रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि सशस्त्र सेनाओं ने किसी भी तरह की आपदा के समय देश और उसके साझीदारों के लिए दिन-रात जीवन रक्षक अभियान चलाकर साबित किया है कि वह हर हाल में देश के साथ मजबूती से खड़ी हैं।श्री सिंह ने बुधवार को यहां आपदा प्रबंधन पर पांचवी विश्व कांग्रेस का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करते हुए कहा, “ हमारी सशस्त्र सेनाओं ने बार-बार यह साबित किया है कि वे प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं के समय देश और उसके साझेदारों के साथ मजबूती के साथ खड़ी है।”
उन्होंने क्षेत्र में सभी के विकास और सुरक्षा से संबंधित भारत की ‘सागर’ योजना का उल्लेख करते हुए दोहराया कि इस योजना में महासागर से लगते देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने से लेकर क्षमतावर्धन , सतत क्षेत्रीय विकास, समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए समन्वय के साथ साथ प्राकृतिक आपदा, समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे गैर पारंपरिक खतरों से निपटने की कार्य योजना समाहित है।रक्षा मंत्री ने कहा कि सागर योजना में मानवीय संकट और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावशाली तंत्र विकसित करने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि हमारी सेनाओं ने मुसीबत के समय हिंद महासागर क्षेत्र में सबसे पहले मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान चलाए है।इस संबंध में उन्होंने सशस्त्र सेनाओं द्वारा हाल के वर्षों में यमन में ऑपरेशन राहत, श्रीलंका में चक्रवाती तूफान , इंडोनिशिया में भूकंप , मोजांबिक में तूफान तथा बाढ के दौरान चलाये गये मानवीय सहायता अभियानों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का लाभ मित्र देशों के साथ साझा करने के लिए एक गठबंधन बनाया है। इसके तहत भारत विभिन्न देशों की संबंधित एजेन्सियों के साथ आपदाओं से निपटने के तरीकों पर संयुक्त अभ्यास का भी आयोजन कर रहा है।
श्री सिंह ने कहा कि कोविड महामारी से निपटने के लिए भी भारत ने विभिन्न देशों को वैक्सीन तथा अन्य दवाओं की आपूर्ति कर सहयोग किया है। उन्होंने कोविड के बाद की दुनिया में इस तरह की चुनौतियों से मिलकर निपटने की भी अपील की। अंतरिक्ष, संचार, जैव इंजीनयरिंग, कृत्रिम बौद्धिकता जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि इनका लाभ सबतक पहुंचना जरूरी है।आपदा प्रबंधन पर पांचवीं विश्व कांग्रेस का आयोजन राजधानी में आज से 27 नवम्बर तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिसर में किया गया है।