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मन की बात : पीएम मोदी ने कोरोना को लेकर देश को किया आगाह

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को साल की अंतिम ‘मन की बात’ की। आज क्रिसमस के मौके पर उन्होंने देशवासियों को शुभकामनाएं भी दी। वहीं दुनिया में कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए देशवासियों को सतर्क रहने भी कहा। उन्होंने स्तर कैंसर पर टाटा मेमोरियल की योग संबंधी रिसर्च, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और ऐतिहासिक हर घर तिरंगा अभियान का भी खासतौर से जिक्र किया। कोरोना के नए खतरे को देखते हुए पीएम मोदी ने देशवासियों को सावधान रहने को कहा।

पीएम ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, ‘प्यारे देशवासियों, आज दुनियाभर में धूमधाम से क्रिसमस का त्योहार मनाया जा रहा है। ये ईसा मसीह के जीवन और उनकी सीख को याद करने का दिन है। मैं आप सभी को क्रिसमस की ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।’ पीएम मोदी ने कोरोना के नए खतरे को देखते हुए कहा, ‘हम देख रहे हैं कि दुनिया के कई देशों में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में हमें सावधान रहने और मास्क पहनने और हाथ धोने की जरूरत है।पीएम मोदी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा, ‘आज हम सभी के श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है। वे एक महान राजनेता थे, जिन्होनें देश को असाधारण नेतृत्व दिया। हर भारतवासी के हृदय में उनके लिए एक खास स्थान है।(वीएनएस)

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में योग, आयुर्वेद का सम्मिलन करेगा रोगों का उन्मूलन: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में योग एवं आयुर्वेद के सम्मिलन को प्रमाण आधारित प्रभावी उपचार का माध्यम साबित होने पर खुशी जाहिर की और आशा जतायी कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग देश में रोगों के उन्मूलन एवं किफायती उपचार में महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा।श्री माेदी ने आज आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा,“ यानी सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती, जो प्रत्यक्ष है, उसे भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन बात जब आधुनिक मेडिकल विज्ञान की हो, तो उसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है – प्रमाण। सदियों से भारतीय जीवन का हिस्सा रहे योग और आयुर्वेद जैसे हमारे शास्त्रों के सामने प्रमाण आधारित शोध की कमी, हमेशा-हमेशा एक चुनौती रही है – परिणाम दिखते हैं, लेकिन प्रमाण नहीं होते हैं। लेकिन खुशी की बात है कि प्रमाण आधारित उपचार के युग में, अब योग और आयुर्वेद, आधुनिक युग की जाँच और कसौटियों पर भी खरे उतर रहे हैं।”

श्री मोदी ने कहा कि सभी ने मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर के बारे में ज़रूर सुना होगा। इस संस्थान ने शोध, नवान्वेषण और कैंसर केयर में बहुत नाम कमाया है। इस सेंटर द्वारा किये गये एक गहन शोध में सामने आया है कि स्तन कैंसर के मरीजों के लिए योग बहुत ज्यादा असरकारी है। टाटा मेमोरियल सेंटर ने अपने शोध के नतीजों को अमेरिका में हुई बहुत ही प्रतिष्ठित, स्तन कैंसर सम्मेलन में प्रस्तुत किया है। इन नतीजों ने दुनिया के बड़े-बड़े विशेषज्ञों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है क्योंकि, टाटा मेमोरियल सेंटर ने प्रमाण के साथ बताया है कि कैसे मरीजों को योग से लाभ हुआ है। इस सेंटर के शोध के मुताबिक, योग के नियमित अभ्यास से, स्तन कैंसर के मरीजों की बीमारी के, फिर से उभरने और मृत्यु के खतरे में, 15 प्रतिशत तक की कमी आई है। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में यह पहला उदाहरण है, जिसे, पश्चिमी तौर-तरीकों वाले कड़े मानकों पर परखा गया है। साथ ही, यह पहला अध्ययन है, जिसमें स्तन कैंसर से प्रभावित महिलाओं में, योग से, जीवन की गुणवत्ता के बेहतर होने का पता चला है। इसके दीर्घकालिक लाभ भी सामने आये हैं।

टाटा मेमोरियल सेंटर ने अपने अध्ययन के नतीजों को पेरिस में हुए यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी सम्मेलन में प्रस्तुत किया है।प्रधानमंत्री ने कहा,“ आज के युग में, भारतीय चिकित्सा पद्धतियां, जितनी ज्यादा प्रमाण आधारित होंगी, उतनी ही पूरे विश्व में उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। इसी सोच के साथ, दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी एक प्रयास किया जा रहा है। यहाँ, हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को वैधानिकता प्रदान करने लिए छह साल पहले सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च की स्थापना की गई। इसमें अत्याधुनिक तकनीक और शोध विधियों का उपयोग किया जाता है। यह सेंटर पहले ही प्रतिष्ठितअंतरराष्ट्रीय शोधपत्रिकाओं में 20 शोधपत्र प्रकाशित कर चुका है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित एक शोधपत्र में सिन्कपी से पीड़ित मरीजों को योग से होने वाले लाभ के बारे में बताया गया है। इसी प्रकार, न्यूरोलॉजी जर्नल में, माईग्रेन में, योग के फायदों के बारे में बताया गया है। इनके अलावा कई और बीमारियों में भी योग के लाभों को लेकर अध्ययन किया जा रहा है, जैसे हृदय रोग, अवसाद, अनिद्रा और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याएं।”

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही गोवा में विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का आयोजन हुआ। इसमें 40 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए और यहां 550 से अधिक वैज्ञानिक शोधपत्र प्रस्तुत किये गए। भारत सहित दुनियाभर की करीब 215 कंपनियों ने यहां प्रदर्शनी में अपने उत्पाद को प्रदर्शित किया। चार दिनों तक चले इस एक्स्पो में एक लाख से भी अधिक लोगों ने आयुर्वेद से जुड़े अपने अनुभव का आनंद उठाया। उन्होंने कहा, “आयुर्वेद कांग्रेस में भी मैंने दुनिया भर से जुटे आयुर्वेद विशेषज्ञ के सामने प्रमाण आधारित शोध का आग्रह दोहराया। जिस तरह कोरोना वैश्विक महामारी के इस समय में योग और आयुर्वेद की शक्ति को हम सभी देख रहे हैं, उसमें इनसे जुड़ा प्रमाण आधारित शोध बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा। मेरा आपसे भी आग्रह है कि योग, आयुर्वेद और हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े हुए ऐसे प्रयासों के बारे में अगर आपके पास कोई जानकारी हो तो उन्हें सोशल मीडिया पर जरुर साझा करें।”प्रधानमंत्री ने कहा,“ बीते कुछ वर्षों में हमने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी कई बड़ी चुनौतियों पर विजय पाई है। इसका पूरा श्रेय हमारे चिकित्सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और देशवासियों की इच्छाशक्ति को जाता है। हमने भारत से चेचक, पोलियो और ‘गिनी वार्म’ जैसी बीमारियों को समाप्त करके दिखाया है।”

उन्होंने कहा, “आज, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को, मैं, एक और चुनौती के बारे में बताना चाहता हूं, जो अब, समाप्त होने की कगार पर है। ये चुनौती, ये बीमारी है – ‘कालाजार’। यह बीमारी परजीवी यानी बालू मक्खी के काटने से फैलता है। जब किसी को ‘कालाजार’ होता है तो उसे महीनों तक बुखार रहता है, खून की कमी हो जाती है, शरीर कमजोर पड़ जाता है और वजन भी घट जाता है। यह बीमारी, बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकती है। लेकिन सबके प्रयास से, ‘कालाजार’ नाम की ये बीमारी, अब, तेजी से समाप्त होती जा रही है। कुछ समय पहले तक, कालाजार का प्रकोप, चार राज्यों के 50 से अधिक जिलों में फैला हुआ था। लेकिन अब ये बीमारी, बिहार और झारखंड के चार जिलों तक ही सिमटकर रह गई है। मुझे विश्वास है, बिहार-झारखंड के लोगों का सामर्थ्य, उनकी जागरूकता, इन चार जिलों से भी ‘कालाजार’ को समाप्त करने में सरकार के प्रयासों को मदद करेगी।

‘कालाजार’ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से भी मेरा आग्रह है कि वो दो बातों का जरूर ध्यान रखें। एक है – बालू मक्खी पर नियंत्रण, और दूसरा, जल्द से जल्द इस रोग की पहचान और पूरा इलाज। ‘कालाजार’ का इलाज आसान है, इसके लिए काम आने वाली दवाएं भी बहुत कारगर होती हैं। बस, आपको सतर्क रहना है। बुखार हो तो लापरवाही ना बरतें, और, बालू मक्खी को खत्म करने वाली दवाइयों का छिड़काव भी करते रहें। जरा सोचिए, हमारा देश जब ‘कालाजार’ से भी मुक्त हो जाएगा, तो ये हम सभी के लिए कितनी खुशी की बात होगी।”श्री मोदी ने कहा,“ सबका प्रयास की इसी भावना से, हम, भारत को 2025 तक टी.बी. मुक्त करने के लिए भी काम कर रहे हैं। बीते दिनों, जब, टी.बी. मुक्त भारत अभियान शुरू हुआ, तो हजारों लोग, टी.बी. मरीजों की मदद के लिए आगे आएं। ये लोग निक्षय मित्र बनकर, टी.बी. के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं और उनकी आर्थिक मदद कर रहे हैं। जनसेवा और जनभागीदारी की यही शक्ति, हर मुश्किल लक्ष्य को प्राप्त करके ही दिखाती है।”(वार्ता)

वर्ष 2022 देश के लिए बड़ी सफलताओं का वर्ष; दुनिया में विशेष स्थान बनाया भारत ने: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतिहास के पन्नों में सिमटने जा रहे वर्ष 2022 को भारत के लिए एक ‘बहुत प्रेरक और अद्भुत’ बताते हुए रविवार को कहा कि वर्ष के दौरान देश ने विश्व की पाचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकाम हासिल करने,रिकाॅर्ड निर्यात तथा कोविड टीकाकरण के उल्लेखनीय अभियान सहित आर्थिक-सामाजिक-तकनीकी क्षेत्र में कई बड़ी सफलताएं दर्ज की हैं जिससे विश्व में भारत का एक विशेष स्थान बना है और ये सफलताएं भारत की भविष्य की संभावनाओं को मजबूत करने वाली हैं।श्री मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की छियानवीं (96वीं) कड़ी में आज कहा ,“ वर्ष 2022 में भारत द्वारा दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकाम हासिल करना, 220 करोड़ वैक्सीन का अविश्वसनीय आंकड़ा पार करना, 400 अरब डालर से अधिक के निर्यात का का जादुई आंकड़ा पार करना, जन-जन द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को अपनाना, पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का स्वागत, अंतरिक्ष, ड्रोन और रक्षा क्षेत्र में भारत का परचम लहराना, हर क्षेत्र में भारत के दमखम का नमूना है।”

प्रधानमंत्री ने कहा , “वर्ष 2022 वाकई कई मायनों में बहुत ही प्रेरक रहा, अद्भुत रहा। इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किये और इसी वर्ष अमृतकाल का प्रारंभ हुआ। इस साल देश ने नई रफ़्तार पकड़ी, सभी देशवासियों ने एक से बढ़कर एक काम किया। 2022 की विभिन्न सफलताओं ने, आज, पूरे विश्व में भारत के लिए एक विशेष स्थान बनाया है।”श्री मोदी ने कहा,“ यह वर्ष खेल के मैदान में भी भारत का प्रदर्शन सुधरा है। ‘राष्ट्रमंडल खेल हो, या हमारी महिला हॉकी टीम की जीत, हमारे युवाओं ने जबरदस्त सामर्थ्य दिखाया है।अतीत का अवलोकन तो हमेशा हमें वर्तमान और भविष्य की तैयारियों की प्रेरणा देता है। 2022 में देश के लोगों का सामर्थ्य, उनका सहयोग, उनका संकल्प, उनकी सफलता का विस्तार इतना ज्यादा रहा कि ‘मन की बात’ में सभी को समेटना मुश्किल होगा।”

उन्होंने कहा ,“ वर्ष 2022 , ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना का विस्तार के लिए भी जाना जाएगा। देश के लोगों ने एकता और एकजुटता का उत्सव मनाने के लिए भी कई अद्भुत आयोजन किए। गुजरात के माधवपुर मेला हो, जहां, रुक्मिणी विवाह, और, भगवान कृष्ण के पूर्वोतर से संबंधों का उत्सव आयोजिया किया जाता है या फिर काशी-तमिल संगमम हो, इन पर्वों में भी एकता के कई रंग दिखे। 2022 में देशवासियों ने एक और अमर इतिहास लिखा है।”उन्होंने कहा,“ 2022 में अगस्त के महीने में चला ‘हर घर तिरंगा’ अभियान अविस्मरणीय है। वो पल थे हर देशवासी के रौंगटे खड़े हो जाते थे। आजादी के 75 वर्ष के इस अभियान में पूरा देश तिरंगामय हो गया। छह करोड़ से ज्यादा लोगों ने तो तिरंगे के साथ ‘सेल्फी’ भी भेजीं। आजादी का ये अमृत महोत्सव अभी अगले साल भी ऐसे ही चलेगा – अमृतकाल की नींव को और मजबूत करेगा|’(वार्ता)

‘नमामि गंगे’ से नदी में जैवविधिता सुधर रही है: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नमामि गंगे’ अभियान को विश्व के शीर्ष 10 अभियानों के रूप में स्वीकार करने की संयुक्त राष्ट्र की घोषणा का स्वागत करते हुए रविवार को कहा कि इससे जैवविधिता सुधर रही है और इसका अन्य क्षेत्रों में लाभ मिल रहा है।श्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम‘मन की बात’ की ताजा कड़ी में माँ गंगा के साथ भारत की परंपरा और संस्कृति के अटूट नाते का उल्लेख किया और कहा कि ‘नमामि गंगे’ पहल के बाद हिमालय से निकलने वाले देश की इस प्रमुख नदी में जल-जीव और मछलियों की संख्या बढ़ रही है।प्रधानमंत्री ने कहा,“सदियों से कल-कल बहती माँ गंगा को स्वच्छ रखना हम सबकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य के साथ, आठ साल पहले, हमने, ‘नमामि गंगे’ अभियान की शुरुआत की थी। इस पहल को दुनियाभर ने सराहा है तथा संयुक्त राष्ट्र ने इस मिशन को पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करने के दुनिया के शीर्ष 10 प्रयासों में शामिल किया है। इस अभियान में जनभागीदारी है और इससे गंगा नदी में जैवविविधता सुधरी है।”

श्री मोदी ने कहा, ‘ ‘नमामि गंगे’ अभियान की सबसे बड़ी ऊर्जा, लोगों की निरंतर सहभागिता है। इसअभियान में, गंगा प्रहरियों और गंगा दूतों की भी बड़ी भूमिका है। वे पेड़ लगाने, घाटों की सफाई, गंगा आरती, नुक्कड़ नाटक, पेंटिंग और कविताओं के जरिए जागरूकता फैलाने में जुटे हैं। इस अभियान से जैवविधितामें भी काफी सुधार देखा जा रहा है। हिल्सा मछली, गंगा डॉल्फिन और कछुवों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।”प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे’ मिशन का विस्तार, उसका दायरा, नदी की सफाई से कहीं ज्यादा बढ़ा है। गंगा का पारिस्थिती तंत्र स्वच्छ होने से, आजीविका के अन्य अवसर भी बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा, “यहाँ मैं, ‘जलज आजीविका मॉडल’ की चर्चा करना चाहूंगा, जो कि जैव विविधता को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। नदी में पर्यटन आधारित बोट सफारी को 26 जगहों पर शुरू किया गया है। जाहिर है, ‘नमामि गंगे’ मिशन का विस्तार, उसका दायरा, नदी की सफाई से कहीं ज्यादा बढ़ा है। ये, जहाँ, हमारी इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है, वहीं, ये, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्व को भी एक नया रास्ता दिखाने वाला है।”

प्रधानमंत्री कहा, ‘ हम सभी के लिए यह गौरव की बात है, कि, भारत की इस पहल को, आज, दुनियाभर की सराहना मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र ने ‘नमामि गंगे’ मिशन को पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 प्रयासों में शामिल किया है। ये और भी खुशी की बात है कि पूरे विश्व के 160 ऐसे पहल में ‘नमामि गंगे’ को यह सम्मान मिला है।”उन्होंने श्लोक ‘नमामि गंगे तव पाद पंकजं,सुर असुरै: वन्दित दिव्य रूपम्। भुक्तिम् च मुक्तिम् च ददासि नित्यम्,भाव अनुसारेण सदा नराणाम्।’(अर्थात् हे माँ गंगा! आप, अपने भक्तों को, उनके भाव के अनुरूप – सांसारिक सुख, आनंद और मोक्ष प्रदान करती हैं। सभी आपके पवित्र चरणों का वंदन करते हैं। मैं भी आपके पवित्र चरणों में अपना प्रणाम अर्पित करता हूं। ) का उल्लेख करते हुए कहा कि कहा,“ हमारी परंपरा और संस्कृति का माँ गंगा से अटूट नाता है। गंगा जल हमारी जीवनधारा का अभिन्न हिस्सा रहा है।”(वार्ता)

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