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विचार एवं आचरण में समभाव रखने वाला ही सच्चा धार्मिक : सीएम योगी

विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पत्रिका कल्याण के आदि संपादक की 130वीं जयंती पर मुख्यमंत्री ने दी शब्दांजलि.सनातन धर्म-संस्कृति के प्रति समर्पित रहा भाई जी का जीवन.

गोरखपुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विचार एवं आचरण में समानता का भाव रखने वाला ही सच्चा धार्मिक व्यक्ति होता है। यही उस व्यक्ति की विश्वसनीयता का आधार भी होता है। इस संदर्भ में मानवता की प्रतिमूर्ति हनुमान प्रसाद पोद्दार ‘भाई जी’ देह रूप में हमारे बीच न उपस्थित रहने के बावजूद अपनी गोलोक यात्रा के 51 साल बाद भी श्रद्धा भाव से प्रासंगिक हैं। भाई जी ने जो कहा, जो लिखा, उसी के अनुरूप अपना जीवन भी जीकर समूचे सनातन धर्मावलंबियों को प्रेरित किया।

सीएम योगी गुरुवार शाम गीता वाटिका में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पत्रिका कल्याण के आदि संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार ‘भाई जी’ की 130वीं जयंती पर आयोजित श्रद्धा अर्चन कार्यक्रम में अपने भावों को शब्दांजलि रूप में व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म का वास्तविक मर्म क्या होता है, इसे नित्य लीलालीन गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने समझा था। उसी के अनुरूप देश व लोकहित में उनका पूरा जीवन समर्पित रहा। सीएम योगी ने कहा कि भाई जी ने श्रीमद्भगवद्गीता के आदर्शों को लेकर कल्याण के आदि संपादक के रूप में जो मानव कल्याण की, सनातन संस्कृति की सेवा प्रारम्भ की, उसी के अनुसार अपना जीवन भी जीया। वास्तव में उनका पूरा जीवन सनातन धर्म संस्कृति के आदर्शों के प्रति समर्पित रहा।

सनातन धर्म केवल पूजापाठ या उपासना नहीं

सीएम योगी ने कहा कि सनातन धर्म केवल पूजापाठ या उपासना विधि तक सीमित नहीं है। यह मूलतः जीवन पद्धति है जिसमें समस्त मानव कल्याण, सांसारिक अभ्युदय से लेकर निःश्रेष्य के साथ भौतिक जीवन में उत्कर्ष से लेकर मोक्ष की प्राप्ति तक की विराटता समाहित है। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ संपूर्णता के साथ समझना होगा। गीता के अनुसार धर्म छोटे से मार्ग तक सीमित नहीं है। अपने कर्तव्य के प्रति आग्रही व इमानदार बनकर ही हम धार्मिक कहला सकते हैं अन्यथा हमें धार्मिक कहलाने का अधिकार नहीं। और, यह धर्म के साथ न्याय भी नहीं होगा।

कर्तव्य के प्रति ईमानदारीपूर्वक निर्वहन करने वाला ही सच्चा सनातन धर्मावलंबी बनता है। सीएम योगी ने कहा कि ‘मैं ही बड़ा’ सनातन में यह भाव कभी नहीं होता। यह मेरा है, यह तेरा है का भाव संकुचित बुद्धि के लोग रखते हैं। दुनिया में द्वंद इसी भाव से शुरू होता है। यह हर व्यक्ति जानता है कि सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद, सबसे प्राचीन धार्मिक नगरी काशी और सबसे पहले राजा मनु थे। विचार करना होगा कि हम से प्रेरणा लेने वाले अर्वाचीन मत, मजहब आज छा गए हैं। इसका कुछ तो कारण होगा। इस विचारणीय बिंदु भी पर हमें भाई जी का जीवन प्रेरित करता है।

प्रेरणादायी है भाई जी के जीवन मे सनातन धर्म का भाव

सीएम योगी ने कहा कि सनातन धर्म का भाव भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के जीवन में भी देखने को मिलता है। सनातन धर्म-संस्कृति, मानवता, भारत के राष्ट्रीय आंदोलन व जीवमात्र के प्रति कल्याण की भावना से जुड़ा कोई भी ऐसा अभियान नहीं, जिसमें भाई जी ने प्रत्यक्ष भूमिका न निभाई हो। गीताप्रेस और कल्याण को उन्होंने अपनी सेवा का माध्यम बनाया। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। सनातन धर्म हमेशा कहता है कि आत्मा कभी मरती नहीं। वह अजर और अमर है, सिर्फ देह बदलती है। इसी भावना के अनुरूप भाई जी के विचार हमें सदैव प्रेरणा देते हैं।

भारत में प्रारंभ हो चुका है सांस्कृतिक अभ्युदय

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाई जी जिन-जिन अभियानों से जुड़े रहे, उनमें से सभी कार्य एक-एक करके पूरे होते दिख रहे हैं। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प हो गया है। ब्रज क्षेत्र नए कलेवर में निखर रहा है। व्यापक परिवर्तन के रूप में प्राकृतिक खेती के माध्यम से भारतीय गोवंश को पुनर्जीवन मिल रहा है। योग को वैश्विक मान्यता मिली है। प्रयाग का भव्य एवं दिव्य कुंभ यूनेस्को की तरफ से मानवता की मूर्ति धरोहर घोषित हो चुका है। यह सभी भारत के सांस्कृतिक अभ्युदय के प्रारंभ का प्रमाण हैं।

सदी की महामारी कोरोना में भारतीय जीवन परंपरा को मिली वैश्विक मान्यता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सदी की महामारी कोरोना संकट काल मे भारतीय जीवन परंपरा, जिसमें आयुर्वेद और योग महत्वपूर्ण रूप से शामिल हैं, को वैश्विक मान्यता मिली। जहां व्यक्ति नहीं मान रहा, वहां प्रकृति से मनवा रही है। इस संदर्भ में एक संस्मरण भी उन्होंने सुनाया। उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पोते, जो अमेरिका के न्यू जर्सी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उनसे मिलने आए थे। उस सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि कोरोना के दौर में अमेरिका में एक भारतीय रेस्तरां के सामने लाइन लगाकर वहां के लोग एक छोटे गिलास में दो से तीन चम्मच हल्दी का पानी खरीद कर पी रहे थे। इसके लिए 5 डालर की कीमत भी चुका रहे थे। मुख्यमंत्री ने उनकी जिज्ञासा शांत करते हुए बताया कि हर भारतीय घर में हल्दी भोजन का अनिवार्य हिस्सा है और हल्दी के प्रयोग की परंपरा अपने यहां हजारों वर्षों से चली आ रही है। हल्दी की कीमत आयुर्वेद के जरिए अमेरिका ने कोरोनाकाल समझा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की स्वास्थ्य सेवाओं पर जो लोग टिप्पणी करते हैं उन्हें कोरोना के समय आप ही जवाब मिल गया। उन्होंने कहा कि यद्यपि एक भी मौत दुखद है फिर भी यदि तुलना करें तो अमेरिका में भारत से डेढ़ गुना अधिक मौतें कोरोना से हुई। जबकि भारत की आबादी 135 करोड़ के सापेक्ष अमेरिका की आबादी 33 करोड़ ही है। वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रचुरता के बावजूद बेहतरीन कोरोना प्रबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का रहा। इसमें भारतीय पारिवारिक जीवन का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।21 जून को दुनिया के 150 से अधिक देश विश्व योग दिवस के माध्यम से भारत से जुड़ते हैं। चीन जैसा देश जो ईश्वर को नहीं मानता लेकिन योग को मानता है। भारत के आयुर्वेद, योग व नेचुरोपैथी दुनिया को कितना कुछ दे सकते हैं, कोरोना संकट में सबने इसे देखा, महसूस किया और अपनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी ज्ञान परंपरा व संस्कृति पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।

धरोहर रूप में मिला है वैदिक ज्ञान

सीएम ने कहा कि पहले हमारे हर घर में नानी, दादी, बाबा, नाना के रूप में घरेलूवैद्य होते थे। हमने उनकी दी हुई ज्ञान परंपरा को विस्मृत कर दिया, लिपिबद्ध नहीं किया। पर हमारे ऋषियों-मुनियों में वैदिक ज्ञान को लिपिबद्ध कर संरक्षित किया। महाभारत के युद्ध के बाद जब पराभव काल आया तो नैमिषारण्य में 88 हजार ऋषियों ने गोष्ठी की। मंथन के बाद ज्ञान को तीन साल तक अनवरत कार्य करके धरोहर के रूप में लिपिबद्ध किया। मध्यकाल में आक्रांताओं हमारी इस धरोहर को नष्ट करने का प्रयास किया था। इस धरोहर को संरक्षित करने की जिम्मेदारी हम सबकी उसी प्रकार की है जैसे भाई जी ने किया था। भाई जी ने भारतीय मूल्य, संस्कृति, ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने में अपना जीवन होम किया था।

सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण या राजनैतिक आजादी ही सम्पूर्ण आजादी नहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण या राजनीतिक आजादी ही संपूर्ण आजादी नहीं हो सकती थी। इस बात को भाई जी बखूबी समझते थे। आजादी के बाद के भारत का स्वरूप क्या हो, इस चिंतन तथा गुलामी के चिह्नों को दूर करने के अभियान में वह हमेशा अग्रणी रहे। गोरक्षा, श्रीरामजन्मभूमि, श्रीकृष्णजन्मभूमि, अछूतोद्धार, मानव कल्याण व आपदाग्रस्त मानव को लाभ दिलाने के अभियानों में वह सदैव आगे रहे। स्वतंत्र भारत मैं शिक्षा के लिए भी उनका सराहनीय प्रयास रहा।

भाई जी के प्रति श्रद्धार्चन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी समाधि स्थली पर गए और पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धा निवेदित की। इस अवसर पर कथावाचक विश्वनाथ भाई काश्यप, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो हरीश कुमार शर्मा, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक शोध एवं प्रशासन डॉ ओमजी उपाध्याय, हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के सचिव उमेश सिंहानिया, संयुक्त सचिव रसेंदु फोगला, न्यासी प्रमोद मातनहेलिया, विष्णु प्रसाद अजितरिया आदि भी उपस्थित रहे। भाई जी की जयंती के कार्यक्रम में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

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