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कोविड-19 के संक्रमण से ठीक होने वालों की कुल संख्या बढ़कर 7.2 लाख हुई

दिल्ली में जून,2020 में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीरो-प्रधान अध्ययन कराया गया

कोविड-19 के मरीजों का प्रभावी नैदानिक उपचार सुनिश्चित करने के लिए मानक उपचार प्रोटोकॉल के साथ प्रभावी प्रयोगशालाओं के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के जरिए प्रभावी निगरानी और परीक्षण के लिए निरंतर, सक्रिय, प्रगतिशील और साक्ष्य आधारित कार्यनीतियों के नतीजे अब सामने आने लगे हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 24,491 मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हुए हैं। इसके साथ ही कोविड-19 के संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों की कुल संख्या आज की तारीख तक बढ़कर 7,24,577 हो गई है। इस बीमारी से ठीक होने की दर में और सुधार हुआ है जो बढ़कर अब 62.72% तक पहुंच गई है।

इससे यह भी सुनिश्चित हो गया है कि भारत में कोविड से होने वाली मौतों के संदर्भ में मृत्यु दर घटकर 2.43% हो गई है जो दुनिया भर में सबसे कम मृत्य दरों में से एक है और यह लगातार कम हो रही है। कोविड-19 बीमारी से ठीक होने वाले लोगों और इससे संक्रमित मरीजों की संख्या के बीच का अंतर अभी बढ़कर 3,22,048 हो गया है। वर्तमान में 4,02,529 संक्रमित मरीज हैं और सबका चिकित्सकीय देखरेख में इलाज चल रहा है। पिछले 24 घंटों में 3,33,395 नमूनों का परीक्षण किया गया। देश में अब तक कुल 1,43,81,303 नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। यह प्रयोगशालाओं की लगातार बढ़ती संख्या की वजह से संभव हो पा है। अभी देश भर में 1274 प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं जिनमें सरकारी क्षेत्र की 892 और निजी क्षेत्र की 382 प्रयोगशालाएं शामिल हैं।

वर्तमान में भारत में 8.07 प्रतिशत है पॉजिटिविटी दर

‘टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट‘ रणनीति कोविड-19 के प्रबंधन के लिए समग्र संरचना को समाहित करती है। केंद्र के नेतृत्व में इसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों द्वारा विभिन्न उपायों के माध्यम से कार्यान्वित किया गया है। जहां राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने उल्लेखनीय रूप से अपने टेस्टिंग नेटवर्क को विस्तारित किया है, उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों द्वारा व्यापक टेस्टिंग को सुगम बनाने के लिए उपाय भी किए हैं। इसके परिणामस्वरूप, आज की तारीख तक टेस्ट/प्रति दिन/ मिलियन का राष्ट्रीय औसत उल्लेखनीय रूप से उछल कर 180 पर जा पहुंचा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘ कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपाय को समायोजित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य मानदंड‘ पर अपने दिशानिर्देश नोट में संदिग्ध कोविड 19 मामलों के लिए व्यापक निगरानी की सलाह दी है।

वर्तमान में, ऐसे 19 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं जो प्रति दिन प्रति मिलियन 140 से अधिक टेस्ट कर रहे हैं। गोवा राज्य सर्वाधिक प्रति दिन प्रति मिलियन 1333 से अधिक टेस्ट कर रहा हैं। केंद्र एवं आईसीएमआर ने लगातार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को किए जाने वाले टेस्टों की संख्या में सुधार लाने का सुझाव दिया है। समन्वित प्रयासों की बदौलत, प्रति मिलियन भारत की टेस्टिंग (टीपीएम) बढ़ कर 10421 तक पहुंच गई है। इससे कोविड-19 के मामलों का आरंभिक पता लगने तथा समय पर एवं प्रभावी नैदानिक प्रबंधन में सहायता मिली है। जांच की संख्या में बढोतरी के अनुरूप, भरत के लिए पुष्टि दर या पॉजिटिविटी दर में भी लगातार कमी आ रही है और वर्तमान में यह 8.07 प्रतिशत है। ऐसे 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश हैं जिनकी पॉजिटिविटी दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में निम्न है। इससे संकेत मिलता है कि जांच बढ़ाने की केंद्र के नेतृत्व में पहल का परिणाम सकारात्मक रूप में सामने आ रहा है।

दिल्ली में कोविड-19 को लेकर सीरो-निरगानी अध्ययन

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने दिल्ली में कोविड-19 को लेकर सीरो-निरगानी अध्ययन करा लिया है। यह अध्ययन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की दिल्ली सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा एक अत्यंत शुद्ध बहु-स्तरीय नमूना अध्ययन डिजाइन के बाद किया गया है। यह अध्ययन 27 जून,2020 से 10 जुलाई,2020 तक कराया गया था।

दिल्ली के सभी 11 जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमों का गठन किया गया था। पहले से चयनित लोगों से लिखित सूचित सहमति लेने के बाद उनके रक्त के नमूने एकत्र किए गए और फिर उनके सीरा को आईजीजी एंटीबॉडी और संक्रमण के लिए परीक्षण किया गया,जिसमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा अनुमोदित कोविड कवच एलिसा का उपयोग किया गया। यह एलिसा परीक्षण का उपयोग करते हुए देश में कराए गए अब तक के सबसे बड़े सीरो-प्रधान अध्ययनों में से एक है।

प्रयोगशाला मानकों के अनुसार 21,387 नमूने एकत्र किए गए और फिर उनका परीक्षण किया गया। इन परीक्षणों से आम नागरिकों में एंटीबॉडी की उपस्थिति की पहचान करने में मदद मिली। ये परीक्षण एक नैदानिक ​​परीक्षण नहीं है बल्कि यह केवल सार्स कोव-2 की वजह से पॉजिटीव पाए गए लोगों के पिछले संक्रमण के बारे में जानकारी प्रदान करता है। समय-समय पर बार-बार किया जाने वाला एंटीबॉडी परीक्षण यानी सीरो-निगरानी महामारी के प्रसार का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध कराता है। सीरो-प्रधान अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि दिल्ली भर में औसतन आईजीजी एंटीबॉडी का प्रसार 23.48% है। अध्ययन से यह भी पता चला कि बड़ी संख्या में संक्रमित व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं दिखा है। इसका मतलब निम्नलिखित है:

  1. महामारी के लगभग छह महीने में दिल्ली में केवल 23.48% लोग ही कोविड बीमारी से प्रभावित हुए जो घनी आबादी वाले कई जगहों से हैं। इसके लिए बीमारी का पता लगते ही लॉकडाउन लागू करना, रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करना और संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने सहित कई निगरानी उपायों जैसे सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय प्रयासों को श्रेय दिया जा सकता है। इसमें नागरिकों द्वारा कोविड से बचने के लिए उपयुक्त व्यवहार के अनुपालन की भी कम भूमिका नहीं है।
  2. हालांकि,जनसंख्या का एक अहम हिस्सा आज भी संक्रमण की संभावना के लिहाज से आसान लक्ष्य है। इसलिए रोकथाम के उपायों को उसी कड़ाई के साथ जारी रखने की आवश्यकता है। एक-दूसरे से सुरक्षित दूरी बनाए रखना, फेस मास्क/कवर का उपयोग, हाथों की साफ-सफाई, खांसी करने के संबंध में शिष्टाचार का पालन और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना आदि जैसे गैर-चिकित्सकीय उपायों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
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