विधान परिषद में उद्धव का नामांकन, अब राज्यपाल के पाले में गेंद
मुंबई, । उच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप करने से इनकार किये जाने के बाद अब सारी निगाहें महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर टिकी हैं जिन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य नामित करने के बारे में फैसला लेना है। बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को भाजपा के एक कार्यकर्ता की उस याचिका पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया जिसमें ठाकरे को राज्यपाल द्वारा नामित किए जाने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को चुनौती दी गई थी। भाजपा कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल द्वारा सिफारिश की कानूनी वैधता पर विचार किये जाने की उम्मीद है। ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और अभी वह विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
संविधान के तहत उन्हें 28 मई 2020 तक किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है। कोरोना वायरस महामारी के कारण हालांकि सभी चुनाव स्थगित हैं ऐसे में राज्य मंत्रिमंडल ने नौ अप्रैल को उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामित किये जाने की सिफारिश की थी। संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत राज्यपाल विशेष ज्ञान या साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन या समाज सेवा में व्यवहारिक अनुभव रखने वाले को सदन के सदस्य के तौर पर नामित कर सकते हैं। राज्यपाल के कोटे की दो सीटें अभी रिक्त है जो विधानसभा चुनाव से पूर्व राकांपा विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में जाने से खाली हुई थीं। अब राज्य में सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा राकांपा ने इन पदों के लिये साल के शुरू में दो नामों की अनुशंसा की थी लेकिन राज्यपाल ने उन्हें यह कहकर खारिज कर दिया था कि इन दोनों सीटों का कार्यकाल जून में खत्म हो रहा है अत: तत्काल नियुक्ति की कोई जरूरत नहीं है।