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सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों की संख्या में 90 प्रतिशत तक की गिरावट

कोविड-19 के आलोक में शहरी परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/शहरों/मेट्रो रेल कंपनियों द्वारा किए जाने वाले उपाय,आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने परामर्श जारी किया

नई दिल्ली । आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, नगरों एवं मेट्रो रेल कंपनियों को जारी एक परामर्श में तीन सूत्री कार्यनीति का सुझाव दिया है जिन्हें चरणबद्ध तरीके अर्थात अल्प (यानी छह महीने के भीतर), मध्यकालिक (यानी एक वर्ष के भीतर) और दीर्घकालिक (यानी 1 से 3 वर्ष) से अपनाया जा सकता है। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव  दुर्गा शंकर मिश्रा द्वारा भेजे गए परामर्श में कहा गया है –

1. गैर-मोटरकृत परिवहन (एनएमटी) को प्रोत्साहित करना एवं दोबारा प्रचलन में लाना-चूंकि अधिकांश शहरी यात्राएं पांच किलोमीटर के दायरे तक सीमित होती हैं, इसलिए एनएमटी के लिए कोविड-19 संकट में इसे कार्यान्वित करने का सटीक अवसर है क्योंकि इसके लिए कम लागत, कम मानव संसाधन की आवश्यकता होती है, इसे कार्यान्वित करना सरल और तीव्र है तथा यह मापनीय और पर्यावरण के अनुकूल है।

2. यात्रियों के अधिक विश्वास के साथ फिर से सार्वजनिक परिवहन को आरंभ करना – सार्वजनिक परिवहन शहरी क्षेत्रों में, विशेष रूप से, निम्न/मध्य आय वर्ग के यात्रियों के लिए रीढ़ की तरह है जिनके लिए ये सेवाएं उनकी रोजमर्रा की आवागमन की जरूरतों का मुख्य सहारा हैं। तथापि, इस चरण में यह अनिवार्य है कि सही सैनिटाइजेशन, नियंत्रण एवं सोशल डिस्टेंसिंग उपायों का अनुपालन करते हुए सार्वजनिक परिवहन के उपायो के जरिये संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाया जाए।

3. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी का सक्रिय उपयोग- इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (आईटीएस), भीम, फोनपे, गूगलपे, पेटीएम आदि जैसी स्वदेशी नकदीरहित एवं स्पर्श रहित प्रणाली और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) जैसी सक्षमकारी प्रौद्योगिकियां सार्वजनिक परिगमन प्रणालियों में मानव परस्पर संपर्कों में कमी लाएंगी।

यह परामर्श कोविड-19 महामारी को देखते हुए जारी किया गया है जिसने अचानक से हमारे जीने के तरीके एवं हमारी स्थानीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक परिवहन प्रणालियों को प्रभावित किया है।

1. संकेतों से प्रदर्शित होता है कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों की संख्या में 90 प्रतिशत तक की तेज गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त, यह भी देखा गया है कि वायु प्रदूषण में 60 प्रतिशत तक की कमी आई है। शहरों के लिए सार्वजनिक परिवहन में सवारियों के पुराने स्तर की फिर से स्थापना करना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि लोग अब अधिक विकल्पों की तलाश करने लगे हैं जैसे कि निजी तरीके जो लॉकडाउन के बाद के परिदृश्य में सुरक्षित यात्रा को सक्षम बनाते हैं।

2. कार एवं अन्य निजी वाहन उपयोगों के पुनरुत्थान से बचने के लिए, विश्व के कई नगरों ने ई-टिकटिंग, डिजिटल भुगतान एवं स्ट्रीट को बंद करने के जरिये साइकिल चलाने वालों तथा पैदल चलने वालों के लिए स्ट्रीट स्पेस को फिर से आवंटित करने, गैर-मोटरकृत परिवहन (एनएमटी) प्राथमिकता जोनों के सृजन, पौप अप बाइक लेन एवं साइडवॉक, पार्किंग एवं चार्जिंग उपकरणों को उपलब्ध कराने तथा साइक्लिंग को अधिक सुगम्य बनाने के लिए वित्तपोषण विकल्पों को प्रोत्साहित किया है।

इन नगरों द्वारा एनएमटी को बढ़ावा देने के लिए कोविड-19 को देखते हुए की गई कुछ महत्वपूर्ण पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • न्यूयार्क ने साइकिल सवारों की सहायता के लिए 40 मील नए एनएमटी लेन जोड़े हैं।
  • ओकलैंड, अमेरिका ने मोटर वाहनों के लिए अपने स्ट्रीट का 10 प्रतिशत बंद कर दिया है।
  • बोगोटा, कोलंबिया ने एक ही रात में 76 किमी साइकिल लेन जोड़ी है।
  • इटली के मिलान में 22 किमी गलियों को साइकिल लेन के रूपांतरित कर दिया गया हैं
  • न्यूजीलैंड के ओकलैंड में आन-स्ट्रीट कार पार्किंग को हटा दिया गया है और वर्तमान बाइक एवं फुटपाथ को चौड़ा करने के अतिरिक्त 17 किमी अस्थायी बाइक लेन का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त, नगर ने पौप अप बाइक लेन को वित्तपोषित करने का एक कार्यक्रम भी विकसित किया है।
  • चीन में बाइक को साझा करने को प्रोत्साहन दिए जाने से लॉकडाउन के दौरान पूरे देश की यात्रा में 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और
  • ब्रिटेन में, स्थानीय व्यावसायियों ने सोशल डिस्टैंसिंग दिशानिर्देशों को सम्मान देने में निवासियों को सक्षम बनाने हेतु पैदल चलने वालों के लिए रोड स्पेस को स्थानांतरित किया है।

3. आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों से प्रदर्शित होता है कि शहरी सवारियों में से लगभग 16-57 प्रतिशत पैदल चलने वाले होते हैं और लगभग 30 से 40 प्रतिशत सवारी देश में साइकिलों का उपयोग करते हैं जो देश के आकार पर निर्भर करता है। इस पर एक अवसर के रूप में विचार करते हुए इस चुनौतीपूर्ण समय में इन साधनों की प्राथमिकता को बढ़ाने से यात्रियों को एक अन्य निजी विकल्प प्राप्त होता है जो स्वच्छ, सुरक्षित और विश्वसनीय है, खासकर अगर इसे अन्य साधनों के साथ समेकित कर दिया जाए, तथा सब के लिए किफायती भी है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय परिवहन नीति-2006 (एनयूटीपी-2006) के महत्व वाले क्षेत्रों में एक है। यह एनएमटी उद्योग में श्रम बल के लिए रोजगार अवसरों को भी सृजित करेगा।

4. भारत के पास 18 बड़े नगरों में 700 किमी की परिचालनगत मेट्रो रेल तथा देश भर में 11 नगरों में लगभग 450 किमी परिचालनगत बीआरटी नेटवर्क है जो रोजाना 10 मिलियन यात्रियों के आवागमन को सुगम बनाता है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का अनुपालन किए जाने के कारण कोरोना वायरस से पहले के स्तरों की तुलना में उनकी 25 से 50 प्रतिशत क्षमता का ही उपयोग किया जाएगा। मांग एवं आपूर्ति में ऐसे नाटकीय और गतिशील परिवर्तनों के लिए पारगमन के वैकल्पिक साधनों के साथ इन सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को पूरक बनाने की आवश्यकता होगी।

5. आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इस विषय वस्तु के विशेषज्ञों, उद्योग विशेषज्ञों, आपरेटरों, विश्व बैंक एवं देश तथा विश्व के अन्य भागों में अन्य विख्यात शहरी परिवहन विशेषज्ञों के साथ कई दौर की चर्चाएं की हैं जिन्होंने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है कि कोविड-19 के बाद शहरी गतिशीलता के अभिलक्षणों में बदलाव होगा। इस चुनौतीपूर्ण समय में सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने को लेकर आम जनता के दिमाग में असुरक्षा की भावना को देखते हुए इसकी पूरी संभावना है कि सड़क पर निजी वाहनों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे न केवल प्रदूषण उत्पन्न होगा बल्कि यह अन्य सार्वजनिक परिवहन वाहनों की जगह भी लेगा। इसके अतिरिक्त, सड़क सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ेगा और वायु प्रदूषण बढेगा तथा सड़क पर काफी भीड़भाड़ हो जाएगी।

6. तथापि, भारत में निजी वाहनों का स्वामित्व अभी भी अपेक्षाकृत काफी कम है और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों की एक बड़ी संख्या सीमित परिवहन विकल्पों के साथ कैप्टिव यूजर्स हैं। इन उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद गतिशीलता विकल्प उपलब्ध कराना नगरों के लिए एक प्राथमिकता होगी, विशेष रूप से सोशल डिस्टैंसिंग द्वारा लगाये गये क्षमता नियंत्रण के कारण अब ऐसा नहीं किया जा सकता। सार्वजनिक परिवहन, बसें और मेट्रो दोनों ही कई नगरों की रीढ़ की हड्डी हैं और उनकी क्षमता में कमी करने के साथ नगरों को गतिशील बनाये रखने के लिए गतिशीलता के वैकल्पिक साधनों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी क्योंकि अर्थव्यवस्थाएं अब फिर से आरंभ हो रही हैं।

7. कोविड-19 ने हमें विभिन्न सार्वजनिक परिवहन विकल्पों पर गौर करने और उनका समाधान ढूंढने का अवसर दिया है जो हरित, प्रदूषण मुक्त, सुविधाजनक और टिकाऊ हैं। ऐसी कार्यनीति को यात्रा के दौरान या यात्रा से पूर्व सभी प्रकार के भुगतान के लिए तथा सवारियों को सूचना प्रणाली उपलब्ध कराने के लिए बड़े स्तर पर प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ गैर-मोटरकृत परिवहन एवं सार्वजनिक परिवहन पर अधिक फोकस देना होगा। यहां तक कि खरीदारी के क्षेत्र से भी भीड़भाड़ को समाप्त करने के द्वारा उन्हें पैदल यात्रियों के लिए अनुकूल बनाया जाना चाहिए और उन्हें आम लोगों को एक सुखद और सुरक्षित अनुभव प्रदान करने के लिए अधिक सुगम्य बनाया जाना चाहिए।

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