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म्यूकोरमिकोसिस के इलाज में ‘एम्फोटेरिसिन बी’ प्रभावी, केंद्र सरकार का उत्पादन और उपलब्धता बढ़ाने पर जोर

कोविड-19 के नए म्यूटेंट वायरस के कुछ अन्य लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इनमें से ही एक ‘म्यूकोरमिकोसिस’ बीमारी चर्चा में है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ये एक एक तरह की ‘फंगस’ या ‘फफूंद’ होती है, जो प्राय: उन लोगों को होती है जिनकी कोरोना से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है या जो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण दवाइयां ले रहे हैं और इन दवाइयों की वजह से उनकी इम्यूनिटी या शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।

‘एम्फोटेरिसिन बी’ दवा का उत्पादन बढ़ाने पर जोर
ऐसे में देखा जा रहा है कि ‘एम्फोटेरिसिन बी’ दवा म्यूकोरमिकोसिस से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए कारगर साबित हो रही है। इस वजह से कुछ राज्यों में अचानक से ‘एम्फोटेरिसिन बी’ की मांग में वृद्धि देखी गई है। इसलिए केंद्र सरकार दवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए निर्माताओं से बातचीत कर रही है। इस दवा के अतिरिक्त आयात और घरेलू स्तर पर उत्पादन में वृद्धि के साथ आपूर्ति की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।

11 मई तक ‘एम्फोटेरिसिन बी’ का किया गया आंवटन
इसी के तहत औषधि विभाग ने निर्माताओं और आयातकों के साथ स्टॉक की स्थिति की समीक्षा की और ‘एम्फोटेरिसिन बी’की बढ़ती मांग को देखते हुए 11 मई को अपेक्षित आपूर्ति के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को यह दवा आवंटित की, जो 10 मई से 31 मई के बीच उपलब्ध करायी जाएगी।

राज्यों को दी सलाह
साथ ही राज्यों से सरकारी और निजी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवा एजेंसियों के बीच आपूर्ति के समान वितरण के लिए एक व्यवस्था लागू करने का भी अनुरोध किया गया है। राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे इस आवंटन से दवा प्राप्त करने के लिए राज्य में निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए ‘संपर्क बिंदु’ का प्रचार करें। इसके अलावा, राज्यों से अनुरोध किया गया है कि पहले से आपूर्ति किए जा चुके स्टॉक और साथ ही आवंटित किए गए स्टॉक का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाए। राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) आपूर्ति व्यवस्था की निगरानी करेगा।

क्या है म्यूकोरमिकोसिस

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, ये इन्फेक्शन ‘म्यूकर’ नाम के फंगस की वजह से होता है और इसलिए हम इसे ‘म्यूकोरमिकोसिस’ कहते हैं। डॉ. पॉल बताते हैं, “ये बहुत हद तक डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है, अगर किसी को डायबिटीज की बीमारी नहीं है तो बहुत कम चांस है कि इसका सामना करना पड़े। यह एक क्यूरेबल डिजीज है।

आईसीएमआर ने की एडवाइजरी जारी

हाल ही में आईसीएमआर ने म्यूकर माइकोसिस की टेस्टिंग और इलाज को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसमें उन्होंने इसके लक्षण, बचाव और उपाय की बात की है। अगर किसी को आंखों और नाक में दर्द होने जैसी शिकायत है या उसके आसपास की जगह लाल हो गई है, बुखार, सिर दर्द, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसके साथ संक्रमित व्यक्ति को खून की उल्टियां इत्यादि की समस्या है तो हो सकता है वह म्यूकर माइकोसिस की वजह से हो। एडवाइजरी में बचाव को लेकर कहा गया है कि धूल भरी जगह पर जाएं तो उससे पहले मास्क जरूर पहनें। शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े और जूते पहनें।

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