पिता के चित्र का अनावरण करना सौभाग्य की बात- न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र जायसवाल

वाराणसी। एक पुत्र के लिए अपने पिता व चाचा के चित्र का अनावरण करना बड़े सौभाग्य की बात होती है। मैं यहां अतिथि नहीं हूं, बल्कि आपके बीच का ही हूं। अपने बीच आकर आपने पिता व चाचा के चित्र के अनावरण करने का जो अवसर दिया, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। उक्त विचार शुक्रवार को बनारस बार एसोसिएशन में आयोजित वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. छेदीलाल जायसवाल व स्व. योगेश्वरी प्रसाद के चित्र के अनावरण कार्यक्रम में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र जायसवाल ने कही। उन्होंने कहा कि स्व. छेदीलाल जायसवाल जी मेरे पिता थे। इस बनारस कचहरी में वह अपनी विद्वता व शालीनता के लिए जाने जाते थे। वह कानून के बहुत ज्ञाता थे, किसी कार्य को करने में कभी जल्दबाजी नहींकरते थे। पहले अध्ययन करने के बाद, फिर उसकी ड्राफ्टिंग करते थे। जिसके कारण उनके ड्राफ्टिंग में कभी अमेंडमेंट नहीं होता था। वह बहुत ही धार्मिक व्यक्ति भी थे। आज मैं जो कुछ भी हूं, उन्हीं के आशीर्वाद से हूं। न्यायमूर्ति ने कहा कि स्व. योगेश्वरी प्रसाद जी एक विद्वान अधिवक्ता थे। मैं उन्हें अपना चाचा मानता हूं। वह सदैव सहयोगी की भूमिका में रहते थे। हमेशा अपने से जूनियर अधिवक्ताओं को सिखाने का प्रयास करते थे। मैने उनसे बहुत कुछ सीखा, जिसका लाभ मुझे एचजेएस परीक्षा में मिला।
जनपद न्यायाधीश उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि कई हजार अधिवक्ताओं में कुछ के ही चित्र लगते हैं और उन कुछ में कुछ न कुछ बात होती है। माता-पिता के हम सदैव ऋणी रहते हैं। उनके अच्छाईयों, व्यक्तित्व व कृतित्व को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इसके पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति व जनपद न्यायाधीश का बनारस बार की ओर से माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बनारस बार अध्यक्ष राजेश मिश्रा व संचालन महामंत्री विनोद शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में यतीन्द्र मालवीय, संजय वर्मा, अरुण कुमार पाण्डेय, राधेश्याम सिंह, केसर राय, केएलके चंदानी, मानबहादुर सिंह, अरुण कुमार झप्पू, अश्वनी राय, बृजेश पाठक समेत कई अधिवक्ता उपस्थित थे।

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