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आजादी के सात दशक बाद भी नाले का पानी पीने को विवश आदिवासी

दशकों से उपेक्षित कुछ परिवारों को नही मिल रहा शुद्ध पानी

दुद्धी ,सोनभद्र । तहसील मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर दुुद्धी विकास खण्ड के डुमरा ग्राम पंचायत अंतर्गत बासीन गांव के गिधवा टोला निवासी दर्जनों आदिवासी परिवार आज भी नाले का गंदा पानी पीने को विवश है। आधुनिक युग में जहां लोग चांद की सैर करने लगे हैं और जागरूक तबका आरओ का पानी पी रहा है, वहीं इन गरीब आदिवासी परिवारों को आज भी नाले में चुआड़ खोदकर अपनी प्यास बुझाना नियति बनकर रह गयी है।ग्राम पंचायत द्वारा इनके लिए पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था नही की गई। लाखों की लागत से लगा सोलर वाटर पम्प निष्क्रिय हालत में शो-पीस बनी हुई है। गंदे नाले का पानी पी रहे आदिवासी परिवार की महिलाओं की मानें तो जब से निवास कर रहे हैं तब से गिधवा नाला में चुआड़ खोदकर पानी पीते चले आ रहे हैं।उसे भी गांव के कुछ शरारती तत्वों द्वारा गंदा कर दिया जाता है।

पशु पक्षी भी उसी नाले का पानी पीते हैं।जिससे पशुओं के पैरों से पानी गंदा व संक्रमित हो जाता है।बेबसी में वही एक सहारा है, जो करीब एक किमी दूर चलने के बाद नसीब होता है।भुक्तभोगियों का आरोप है कि अब तक कितने प्रधान और विधायक ,सांसद आए और गए, लेकिन हम लोगों की हालात बद से बदतर ही बनी रही।बतादें कि खासतौर से इन परिवारों को बरसात और गर्मियों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि गर्मियों में जल स्तर नीचे चलें जाने से लोगों को नाले में चुआड़ खोदना पड़ता है। लेकिन सभी तरफ से खुला होने के कारण पशु एवं अन्य जानवर उस गड्ढे में चले जाते हैं। जिससे पानी गंदा हो जाता है तो वही बरसात में भर जाने से और भी बदत्तर स्थिति हो जाती हैं ।वर्तमान में जहां एक तरफ लोग हाईटेक जीवन जी रहे हैं तो वही आज भी गांवो में लोग लंबी दूरी से नाले का गंदा पानी ढोकर, पीने को बेबस और लाचार हैं ।शुद्ध पेयजल के लिए जन प्रतिनिधियों को कई बार कहा गया लेकिन आज करीब 20-25 सालों से हम लोग गड्ढे का पानी पीने को मजबूर हैं और कोई सुनने वाला नही है ।उन्होंने बताया कि हम लोगों के टोले में एक हैण्डपम्प लगा था, जिसमें सुविधा के नाम पर लाखों रुपये की लागत वाली सोलर पम्प व टंकी लगा दी गयी और हैण्डपम्प निकाल दिया गया।मशीन हमेशा खराब रहती है, जिसके कारण पानी नही देता और हैंडपंप भी निकाल देने से पानी की समस्या बनी हुई है। जिसके कारण हम लोग नाले का पानी पीने को मजबूर हैं। प्रधान व सेक्रेटरी से अपनी समस्या कहते कहते थक कर ,अब इसे अपनी नियति मान चुके हैं,कोई हमारी खबर लेने वाला नही।इस समस्या के बाबत जब प्रधान व सेक्रेटरी से पक्ष जानने की कोशिश की गई तो दोनों का फोन नही उठा।

 

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