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योग और आयुर्वेद को धर्म से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्णः राष्ट्रपति

कम दामों में बेहतर स्वास्थ्य की भारत जैसी सुविधा कहीं और नहीं : कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि कुछ लोग योग को धर्म और मजहब से जोड़ रहे हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।श्री कोविंद आज यहां आरोग्य भारती की ओर से आयोजित एक देश, एक स्वास्थ्य – वर्तमान समय की आवश्यकता पर ‘आरोग्य मंथन’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए सरल जीवनशैली, संतुलित खानपान और योग आदि पर जोर दिया।इसी क्रम में उन्होंने कहा कि कुछ लोग गलतफहमी फैलाने के लिए योग को धर्म और मजहब से जोड़ देते हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि किसी डॉक्टर के पास अगर दो मजहब के लोग जाएं और डॉक्टर उन्हें योगासन करने को कहे तो कोई भी मजहब का व्यक्ति डॉक्टर का विरोध नहीं करेगा क्योंकि उसे अपने स्वास्थ्य की चिंता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुधार के लिए वह व्यक्ति योग अवश्य करेगा।राष्ट्रपति ने कहा कि ये मुद्दे भ्रांतियां फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। रोग निवारण में कभी भी मजहब आड़े नहीं आता। इस पर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। समझने की आवश्यकता है कि प्रकृति के साथ संपर्क में रह कर ही स्वस्थ रहा जा सकता है।

कम दामों में बेहतर स्वास्थ्य की भारत जैसी सुविधा कहीं और नहीं : कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज अपनी विदेश यात्राओं के अनुभव साझा करते हुए कहा कि कम दामों में बेहतर स्वास्थ्य की भारत जैसी सुविधा दुनिया के किसी और देश में नहीं हैं।श्री कोविंद आज यहां आरोग्य भारती की ओर से आयोजित एक देश, एक स्वास्थ्य – वर्तमान समय की आवश्यकता पर ‘आरोग्य मंथन’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।इस दौरान उन्होंने कहा कि वे पिछले दिनों तुर्कमेनिस्तान और एक अन्य देश की यात्रा पर गए थे। वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उनके साथ चर्चा के दौरान बार-बार भारत की चिकित्सा सुविधा का ही जिक्र कर रहे थे।

इसी के साथ उन्होंने कहा कि दुनिया में उपलब्ध महंगे इलाज के बीच भारत में सस्ते उपचार की व्यवस्था है। यही वजह है कि दिल्ली के अस्पतालों में भी देखें तो देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों के मरीज बड़ी संख्या में इलाज के लिए आते हैं।इसी के साथ उन्होंने कहा कि उनकी जमैका और सेंट विंसेंट नाम के दो देशों की यात्रा के दौरान वहां के प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि अगर भारत समय पर उन देशों को कोविड के टीके नहीं पहुंचाता तो शायद उन देशों की आबादी आधी रह गई होती।

उन्होंने कहा कि एक तरफ हमारा देश स्वास्थ्य पर्यटन का केंद्र बन रहा है और दूसरी ओर कई स्थानों पर स्वास्थ्य सुविधाओं में बहुत सुधार की आवश्यकता है, ये देश के लिए एक चुनौैती है।उन्होंने कहा कि 2017 में घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत सभी के आरोग्य की व्यवस्था करने का संकल्प है। इस ध्येय की प्राप्ति के लिए भारत सरकार निरंतर कार्य कर रही है।

इसी वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस की उपस्थिति में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की आधारशिला रखी थी।(वार्ता)

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