, चित्र, नाट्य, संगीत आदि समस्त कलाओं से और अधिक परिचित होगी और विश्व को भारत की वैभवशाली संस्कृति का समृद्ध इतिहास जानने में सुविधा होगी।”केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत आईजीएनसीए के इस पोर्टल का उद्देश्य हजारों वर्ष पुरानी वैदिक ज्ञान परंपरा से जुड़ी व्यापक सामग्री को साधारण व्यक्तियों से लेकर शोधार्थियों और विद्वानों तक के लिए सुलभ बनाना है।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी शामिल थे।गृह मंत्री शाह ने संस्थान द्वारा स्थापित डिजिटल कला संग्रहालय- भारत कला वैभव का भी उद्घाटन किया। यह भारत में प्राचीन काल से व्यवहार में आने वाली जीवन की 64 कलाओं का संग्रहालय है। इसका उद्देश्य देश की युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन परंपराओं से जोड़ना है।श्री शाह और श्री रेड्डी ने इस अवसर पर एक पुस्तक “कण्वशतपथब्राह्मण” का विमोचन भी किया।इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री रेड्डी ने कहा, “आज 23 मार्च है, यह एक ऐतिहासिक दिन है। मैं शहीद दिवस के मौके पर मां भारती के तीन वीर सपूतों, शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इनका बलिदान देश के युवाओं को प्रेरित करता रहेगा।

उन्होंने कहा कि ‘वैदिक हैरिटेज पोर्टल’ सराहनीय कदम है। एक ऐतिहासिक कदम है। वेद न सिर्फ भारत के, बल्कि विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। हमारे प्राचीन ग्रन्थों में वह शक्ति है, जिसमें जीवन के सभी प्रश्नों के उत्तर मिल सकते है। आज दुनिया संकट से जूझ रही है, उन संकटों का समाधान भारत के प्राचीन ग्रन्थों में है।”आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और प्रकाशन के लिए परम्परागत तरीकों के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिक पद्धित से अनवरत कार्य कर रहा है। ‘वैदिक हैरिटेज पोर्टल’ केन्द्र का ऐसा प्राकल्प है। जिसमें भारतीय ज्ञान और संस्कृति के मूल वेद एवं सम्पूर्ण वैदिक परंपरा का उसके मौलिक रूप में ही संग्रह किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह आईजीएनसीए और भारत के लिए एक अद्भुत अवसर है। वैदिक विरासत का सम्बंध प्राचीन अतीत, वर्तमान समय से है और भविष्य में भी इसकी निरंतरता बनी रहेगी। वेद आदिकाल से मौखिक परम्परा का हिस्सा रहे हैं और ‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ उसी का दस्तावेजीकरण है।आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि ‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ को हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तैयार किया गया है। इस पोर्टल में सम्पूर्ण भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से वेदपाठी आचार्यों के चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) की प्रचलित शाखाओं के कुल 18 हजार से अधिक मंत्रों के अब तक 550 घण्टों की ऑडियो-विजुअल संगृहीत हैं।

उन्होंने बताया कि यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले वैदिक यज्ञ पात्रों की एक आभासी वैदिक गैलरी के समायोजन की भी योजना है, जिसमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु एवं आंध्रप्रदेश से 250 यज्ञ-पात्र संकलित हैं। मानवता के अमूर्त धरोहर वेद के संरक्षण एवं संवर्धन में केंद्र का यह विनम्र प्रयास वेद के जिज्ञासुओं का पथ प्रशस्त करेगा।श्री जोशी ने कहा कि पोर्टल को तैयार करने में वेदों को जानने वाले लोग, वेद शोध संस्थानों, वेदपाठी परिवारों सहित दुनियाभर के वेद के जानकारों ने सहयोग किया है।इस समारोह में प्रसिद्ध नृत्यांगना व राज्यसभा सदस्य डॉ. सोनल मानसिंह, संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव उमा नंदुरी तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा, देशभर से आए वैदिक विद्वान तथा विद्यार्थी शामिल थे।(वार्ता)

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