नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने संसद और विधानमंडलों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को समाप्त करने की अपील की और आरक्षण देने के बारे में सभी राजनीतिक दलों से सर्वसम्मति बनाने का अनुरोध किया। शिक्षाविद्, समाज सुधारक और पूर्व एमएलए स्वर्गीय श्रीमती ईश्वरी बाई की याद में डाक टिकट को जारी करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आगे कहा, ईश्वरी बाई का राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में योगदान वास्तव में प्रशंसा के योग्य है और जनता के मन पर गहरी छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की नेता के रूप में श्रीमती ईश्वरी बाई जनता की आवाज बन गई थीं। उन्होंने बच्चों, गैर-सरकारी संगठनों, शिक्षकों, खेतिहर मजदूरों और अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के कल्याण की लगातार वकालत की।
श्री नायडू ने कहा कि भले ही 17वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा 78 महिला सदस्य हैं, लेकिन वे कुल संख्या का सिर्फ 14% हिस्सा हैं। उन्होंने उल्लेख करते हुए कहा कि स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण ने देश में लाखों महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया है, उन्होंने कहा कि संसद और विधानमंडलों में महिलाओं के लिए आरक्षण लाने पर सभी राजनीतिक दलों को तत्काल ध्यान देने और सर्व सम्मति बनाने की जरूरत है। विधानमंडलों और संसद में सार्थक चर्चा और तर्क-वितर्क की जगह बढ़ते व्यवधानों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने सभी सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों से सभी मंचों पर बहस के मानकों को ऊंचा उठाने की अपील की। अवलोकन करते हुए कि एक स्वस्थ लोकतंत्र का मंत्र है- चर्चा, तर्क-वितर्क और निर्णय लेना, न कि बाधा डालना, उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद और विधानमंडलों में लगातार व्यवधान डालना जनता के जनादेश का अपमान करने के बराबर है।
उन्होंने कहा, असहमति को स्वीकार करें और लोगों के जनादेश के प्रति सहनशील बनें। श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि हमारी विधायिकाओं के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करना सत्ताधारी और विपक्षी दलों दोनों की जिम्मेदारी है। उपराष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दलों से देश की सुरक्षा, भ्रष्टाचार को मिटाने और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर एक आम राय वाले दृष्टिकोण को अपनाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि विकास में तेजी लाने, योजनाओं को पहुंचाने में देरी, भटकाव और कमजोरियों को खत्म करने और जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए सुधारों पर सर्व सम्मति होनी चाहिए। उन्होंने कहा, इसी तरह, लोगों के सशक्तिकरण, व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को निश्चित रूप से एक स्वर में बोलना चाहिए।