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जीवित हो गया मृत घोषित बच्चा, माँ की ममता बनी संजीवनी

चिकित्सकों ने जिस बच्चे को मृत घोषित कर दिया था वह एक चमत्कार से जी उठा। एक मां की करुण व ममतामयी पुकार भगवान ने सुन ली और यमराजजी ने उस बच्चे की सांसों को लौटा दिया। इलाज के दौरान दिल्ली के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने 6 साल जिस बच्चे को मृत घोषित कर दिया था वह अपनी माँ की स्नेहमयी पुकार सुनकर फिर से जी उठा है। चिकित्सकों द्वारा मृत बताये जाने के बाद परिवार उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा था।

ममता के इस रूप से चिकित्सक भी अचंभित

माँ के ममता के प्रभाव से चिकित्सक भी अचंभित हैं। बीमार बच्चे की मां अपने बेटे के सिर को चूमते हुए बार-बार कह रही थी उठ जा मेरे बच्चे उठ जा और आँखों से गंगा यमुना की भांति अश्रुधारा बह रही थी। तभी अनायास उस बच्चे के शरीर में स्पंदन होने लगा। फिर से इलाज शुरू हुआ और गत मंगलवार को वह रोहतक के अस्पताल से हंसता खेलता अपने घर वापस लौट आया।

घटनाक्रम पर प्रकाश

यह सत्य घटना हरियाणा के बहादुरगढ़ की है। यहां रहने वाले हितेश और उनकी पत्नी जाह्नवी ने बताया कि उनके 6 साल का बेटा टाइफॉइड से पीड़ित हो गया था। इसे बेहतर इलाज के लिए दिल्ली ले गए थे। जहाँ निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीते 26 मई को डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। वे रोते बिलखते शव को लेकर अपने गृहग्राम बहादुरगढ़ वापस लौट आए।

कैसे हुआ यह अचंभा

बताया गया है कि बच्चे के दादा विजय शर्मा ने शव को रात भर सुरक्षित रखने के लिए बर्फ और सुबह दफनाने के लिए नमक का इंतजाम करा लिया था। मोहल्ले वालों को सुबह श्मशान घाट पर पहुंचने को भी कह दिया था। इसी बीच बच्चे की मां जाह्नवी और ताई अनु रोते हुए मासूम को बार बार प्यार से हिलाते हुए उसे सहलाते हुए पुकार रही थीं। कुछ देर के बाद अस्पताल की पैकिंग में शव में हरकत महसूस हुई। इसके बाद पिता हितेश ने बच्चे को उस पैकिंग से बाहर निकाला और उसे मुंह से सांस देने लगे। पड़ोसी सुनील ने बच्चे की छाती पर दबाव देना शुरू किया। तभी एक अचंभा हुआ और इस बच्चे ने अपने पिता के होंठ पर अपने दांत गड़ा दिए।

सांस लौटने पर भी क्षीण थी बचने की संभावना

इसके बाद 26 मई की रात को ही बच्चे को रोहतक के एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने कहा कि उसके बचने की उम्मीद सिर्फ 15% है। इलाज शुरू हुआ और तेजी से रिकवरी हुई। वह पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच गया। अब पहले की तरह ही वह परिवार के अन्य बच्चों के साथ लड़ने झगड़ने और खेलने लगा है।

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