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केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दिया नेशन फर्स्ट, कैरेक्टर मस्ट का मंत्र

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण ने समारोह की अध्यक्षता की, जबकि प्रोफेसर डी. पी. सिंह, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रहे। दीक्षांत समारोह की थीम 2020 ऑनलाइन शिक्षा और लचीलापन थी, जो “शिक्षण, प्रवीणता और कौशल विकास- हिमालयी उत्साह की ओर” फार्मूले को लागू करने के विश्वविद्यालय के प्रयासों की झलक है। इस वर्ष ऑनलाइन दीक्षांत समारोह के लिए 155 छात्रों ने पंजीकरण कराया था, 72 छात्रों को पीएचडी से सम्मानित किया गया, विभिन्न विषयों में अव्वल रहे 59 छात्रों को स्वर्ण पदक दिए गए, जिसमें से 15 स्वर्ण पदक प्रायोजकों द्वारा दिए गए। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री पोखरियाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने, जो अपनी स्थापना के 47वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, सख्त चुनौतियों के बावजूद अपनी प्रगति यात्रा को बनाए रखा और इसने 2009 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल किया।

उन्होंने विश्वविद्यालय में नीति आयोग द्वारा इंडियन हिमालयन सेंट्रल यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम (आईएससीयूसी) स्थापित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उम्मीद जताई कि कंसोर्टियम पर्वतीय क्षेत्रों में महिला श्रमिकों के आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन करेगा। उन्होंने कहा कि कंसोर्टियम को बाजार के विशेष संदर्भ के साथ हिमालयी राज्यों की कृषि-पारिस्थितिकी; पहाड़ी क्षेत्रों में किफायती और पर्यावरण अनुकूल पर्यटन के विकास; पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने वाले रोजगार के अवसरों के सृजन करने पर काम करना चाहिए। मंत्री ने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें इस विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र होने और इसके दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय से उनकी कई यादें जुड़ी हैं और यहां का छात्र होने से लेकर मुख्य अतिथि बनने तक की उनकी यात्रा कई मुश्किलों और चुनौतियों से गुजरी है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय देश के सबसे खूबसूरत परिसरों में से एक है और इसमें असीम संभावनाएं हैं चाहे यह विज्ञान हो, पर्यावरण हो या अध्यात्म। विश्वविद्यालय “उत्कृष्टता केंद्र” के रूप में पूरे देश का नेतृत्व कर सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को बधाई दी और इस मौके को एक छात्र के जीवन का सबसे शानदार क्षण बताया। मंत्री ने कहा, हमें चरित्र निर्माण से राष्ट्र-निर्माण की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने मंत्र दिया- नेशन फर्स्ट, कैरेक्टर मस्ट। नई शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि यह इस अवधारणा पर आधारित है, जो न केवल पेशेवरों को पैदा करे, बल्कि विश्व नागरिक भी तैयार करे, जिनके पास भारतीय मूल्य और एक वैश्विक सोच हो, जो `नेशन फर्स्ट` को समझें और वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत का पालन करें। उन्होंने हिमालयी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अपील की और कहा कि इन विश्वविद्यालयों को पहाड़ी कृषि, बागवानी, जड़ी-बूटी उत्पादन, फूलों की खेती, जैविक कृषि, इको-टूरिज्म और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में शोध कार्य कराने की पहल करनी चाहिए। यह हिमालयी क्षेत्र में आजीविका के स्रोतों का सृजन करेगा। दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ. धीरेंद्र प्रताप सिंह ने सभी सदस्यों, प्रतिभागियों और उनके माता-पिता को बधाई दी। एचएनबी में अपने छात्र जीवन के दिनों को याद करते हुए, उन्होंने विश्वविद्यालय को सीखने के लिहाज से सबसे अच्छी जगह बताया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह उन सभी छात्रों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है जो डिग्री पाते हैं, इसके बाद उन्हें अपने अर्जित ज्ञान का अपने समाज की भलाई के लिए इस्तेमाल करना होता है। उन्होंने छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और उन्हें बधाई दी। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. योगेंद्र नारायण ने दीक्षांत समारोह में शामिल सभी लोगों को धन्यवाद दिया; उन्होंने भारत सरकार के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि इस वर्ष विश्वविद्यालय ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद अकादमिक भावना को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन माध्यम से दीक्षांत समारोह कराने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय से जुड़े सभी व्यक्तियों और मेहमानों को धन्यवाद दिया। कुलपति ने विश्वविद्यालय का परिचय कराया और विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में बताया; उन्होंने कहा कि विभिन्न भौगोलिक विषमताओं और संसाधनों की कमी के बावजूद, विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग करके कोविड-19 के कारण पैदा हुई चुनौतियों को सफलतापूर्वक एक अवसर में बदल दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में, विश्वविद्यालय के तीन परिसरों में 11 स्कूलों में 79 विभाग चल जा रहे हैं और 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए अनुकूल बदलाव करने और माहौल बनाने के लिए तैयार हो रहे हैं। इस अवसर पर प्रोफेसर आर. सी. रमोला, ऑफलाइन संयोजक, प्रोफेसर वाईपी रहमानी, संयोजक, मीडिया कमेटी, प्रोफेसर एम. एम. सेमवाल, प्रो. आर सी भट्ट, दाक राणा, राजेंद्र प्रसाद, प्रोफेसर पीएस नेगी, प्रोफेसर इंदु खंडूरी, डॉ. प्रीतम सिंह नेगी, डॉ. नरेश राणा, डॉ. नरेश कुमार, प्रो. अरुण बहुगुणा, श्वेता वर्मा, प्रदीप मल्ल, हिमशिखा गुसाईं आदि उपस्थित रहे।

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