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झारखंड के शिक्षकों को जबरदस्त प्रोन्नति ग्रेड टू से सीधे ग्रेड फोर मे, ग्रेड थ्री के हाँथ खाली

जमशेदपुर : झारखंड के शिक्षकों को ग्रेड टू से सीधे ग्रेड फोर में प्रोन्नति तो दे दी जा रही है, लेकिन ग्रेड थ्री की प्रोन्नति देने में विभाग के हाथ-पांव फुल जाते हैं, क्योंकि इसमें लगभग सारे प्राइमरी व मिडिल स्कूल के शिक्षक आ जाते हैं। ग्रेड थ्री में प्रोन्नति स्वीकृत होने पर सेवानिवृत्त व दिवंगत हो चुके शिक्षकों को भी इसका लाभ देना होगा। इस कारण इस पर विचार नहीं होता है। सीधे ग्रेड फोर में प्रमोशन दे दिया जाता है। ग्रेड तीन का जिक्र नहीं हाे रहा है। ग्रेड तीन भूतलक्षी से मिलना है। उसमें अच्छा खासा एरियर मिलेगा।

ग्रेड थ्री का प्रमोशन लागू होने पर वित्तीय भार बढ़ जाएगा। ग्रेड थ्री में प्रमोशन उसे मिलना है, जो शिक्षक के रूप में लगातार 24 साल सेवा देते रहे। ऐसे में 1994 में बहाल हुए प्रदेश भर के सारे शिक्षकों को ग्रेड थ्री (कालबद्ध प्रोन्नति) का लाभ वर्ष 2018 में मिल जाना चाहिए था, लेकिन यह आज तक नहीं मिला। पूर्वी सिंहभूम में इसका प्रयास पूर्व के जिला शिक्षा अधीक्षक बांके बिहारी सिंह द्वारा किया गया था, लेकिन यह प्रस्ताव वित्त विभाग के पास जाकर रुक गया।

भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति लेकर बन रहे अधिकारी
शिक्षा विभाग के अधिकारी खुद भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति लेकर अधिकारी बन जाते हैं, लेकिन शिक्षकों को भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति देने में अधिकारी घबराते हैं। शिक्षा संवर्ग के अधिकारी इसका फायदा उठा लेते हैं, लेकिन जो शिक्षक लगातार 24 साल सेवा दे रहे हैं या दे चुके हैं उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता। यह स्थिति झारखंड के सभी जिलों में हैं। झारखंड के एक दर्जन से अधिक जिलों में तो किसी तरह की प्रोन्नति नहीं मिली। पूर्वी सिंहभूम में कम से कम हाईकोर्ट के आदेश पर ही सही ग्रेड फोर एवं ग्रेड टू में प्रोन्नति का लाभ मिलने वाला है।

झारखंड के छह जिलों में ग्रेड थ्री के प्रमोशन का लाभ मिला है। इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। आखिर शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर विभाग के नियमों की एकरूपता क्यों नहीं रहती, यह समझ से परे हैं।कालबद्ध प्रोन्नति के लिए सभी जिलों को पत्र प्रेषित किया जा चुका है, इसमें संशय की कोई स्थिति ही नहीं है।फिर भी विभाग के अधिकारियों द्वारा संशय पैदा किया जाता है। – अरुण कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष, झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
सबसे निरीह प्राणी शिक्षक ही है। कालबद्ध प्रोन्नति शिक्षकों का हक है, उसे तो बिना मांगे ही मिल जाना चाहिए।

अधिकारी इसका फायदा उठा लेते हैं, लेकिन शिक्षकों को इसका फायदा नहीं मिलता। मात्र छह-सात जिलों के शिक्षकों को ही इसका फायदा मिला है। विभागीय संकल्प पत्र रहते हुए भी यह कार्य नहीं होता। शिक्षा विभाग में प्रोन्नति के अलग-अलग नियम है। इस कारण मामले हाईकोर्ट चले जाते हैं। – सुनील कुमार, प्रदेश सलाहकार, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ

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