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काशी में परंपरागत रूप से मनाई गई रंगभरी एकादशी, होली का हुआ आगाज़

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फाईल फोटो

वाराणसी । काशी में रंगभरी एकादशी से होली का आगाज़ हो जाता है। इसी के साथ होली के पर्व को मनाने पर्यटकों की आमाद शुरू हो गयी है। काशी के नए स्वरूप में आने के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के साथ ही वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हो रही है। जिससे वाराणसी के होटल और गेस्ट हाउस में रूम मिलना मुश्किल रहा है। होटल, टूर एंड ट्रेवल इंडस्ट्रीज से जुड़े लोगों का मानना है कि मोदी-योगी के प्रयासों से पूर्वांचल के लगभग सभी क्षेत्रों का कायाकल्प हुआ है। जिससे देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या लगतार बढ़ती जा रही है।

Shri Kashi Vishwanath Temple Trust Welcomes & Greets You Warmly

महाशिवरात्रि पर भूतभावन बाबा विश्वनाथ की शादी के बाद, रंगभरी एकादशी पर देवाधिपति भगवान शंकर मां पार्वती का गौना कराकर घर लाते हैं। इस दिन पूरी काशी में उत्सव का माहौल होता है। पूरी काशी रंग और गुलाल से सराबोर हो जाती है। रंगभरी एकादशी के दिन से काशी में होली की शुरुआत मानी जाती है। शुक्रवार को परम्परा के अनुसार मन्दिर के पूर्व महंत के टेढ़ी नीम आवास से हर-हर महादेव के उद्घोष और डमरू दल के नाद के साथ, बाबा गौरा का गौना कराके पूरे परिवार के साथ काशी की गलियों में निकले और भक्तों के साथ जम कर होली खेले।

बनारस होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोकुल शर्मा ने बताया कि रंगभरी एकादशी से होली की शुरुआत हो जाती है। काशी विश्वनाथ धाम के पुनरोद्धार के बाद पर्यटक बाबा से जुड़े किसी न किसी धार्मिक पर्व में शामिल होना चाहते हैं। जिसे देखते हुए बनारस के होटल और गेस्ट हाउस लगभग सभी बुक चल रहे हैं। ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप कुमार राय और होटल के मालिक विकास अग्रवाल ने बताया कि वाराणसी की तस्वीर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच काफी अच्छी हुई है।

वाराणसी कि हवाई और सड़क की कनेक्टिविटी अन्य शहरों और प्रदशों से अच्छी होने से भी पर्यटकों की पहली पसंद काशी होती जा रही है। जिसके चलते कोविड काल में मुंह के बल गिरे पूर्वांचल के होटल, टूर एंड ट्रेवल इंडस्ट्रीज को जबरदस्त संजीवनी मिली है।

 

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