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भारतीय मसालों के व्यापार को बढ़ाने के लिए ‘विश्व मसाला कांग्रेस’ का आयोजन, G20 देशों के विशेषज्ञ भी लेंगे हिस्सा

भारत को विश्व का ‘मसाला कटोरा‘ कहा जाता है। मसालों की कहानियां केवल किचन से ही नहीं बल्कि अर्थतंत्र, संस्कृति, राजनीति और साम्राज्यों की ताकत से भी जुड़ी रही हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर भारत के मसालों की ख्याति यूरोप तक नहीं फैली होती तो शायद 16वीं सदी में पुर्तगाली व्यापारी और जहाजी वास्को-डी-गामा भारत नहीं आया होता। भारत कई प्रकार के गुणवत्तापूर्ण, दुर्लभ तथा चिकित्सकीय मसालों का उत्पादन करता है। भारतीय मसालों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विश्व मसाला कांग्रेस (World Spice Congress, WSC) का आयोजन किया जा रहा है। इस लेख में हम विश्व मसाला कांग्रेस के अलावा देश में मसलों के उत्पादन और उपयोग पर भी नजर डालेंगे।

कब और कहां होगा

विश्व मसाला कांग्रेस (World Spice Congress) के 14वें संस्करण का आयोजन 16 से 18 फरवरी तक मुंबई में होगा। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय मसालों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नए अवसर पैदा है। WSC 2023 की इस बार की थीम ‘विजन 2030 : S-P-I-C-E-S (सस्टेनेबिलिटी, प्रोडक्टिविटी, इनोवेशन, कोलाबोरेशन, एक्सेलेंस और सेफ्टी)’ है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 17 फरवरी को मसालों के निर्यात में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार वितरण भी करेंगे।

G20 देशों के बीच व्यापार

भारत वर्तमान में G20 की अध्यक्षता कर रहा है। WSC का यह संस्करण विशेष है क्योंकि इसका आयोजन भारत की G20 अध्यक्षता के समय हो रहा। इस बार कार्यक्रम में G20 देशों के बीच मसाला व्यापार को बढ़ावा देने के लिए समर्पित व्यवसायिक सत्र होगा। यह हितधारकों के लिए कोविड-19 के बाद के उद्योग के रुझानों पर चर्चा करने और भविष्य के मार्ग की रूपरेखा बनाने के लिए एक मंच है। इस कार्यक्रम में नीति निर्माता, नियामक प्राधिकरण, मसाला व्यापार संघ, सरकारी अधिकारी तथा प्रमुख G20 देशों के तकनीकी विशेषज्ञ भी भाग लेंगे।

महाराष्ट्र को ही क्यों चुना

महाराष्ट्र मसाला उत्पादन करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है। महाराष्ट्र भारत में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह दो GI टैग वाली हल्दी किस्मों और एक GI टैग वाली मिर्च किस्म का उत्पादन करता है। महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों को GI टैग वाले कोकम के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यह राज्य मसालों के लिए सबसे बड़े निर्यात केंद्रों में से एक है। यही कारण है कि विश्व मसाला कांग्रेस का आयोजन महाराष्ट्र में किया जा है। विश्व मसाला कांग्रेस मसालों का व्यापार करने वालों के लिए एक पहले से बड़े वैश्विक उपभकताओं के समक्ष भारतीय ब्रांडों से मिलने और उन्हें बढ़ावा देने का अवसर उपलब्ध कराएगा।

भारतीय मसालों की मांग में वृद्धि

2022-23 के दौरान, कुछ मसालों, विशेष रूप से जीरा, मेथी, अजवाइन, पोस्ता, सौंफ, सरसों तथा अन्य मसालों सहित बीज मसालों की मांग में वृद्धि हुई है। अप्रैल-अक्टूबर 2021 की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2022 के दौरान लहसुन में 170 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। कुछ अन्य मसाले जैसे सौंफ, हींग, दालचीनी और तेज पत्ता में भी सकारात्मक वृद्धि हुई है। करी पाउडर जैसे मसालों से प्राप्त मूल्य वर्धित उत्पादों में भी सकारात्मक रुझान देखें गए हैं। वर्तमान सीजन में सौंफ की बंपर पैदावार हुई है। भारत में अधिकांश मसाला व्यापार वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान होता है और भारतीय मसाला उद्योग जनवरी-मार्च 2023 के दौरान मसालों के निर्यात में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है, जिससे कुल निर्यात 4 बिलियन डॉलर तक हो जाने की उम्मीद है।

मसाले स्वाद ही नहीं प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ातें है

हाल ही के अध्ययनों में पता चलता है कि मसाले और हर्ब्स भोजन का स्वाद बढ़ाने के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ते है। कोरोना काल में आयुष मंत्रालय ने भी हल्दी, जीरा, धनिया, तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ और लहसुन जैसे मसालों के इस्तेमाल की सलाह दी थी। हल्दी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है तो वहीं लहसुन बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, धनिया को कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के रोगियों के लिए एक पारंपरिक उपचार के रूप में जाना जाता है। दालचीनी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज़ होती है। काली मिर्च भी दिल के लिए फायदेमंद हैं। काली मिर्च में पिपरीन (Piperine) पाया जाता है जो कि फ्री रेडिकल्स से होने वाले ऑक्सीडेटिव डैमेज को कम करता है और सेल्स को प्रोटेक्ट करता है। हमारे देश में खाने के बाद सौंफ खाने का भी चलन है जिससे पाचन में मदद मिलती है।

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